Updated: 10 Jan, 2025 09:54 AM
मैच फिक्सिंग – द नेशन एट स्टेक (Match Fixing: The Nation At Stake)
डायरेक्टर – केदार गायकवाड़ (Kedar Gaekwad)
प्रोड्यूसर – पल्लवी गुर्जर (pallavi gurjar)
कास्ट - विनीत कुमार सिंह (Vineet Kumar Singh), अनुजा साठे (Anuja Sathe), मनोज जोशी (Manoj Joshi), राज अर्जुन (Raj Arjum), शताफ फिगर (Shataf Figar), ललित परिमू (Lalit Parimoo ), किशोर कदम (Kishor Kadam)
रेटिंग – 3.5
"मैच फिक्सिंग – द नेशन एट स्टेक" फिल्म कर्नल कंवर ख़ताणा की किताब 'द गेम बिहाइंड सैफरन टेरर' पर आधारित है। ये एक दमदार राजनीतिक थ्रिलर है, जो हिंदुस्तान और पाकिस्तान के रिश्तों की जटिल कहानियों को सामने लाती है। फिल्म में 2004 से 2008 के बीच भारत में हुए आतंकी हमलों को दिखाया गया है, जो आखिर में 26/11 के मुंबई हमलों तक पहुंच जाते हैं और देश को बुरी तरह से हिलाकर रख देते हैं।
कहानी
फिल्म के शुरुआती क्षण ही दर्शकों को गहरे राज़ और साजिशों के जाल में फंसा देते हैं। कहानी में आगे बढ़ते हुए, भारतीय और पाकिस्तानी नेताओं के बीच छिपे हुए खतरनाक खेल का पता चलता है 'सफ्रन टेरर' जैसा शब्द इजात करने की साजिश, जो सिर्फ वोट बैंक की राजनीति को मजबूत करने के लिए रची जाती है।
फिल्म के पहले हिस्से में कहानी को बेहतरीन तरीके से दिखाया गया है, जहां भारत और पाकिस्तान की साजिशों को प्रभावी रूप पेश किया गया है। यहां एक अंडरकवर आर्मी अफसर का किरदार सामने आता है, जो खुफिया विभाग से जुड़ा है और 'सैफ्रन टेरर' के मिथक को फैलाने वाली शक्तियों के लिए एक बड़ा खतरा बन जाता है। इस हिस्से में समझौता एक्सप्रेस और मालेगांव ब्लास्ट्स जैसी महत्वपूर्ण घटनाओं के जरिए कहानी की दिशा तय होती है।
फिल्म के दूसरे हिस्से में जैसे-जैसे घटनाएं बढ़ती हैं, रोमांच और भी ज्यादा बढ़ जाता है। विलेन अपना आखिरी हमला बहुत सोच-समझकर करते हैं। फिल्म का अंत बहुत ही प्रभावशाली है, जब नायक खुद को पूरी तरह फंसा हुआ पाता है। फिल्म एक गहरे और सोचने वाले अंत के साथ खत्म होती है और दर्शकों को सोचने पर मजबूर करते हुए बहुत प्रभावित करती है।
एक्टिंग
विनीत कुमार सिंह ने अपनी एक्टिंग के जरिए कर्नल अविनाश पटवर्धन के किरदार में जान डाल दी। मुक्काबाज और गैंग्स ऑफ वासेपुर जैसी फिल्मों के बाद, इस फिल्म में उन्होंने अपनी सबसे यादगार परफॉर्मेंस दी है। उनकी अदाकारी में गहराई और सहजता उनके हर रोल को असल बना देती है, चाहे वह एक आर्मी ऑफिसर हो या अंडरकवर एजेंट। उनकी यह क्षमता उन्हें एक सच्चा कलाकार साबित करती है।
विनीत कुमार सिंह की इस फिल्म को कास्ट की बेहतरीन परफॉर्मेंस का जबरदस्त सपोर्ट मिला है। अनुजा साठे ने उनकी पत्नी के रोल को बड़ी ही अच्छी तरीके से निभाया है। मनोज जोशी और किशोर कदम ने भी अपने जटिल किरदारों में गहराई लाई है। वहीं, शताफ फिगार, एलेना तुतेजा, रमनजीत कौर और ललित परमू ने अपने-अपने अंदाज से फिल्म को और भी मजबूती दी है।
फिल्म का सरप्राइज पैकेज राज अर्जुन की शानदार परफॉर्मेंस है। पाकिस्तानी कर्नल के किरदार में उन्होंने अपनी अदाकारी से एक अलग पहचान बनाई है। उन्होंने किरदार की हर बारीकी को इतनी सटीकता से निभाया है कि उनकी एक्टिंग दिल जीत लेती है। उनकी परफॉर्मेंस को नजरअंदाज करना मुश्किल है।
डायरेक्शन
पल्लवी गुर्जर ने एक गंभीर और सोचने पर मजबूर करने वाले विषय को चुना है जिससे फिल्म को वह आकर मिला है जिसकी दर्शकों को उम्मीद थी। फिल्म की क्रिएटिविटी का पूरा श्रेय डायरेक्टर और डीओपी केदार गायकवाड़ को जाता है, जिन्होंने राजनीति की साजिशों, किरदारों और असल घटनाओं को खूबसूरती से एक साथ पिरोया है और उनकी सिनेमेटोग्राफी ने हर सीन को यादगार बना दिया है। फिल्म की लोकेशन और प्रोडक्शन टीम ने उस दौर को सच्चाई के साथ पर्दे पर उतारा है, और आर्मी के माहौल को सटीकता से दर्शाया है। अनुज एस. मेहता की शानदार स्क्रीनप्ले और समीर गरुड़ के दमदार डायलॉग्स ने कहानी को और प्रभावशाली बना दिया है, जबकि आशीष माथरे की एडिटिंग ने फिल्म को संतुलित और दिलचस्प बनाए रखा है, साथ ही इसे मुख्य प्लॉट पर केंद्रित रखा है।
म्यूजिक
रिमी धर ने फिल्म के लिए दो यादगार गाने दिए हैं। पहला गाना, दलेर मेहंदी की दमदार आवाज़ में एक एंथम है, जो फिल्म में जोश भर देता है। दूसरा गाना, एक भावुक और मधुर धुन है, जो फ्लैशबैक के जरिए कहानी को गहराई से जोड़ता है। साथ ही, ऋषि गिरधर का बैकग्राउंड स्कोर हर सीन में जान डाल देता है।
राजनीति और थ्रिलर का बेजोड़ संगम है "मैच फिक्सिंग – द नेशन एट स्टेक"। फिल्म में आतंकवाद और साजिशों का जाल इसे और भी दिलचस्प बनाता है। यह उन दर्शकों के लिए एक परफेक्ट फिल्म है, जो सस्पेंस और ड्रामा से भरी कहानियां देखना पसंद करते हैं।