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L2E : Empuraan Review: लम्बी स्टारकास्ट के साथ बोर करती है एल 2:एंपूरान

Updated: 27 Mar, 2025 04:22 PM

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यहां पढ़ें एल 2:एंपूरान का रिव्यू।

फिल्म: एल 2 : L2E: एंपूरान (L2E : Empuraan)
स्टारकास्ट : मोहनलाल (Mohanlal), पृथ्वीराज सुकुमारन (Prithviraj Sukumaran), अभिमन्यु सिंह (Abhimanyu Singh), तोविनो थॉमस (Tovino Thomas) , मंजू वारियर (Manju Warrier) और किशोर (Kishor) 
निर्माता   : एंटोनी पेरंबवूर (Antony Perumbavoor), गोकुल गोपालन (Gokul Gopalan)
निर्देशक :  पृथ्वीराज सुकुमारन (Prithviraj Sukumaran )
रेटिंग :  2*    

L2E : Empuraan: बड़े बजट की फिल्म बनाने की होड़ में फिल्ममेकर अक्सर कहानी और कैरेक्टर्स के साथ पूरा न्याय नहीं कर पाते उनका पूरा ध्यान फिल्म को भव्य और विशाल स्टारकास्ट से सजाकर परोसने का होता है । उन्हें लगता है की दर्शक को तो बस वीएफएक्स और विशाल स्टारकास्ट से मतलब है कहानी चाहे घिसी पिटी हो। ऐसी ही एक सफल फिल्म लूसिफर का दूसरा पार्ट 'एल 2 : एंपूरान ' 27 मार्च को सिनेमाघरों में रीलीज हो रही है । कहानी को समझना दो दूर की बात है  फिल्म में किरदार इतने ज्यादा हैं कि उनकी कैरेक्टर और एंट्री पर ध्यान नहीं दिया गया है। वे कब परदे पर आते हैं और कब झलक दिखा कर चले जाते हैं, दर्शक को फिल्म देखने के बाद शायद ही याद रहे। कला और संस्कृति के क्षेत्र में एक और असफल प्रयास, 'L2E : Empuraan' फिल्म ने निराश किया। यह फिल्म न केवल अपनी कहानी में कमजोर है, बल्कि इसका अभिनय, संगीत और सिनेमैटोग्राफी भी प्रभावशाली नहीं हैं।

फिल्म की सबसे बड़ी समस्या इसकी गति है, जो बहुत धीमी है। दर्शकों को बोर होने से बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया है। 

कहानी 
फिल्म की कहानी लूसिफर के किरदारों के साथ आगे बढ़ती है। कहानी राज्य से निकलकर देशी और फिर विदेशी ताकतों तक पहुंचती है, कहानी के दायरे में कई देश आते हैं जिनमें चीन सबसे ऊपर है और इन्हीं ताकतों से लड़ता है खुरेशी अब्राम (मोहनलाल )। वैसे तो लूसिफर का अर्थ है शैतान जिसकी उत्पत्ति यहूदी-ईसाई परंपरा में हुई है, जहां उसे एक पतित देवदूत के रूप में चित्रित किया गया है जिसने ईश्वर के विरुद्ध विद्रोह किया और उसे स्वर्ग से निकाल दिया गया। अब हमारे नायक मोहनलाल किस-किस देशी और विदेशी ताकतों पर शैतान बनकर टूटते हैं यह आपको फिल्म देखने पर मालूम होगा ।

अभिनय
फिल्म की स्टारकास्ट इतनी लम्बी चौड़ी है कि किरदारों की अहमियत कहीं खोई सी दिखाई देती है। फिल्म देखकर लगता है की उन्हें सिर्फ नाममात्र के लिए ही फिल्म में जगह दी गई है हालांकि वो बेहतरीन एक्टर हैं। जैसे कि इंद्रजीत सुकुमारन, वे बेहतरीन कलाकार हैं पर स्टारकास्ट की भीड़ में कहीं गुम से दिखाई देते हैं। ऐसा कुछ सूरज वेंजारमूदु और किशोर के साथ भी देखने को मिला, इन प्रतिभाशाली कलाकारों के लिए फिल्म में करने को कुछ खास नहीं था। पूरी फिल्म में बस मोहनलाल और पृथ्वीराज सुकुमारन बस अपना स्वैग ही दिखाने में मस्त हैं। इन दोनों ही शानदार कलाकारों ने शायद फिल्म में एक्टिंग न करने की कसम खा कर रखी थी। फिल्म में मलयालम इंडस्ट्री के कई बेहतरीन कलाकार हैं लेकिन उनकी स्क्रीन प्रेजेंस न के बराबर है। 

डायरेक्शन
फिल्म का निर्देशन हालांकि काफी अच्छा है लेकिन फोकस केवल दो -तीन  स्टार कलाकारों पर ही रहा बाकी कलाकार औसतन ही दिखाई दिए। स्क्रीनप्ले अच्छा है , डायलाग भी स्वैग से भरे हैं लेकिन कुछ खास असर नहीं डालते। युद्ध और दंगे फसाद के दृश्य काफी लम्बे खींचे हैं जिससे दर्शक स्वाभाविक रूप से ऊब जाते हैं , पाकिस्तान से उग्रवाद का किस्सा भी इतनी फिल्मों में देख चुके हैं कि अब इससे उबासी आने लगती है। सम्पादन भी औसतन ही है , कई सीन बेवजह खींचे हुए हैं। फिल्म में एक्शन इतना जयादा है और मार-काट, विस्फोट, दंगे हिंसा इतनी ज्यादा है की फैमिली एंटरटेनर से यह फिल्म कोसों दूर है। यह फिल्म केवल उन चुनिंदा दर्शकों के लिए है जो बस शानदार वीएफएक्स के दीवाने हैं।   

कुलमिलाकर फिल्म औसत फिल्म है, हालांकि फिल्म में स्टारकास्ट बहुत लम्बी चौड़ी है लेकिन कहानी कहीं न कहीं भटकती दिखी है। आजकल फिल्मों में एक सशक्त कहानी का होना बहुत जरूरी है जिसे दर्शक देखने पर मजबूर हो जाए लेकिन एल 2 : एंपूरान बॉक्स ऑफिस पर क्या करती है ,यह देखने वाली बात है ।

 

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