Updated: 15 Mar, 2025 06:29 PM

इन गलियों में फिल्म के बारे में डायरेक्टर अविनाश दास, एक्टर्स जावेद जाफरी और विवान शाह ने पंजाब केसरी, नवोदय टाइम्स, जगबाणी, और हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश:
नई दिल्ली/टीम डिजिटल। पारिवारिक फिल्में अब कम बन रही हैं, लेकिन ‘इन गलियों में’ एक ऐसी कहानी लेकर आ रही है जो मोहब्बत, भाईचारे और समाज की एकजुटता की मिसाल पेश करती है। यह फिल्म 14 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। इस फिल्म में जावेद जाफरी और विवान शाह मेन लीड में नजर आने वाले हैं। फिल्म को अविनाश दास द्वारा डायरेक्ट किया गया है। फिल्म के बारे में डायरेक्टर अविनाश दास, एक्टर्स जावेद जाफरी और विवान शाह ने पंजाब केसरी, नवोदय टाइम्स, जगबाणी, और हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश:
अविनाश दास (निर्देशक)
सवाल: इस फिल्म की प्रेरणा कहां से मिली?
जवाब: हमारी फिल्म की थीम बहुत साधारण लेकिन जरूरी है जिसमें लोगों को जोड़ने की बात है। ये आइडिया हमारे आसपास के समाज से ही निकला, जहां छोटी-छोटी बातों में भेदभाव बढ़ रहा है। फिर चाहे वो भाषा हो याद कोई और मुद्दा। यह हमारा कर्तव्य है कि आज के समय में हम ऐसी फिल्मों को बनाने के बारे में सोचे। मैं चाहता था कि एक ऐसी फिल्म बने जो रिश्तों को जोड़े, और प्यार की बात करे।
जावेद जाफरी
सवाल: आपने हमेशा फैमिली एंटरटेनमेंट दिया है, इस फिल्म को कैसे देखते हैं आप?
जवाब: ये फिल्म मेरे दिल के बहुत करीब है। 40 साल के करियर में कुछ ही फिल्में ऐसी होती हैं जो इंसान को अंदर से छू जाती हैं ये उन्हीं में से एक है। इसमें जो भावनाएं हैं, जो मेल-जोल है, वो आज के समय में बहुत जरूरी है। जिस तरह का जमाना चल रहा है तो इस फिल्म के जरिए हम समाज में प्यार फैलाने और समाज को जोड़ने की बात कर रहे हैं।
सवाल: अपने करियर को कैसे देखते हैं अब तक?
जवाब: मुझे अभी तक काम करते हुए 40 साल हो चुके हैं और मैं शुक्रगुजार हूं कि मुझे अच्छे काम करने का मौका मिला। लोग आज भी मेरे पुराने शोज को याद करते हैं, यही सबसे बड़ी बात है। और हां, आजकल ढिंढोरा पीटना भी जरूरी हो गया है, लेकिन काम तो खुद बोलता है।
विवान शाह
सवाल: आपके पिता एक एक्टर हैं तो उनसे आपने क्या सीखा?
जवाब: जी बिल्कुल उनसे मैंने बहुत कुछ सीखा है, एक एक्टर होने के अलावा वह एक एक्टिंग टीचर भी हैं। उनके द्वारा सिखाई गई हर सीख रोज अपनाने की कोशिश करता हूं और उन्होंने हमेशा कहा कि एक्टर की सबसे बड़ी ताकत उसकी कल्पना होती है। उसी से किरदार में सच्चाई आती है। मैंने भी उसी सोच के साथ इस किरदार को निभाया है।
सवाल: फिल्म में अपने किरदार के लिए कैसी तैयारी की थी?
जवाब: मैंने एक सब्जी वाले का रोल निभाया है, और कोशिश की है कि हर चीज से एक रिश्ता बनाऊं जैसे फल, सब्जी।। ये एक थियेटर वाली अप्रोच है जो मैंने अपने पिता से सीखी है। इस किरदार को निभाकर मैंने बहुत कुछ नया सीखा और इतने सीनियर एक्टर्स के साथ काम करने का अनुभव बहुत अच्छा रहा।