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Riwaj Review: मायरा सरीन के दमदार अभिनय के साथ देखें तीन तलाक के विरुद्ध एक नारी की जंग, पढ़ें रिव्यू

Updated: 11 Mar, 2025 12:40 PM

riwaj film review in hindi

यहां पढ़ें रिवाज फिल्म का रिव्यू।

फिल्म: रिवाज (Riwaj)
कलाकार ; मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Chakraborty), आफताब शिवदासानी (Aftab Shivdasani), मायरा सरीन (Myra Sareen), अनीता राज (Anita Raj), जाकिर हुसैन (zakir hussain), जया प्रदा (Jaya Prada), अद्विक महाजन (Adhvik Mahajan), अश्वनी कपूर (Ashwani Kapoor)
प्रोड्यूसर  ; कशिश खान (Kashish Khan)
लेखक निर्देशक : मनोज सती (Manoj Sati)
बैनर : कशिश खान प्रोडक्शन (Kashish Khan Production)
प्लेटफॉर्म : ज़ी5(ZEE5)
रेटिंग : 3.5 स्टार्स

रिवाज: तीन तलाक के मुद्दे पर बॉलीवुड में कई फिल्में बनी हैं, जिनमें राज बब्बर की निकाह प्रमुख रही है। लेकिन इन दिनों ज़ी5 पर रिलीज हुई फिल्म रिवाज चर्चा का विषय बनी हुई है। यह फिल्म तीन तलाक के खिलाफ एक महिला की लड़ाई को दर्शाती है और इस मुद्दे पर एक हार्ड हिटिंग दृष्टिकोण पेश करती है। प्रोड्यूसर कशिश खान ने इस विषय को गंभीरता से उठाते हुए एक प्रभावशाली फिल्म बनाई है, जो निश्चित रूप से दर्शकों को सोचने पर मजबूर करती है।

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कहानी
फिल्म रिवाज की कहानी एक दृढ़ इच्छाशक्ति वाली महिला, ज़ैनब शेख की है, जो तीन तलाक के खिलाफ आवाज उठाती है। ज़ैनब का किरदार मायरा सरीन ने निभाया है, जो अपने अद्भुत अभिनय से इस किरदार को जीवंत कर देती हैं। जैनब एक ऐसी महिला है, जो तलाक की कड़ी परंपरा और समाज की बुराई के खिलाफ खड़ी होती है। फिल्म में जैनब के संघर्ष को दर्शाते हुए कई दिलचस्प और असरदार संवाद दिए गए हैं, जैसे "इनका जब मन होगा तलाक दे देंगे, जब मन होगा माफी मांगकर निकाह की बात कर लेंगे।" ज़ैनब का यह संवाद औरत के दर्द को बयां करता है। फिर वह आगे कहती है "मैं कसम खाती हूँ, तेरे जैसे लोगों का गुरुर तोड़ूंगी।" "तलाक औरत दे या मर्द दे, नुकसान तो परिवार का ही होता है।" इस तरह के संवाद के जरिये फ़िल्म में कई सन्देश भी दिए गए हैं। "यह लड़ाई मेरे अकेले की नहीं है।" जब फ़िल्म में ज़ैनब यह डायलॉग बोलती है तो लगता है कि वह पूरे समाज का प्रतिनिधित्व कर रही है और अन्याय के खिलाफ  लड़ाई लड़ रही है।
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निर्देशन
फिल्म का निर्देशन बहुत ही सटीक और प्रभावशाली है। निर्देशक ने इस संवेदनशील मुद्दे को बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत किया है। कहानी का प्रवाह और घटनाओं का जुड़ाव बहुत ही अच्छी तरह से किया गया है, जिससे दर्शक पूरी फिल्म में जुड़े रहते हैं। फिल्म में संवादों और दृश्यों के माध्यम से समाज की नकरात्मकताओं और महिलाओं के अधिकारों की आवश्यकता को प्रभावशाली ढंग से दिखाया गया है। फिल्म का निर्माण भी उच्च गुणवत्ता का है, जिससे यह दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ता है।

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अभिनय
मायरा सरीन ने जैनब शेख के किरदार को पूरी तरह से निभाया है। उनका अभिनय सहज और दिल को छूने वाला है, जो दर्शकों को किरदार से पूरी तरह जोड़ देता है। उनके संवाद अदायगी और चेहरे के एक्सप्रेशन ने फिल्म के हर पल को जीवंत किया है। इसके अलावा, मिथुन चक्रवर्ती और ज़ाकिर खान जैसे मंझे हुए कलाकारों ने भी अपने-अपने किरदारों में गहरी छाप छोड़ी है। मिथुन चक्रवर्ती वकील के रूप में अपने क्लाइंट के अधिकार की लड़ाई लड़ते हुए अपने अभिनय के साथ नज़र आते हैं। वहीं, ज़ाकिर खान का वकील के रोल में दिया गया संवाद "तीन तलाक कानून खत्म करने से देश का मुसलमान खुश नहीं होगा" बहस का मुद्दा बनाता है, जिस पर मिथुन चक्रवर्ती का जवाब "अल्लाह को तलाक पसन्द नहीं है" फिल्म की एक अहम बात बन जाता है। 

 

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