Updated: 17 Jan, 2025 10:25 AM
यहां पढ़ें कैसी है कंगना रनौत की फिल्म इमरजेंसी
फिल्म : इमरजेंसी (Emergency)
स्टारकास्ट : कंगना रनौत (Kangana Ranaut), अनुपम खेर (Anupam Kher) , श्रेयस तलपड़े (Shreyas Talpade) और मिलिंद सोमन (Milind Soman)
निर्देशक : कंगना रनौत (Kangana Ranaut)
रेटिंग : 4*
Emergency: लंबे इंतजार के बाद आखिरकार कंगना रनौत की फिल्म इमरजेंसी सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। भारत की राजनीती में इमरजेंसी एक ऐसा घाव था जिसे आज भी राजनैतिक पार्टियां अपने फायदे के लिए कुरेदती हैं और यह जखम फिर से हरा हो जाता है। इतिहास की सबसे चर्चित घटनाओं में से एक थी भारत की शक्तिशाली महिला और कांग्रेस की पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा लगाई गयी इमरजेंसी, जो 1975 से 1977 तक चली। इमरजेंसी के इतिहास की इन्ही परतों को खोलती है कंगना रनौत द्वारा अभिनीत और निर्देशित फिल्म 'इमरजेंसी'। आइए जानते हैं कैसी है फिल्म इमरजेंसी।
कहानी
फिल्म की कहानी 1975 से 1977 के बीच घटी घटनाओं पर प्रकाश डालती है जब श्रीमती इंदिरा गांधी प्रधान मंत्री थीं और उस दौरान नसबंदी, प्रेस पर लगाम, व्यक्तिगत आजादी का खात्मा, विरोधी पार्टियों के नेताओं को अकारण जेल में डालने, सामाजिक बैचेनी और अस्थिरता, लुढ़कती अर्थव्यस्था जैसे कई गंभीर मुद्दे घटित हुए। इन घटनाओं ने न केवल श्रीमती गांधी की साख को बट्टा लगाया बल्कि विरोधी दलों को भी मुखर होने की वजह दी। इन सभी घटनाओं को इस फिल्म में बड़ी खूबसूरती से दिखाया गया है जो अवश्य उन लोगों के लिए एक ज्ञानवर्धक फिल्म साबित होगी जो इमरजेंसी के इतिहास से अभी तक अनजान हैं।
अभिनय
फिल्म में कंगना रनौत ने श्रीमती इंदिरा गांधी का किरदार निभाया है, प्रोस्थेटिक मेकअप से वे हूबहू श्रीमती इंदिरा गांधी की तरह दिखाई देती हैं। कंगना ने फिल्म में फेस एक्सप्रेशन से लेकर डायलॉग डिलीवरी तक सभी में अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। अनुपम खेर ने भी जयप्रकाश नारायण (जेपी ) के किरदार में शानदार अभिनय किया है। आंदोलन से लेकर जेल जाने तक का उनका सफर फिल्म में बखूबी दिखाया गया है। श्रेयश तलपड़े ने युवा अटल बिहारी वाजपेई का किरदार निभाया है। श्रेयश ने भी अपने किरदार के साथ पूरा इन्साफ किया है। फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ के किरदार में मिलिंद सोमन भी जंचे हैं और उन्होंने कमाल की एक्टिंग की है। संजय गाँधी, जगजीवन राम और मोरारजी देसाई के किरदारों में क्रमशा विष्क नायर, सतीश कौशिक और अशोक छाबरा ने फिल्म को अपने अभिनय से पूरी तरह से सपोर्ट किया है।
निर्देशन
यह फिल्म पूर्णतया कंगना रनौत की फिल्म है जिसमें लीड किरदार से लेकर निर्माण और निर्देशन का जिम्मा भी उन्होंने अपने कंधों पर उठाया है। हालांकि इतिहास के पन्नों पर प्रकाशित किसी घटना पर फिल्म बनाना अपने आप में एक चुनौती है और यह चुनौती तब और भी कठिन हो जाती है जब पूरी फिल्म बनाने का बोझ ही किसी एक व्यक्ति पर हो। लेकिन कंगना ने न केवल चुनौती को स्वीकार किया है बल्कि इसे सफलता से अंजाम भी दिया है। हर किरदार से शानदार काम लिया गया है और फिल्म को यथार्थ के निकट लाने का हर संभव प्रयास किया गया है, चाहे बात किरदारों के चयन की हो, उनसे काम लेने की या फिर अपने तकनीकी हुनर की हर पैमाने पर यह फिल्म खरी उतरती है।