Updated: 16 Feb, 2025 03:20 PM
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बॉलीवुड के आइकॉनिक एक्टर जितेंद्र, जिन्हें प्यार से 'लेजेंडरी सुपरस्टार' कहा जाता है, को हाल ही में खासदार जेष्ठ नागरिक संकुलन महोत्सव में जेष्ठ नागरिक के रूप में सम्मानित किया गया।
नई दिल्ली। बॉलीवुड के आइकॉनिक एक्टर जितेंद्र, जिन्हें प्यार से 'लेजेंडरी सुपरस्टार' कहा जाता है, को हाल ही में खासदार जेष्ठ नागरिक संकुलन महोत्सव में जेष्ठ नागरिक के रूप में सम्मानित किया गया। इस भव्य आयोजन में जितेंद्र के भारतीय सिनेमा में दिए गए योगदान को सेलिब्रेट किया गया। यह महोत्सव उनके शानदार करियर की गवाही देता है—एक ऐसे सफर की, जहां वह एक एक्स्ट्रा आर्टिस्ट से शुरू करके इंडस्ट्री के सबसे बड़े सुपरस्टार्स में से एक बने।इस खास मौके पर भारत सरकार के केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी मौजूद रहे। उनके साथ कई खास मेहमानों और गणमान्य व्यक्तियों ने इस समारोह की शोभा बढ़ाई। जितेंद्र के लिए यह पल बेहद खास था, क्योंकि उनका शानदार करियर दशकों से भारतीय सिनेमा की विरासत का हिस्सा रहा है।
जितेंद्र, एक ऐसा नाम जो हर घर में पहचाना जाता है, भारतीय सिनेमा में अपने बेहतरीन योगदान के लिए बेहद सम्मानित किए जाते हैं। अपने करियर में उन्होंने 200 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है, जो बॉलीवुड के एक सुनहरे दौर की पहचान बन चुकी हैं। उनका चार्म, जबरदस्त डांसिंग स्किल्स और यादगार परफॉर्मेंस ने उन्हें लाखों-करोड़ों फैन्स के दिलों में एक खास जगह दिलाई है।
कार्यक्रम में मंत्री नितिन गडकरी ने जितेंद्र की जबरदस्त उपलब्धियों की तारीफ की और नई पीढ़ी को प्रेरित करने के उनके लगातार किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। ज्येष्ठ नागरिक सम्मान उन लोगों को दिया जाता है, जिन्होंने समाज में अपनी अमिट छाप छोड़ी हो। जितेंद्र ने फिल्म इंडस्ट्री में जो पहचान बनाई है, वो किसी से छुपी नहीं है। ऐसे में ये सम्मान उनके कद और उनकी मेहनत को और भी खास बना देता है।
जितेंद्र ने अपने पहले के दोनों को याद करते हुए कहा है, "मैं पूरे 18 साल गिरगांव की चॉल में रहा। वहां की छोटी-सी दुनिया में इतना प्यार मिला कि आज भी वो यादें दिल में बसी हैं। अब मैं 83 साल का हो गया हूँ, लेकिन अगर मुझसे पूछा जाए कि मेरी ज़िंदगी का सबसे सुनहरा दौर कौन-सा था, तो मैं बिना सोचे कहूंगा—वो चॉल वाले दिन। मैं एक एक्स्ट्रा एक्टर था, जूनियर आर्टिस्ट था, और मेरा पहला ब्रेक भी मुझे इसी वजह से मिला क्योंकि शांता राव बाप को ये मज़ेदार लगा कि एक पंजाबी लड़का इतनी साफ़ मराठी कैसे बोल सकता है! असल में, मैं सिर्फ़ 15 दिन का था जब मेरी माँ मुझे बॉम्बे, गिरगांव लेकर आई थीं, और 18 साल तक वहीं पला-बढ़ा। सच कहूं तो मैं किसी भी चीज़ से ज़्यादा महाराष्ट्रियन हूँ। आज ये सम्मान पाकर दिल भर आया है। आप सबका दिल से शुक्रिया।"
ये सम्मान सिर्फ़ जीतेन्द्र के एक्टर होने का नहीं, बल्कि उस आइकॉन का है जिसने पीढ़ियों तक लोगों को एंटरटेन किया और इंस्पायर किया। ‘लेजेंडरी सुपरस्टार’ का टैग सिर्फ़ नाम भर का नहीं है, बल्कि उनकी सालों की मेहनत और टैलेंट का नतीजा है। उनकी फिल्में, उनका डांस, उनकी स्टाइल—सबकुछ आज भी लोगों के दिलों में ज़िंदा है। ये अवॉर्ड बस एक और मोहर लगा देता है कि जीतेन्द्र का नाम और उनका जलवा हमेशा बरकरार रहेगा!