Updated: 14 Jun, 2024 05:42 PM
डायरेक्टर आदित्य सरपोतदार की फिल्म 'मुंज्या' में दर्शकों को एक सुपरनैचुरल जर्नी पर ले जाते हैं, जहां प्यार, गम और रोंगटे खड़े कर देने वाले डरावने सीन्स हैं। इन सब के साथ फिल्म में मेकर्स ने कॉमेडी का तड़का भी लगाया है। योगेश चांदेकर द्वारा लिखी गई...
फिल्म: मुंज्या
डायरेक्टर: आदित्य सरपोतदार
कास्ट: शरवरी, मोना सिंह, अभय वर्मा, सत्यराज,
अवधि: 123 मिनट
रेटिंग: 4
रेटिंग:
Munjya: डायरेक्टर आदित्य सरपोतदार की फिल्म 'मुंज्या' में दर्शकों को एक सुपरनैचुरल जर्नी पर ले जाते हैं, जहां प्यार, गम और रोंगटे खड़े कर देने वाले डरावने सीन्स हैं। इन सब के साथ फिल्म में मेकर्स ने कॉमेडी का तड़का भी लगाया है। योगेश चांदेकर द्वारा लिखी गई यह कहानी बिल्कुल नई है, जो फिल्मों में शायद ही कभी देखी गई है। कहना होगा कि योगेश और उनके को - स्क्रीन राइटर निरेन भट्ट ने एक ऐसी कहानी को जिंदा किया है जो हॉरर-कॉमेडी जॉनर का मिश्रण है। यह कहानी रिफ्रेशिंग होने के साथ ही अनोखी और थ्रिल करने वाली है। ऐसे में चलिए आपको बताते हैं क्या हैं फिल्म का रिव्यू।
कहानी:
फिल्म की शुरुआत 1952 में होती है, जहां एक युवा ब्राह्मण लड़का मुन्नी नाम की लड़की से बहुत प्यार करता है। हालांकि, उसके परिवार को यह रिश्ता बिल्कुल भी मंजूर नहीं होता। लड़के की मां गुस्से में उसे सख्त सजा देती है और जबरदस्ती जनेऊ की रस्म करवाती है। लेकिन लड़के पर मुन्नी के प्यार का भूत इस तरह से सवार है कि वह इसके लिए कुछ भी करने के लिए तैयार है। वो जंगल में एक अनुष्ठान करता है, जिसमें वो अपनी बहन की बली देना चाहता है ताकि उसकी मुन्नी से शादी करने में किसी तरह की मुश्किल न आए।हालांकि, अनुष्ठान बहुत बुरे तरीके से विफल हो जाता है, और लड़के की मौत हो जाती है। आश्चर्य की बात यह है कि लड़के का परिवार उसके अवशेषों को उसी पेड़ के नीचे दफना देता है जहां लड़के ने अनुष्ठान किया था।
फिल्म की कहानी आगे बढ़ती है, जहां मॉडर्न डे पुणे में बिट्टू (अभय वर्मा) से हमारी मुलाकात होती है, जो एक हैंडसम, लेकिन शर्मीले स्वभाव का लड़का है। बिट्टू कॉस्मेटोलॉजी स्टूडेंट है, जो अपनी मां पम्मी (मोना सिंह) और दादी (सुहास जोशी) के साथ रहता है। हालांकि, बिट्टू इतना डरपोक है कि वह जिस लड़की से प्यार करता है बेला (शरवरी), उससे तक इजहार नहीं कर पाता। उसमें इतनी हिम्मत नहीं है कि वह अपने जज्बात बयान कर सके। इन सब के बीच, बिट्टू को अतीत से आती हुई आवाजें और विजन परेशान करते रहते हैं। लेकिन, बिट्टू की ज़िंदगी तब अचानक बदल जाती है, जब उसके गाँव में एक फैमिली वेडिंग के बीच एक पुराना राज सामने आता है, जो उसे हिलाकर रख देता है।
पम्मी की हिचकिचाहट और दादी का छुपा हुआ डर सामने आता है। दरअसल, बिट्टू के परिवार में चेतुक-बारी (मुंज्या के मूल स्थान) के भाग्य को लेकर तनाव बना हुआ है। बिट्टू का चाचा एक खौफनाक पारिवारिक रहस्य का खुलासा करता है: जिसमें वह बताता है कि दादी वही लड़की है जिसने अपने भाई को अनजाने में मुंज्या बना दिया, जिसे एक दुष्ट आत्मा माना जाता है। कहानी में इसके बाद बड़ा ट्विस्ट आता है और इस खुलासे के बाद, बिट्टू को उस खतरनाक शक्ति का सामना करना पड़ता है।
मुंज्या से पोजेस होने के बाद, बिट्टू बहुत सारी सुपरनैचुरल चीजों से दो चार होता है। इन सब के बीच, उसकी दादी की मौत हो जाती है। अब जब वह दुष्ट आत्मा बेला को अपना निशाना बनाना चाहती है, बिट्टू को मुंज्या को शांत करने के लिए मुन्नी को ढूंढना पड़ता है, जो और कोई नहीं बल्कि बेला की दादी निकलती है। आत्मा की बेला के लिए बढ़ते जुनून को देख बिट्टू एक ओझा (सत्यराज) से मदद मांगता है, और यह सब एक रोमांचक से भरा अनुभव देता है।
मुज्या हॉरर कॉमेडी जॉनर में एक गेम चेंजर की तरह उभर कर सामने आती नजर आ रही है। जबरदस्त प्लॉट और थ्रिल के साथ हंसाने वाली कहानी दर्शकों को अंत तक अपने साथ बांधे रखने का वादा करती है। फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर और म्यूजिक सस्पेंस को और भी बढ़ाता है, जिससे दर्शकों के दिलों को धड़कन तेज होने वाली है।
डायरेक्शन:
स्क्रीनप्ले और सिनेमेटोग्राफी को बहुत ही बारीकी से तैयार किया गया है, जो विजुअली काफी शानदार और कहानी को दमदार बनाता है। फिल्म में वीएफएक्स भी कमाल है जो Prime Focus group द्वारा किए गए हैं। फिल्म में एक्टर्स का परफॉर्मेंस टॉप लेवल का है, जिनमें अभय वर्मा और मोना सिंह ने अपनी जबरदस्त छाप छोड़ी है। वहीं, शर्वरी ने एक लव इंटरेस्ट के रूप में अपने किरदार के साथ न्याय किया है। बात की जाए सत्यराज की तो वह एक जानकार ओझा के रूप में अपना 100 परसेंट देते नजर आ रहे हैं। दिनेश विजन और अमर कौशिक द्वारा प्रोड्यूस, यह मैडॉक फिल्म्स प्रोडक्शन की एक मस्ट वॉच फिल्म है, जो हॉरर, कॉमेडी और दिल को छू लेने वाले पलों का दुर्लभ संयोजन प्रदान करती है। यह एक परफेक्ट फैमिली एंटरटेनर है, जो आपको सीट के किनारे रखती है। इतना ही नहीं यह हंसी और रोमांच का भी जबरदस्त डोज देती है।