ग्रामीण भारत महोत्सव: Harvest Rhythms of the Earth ने पहले दिन छेड़ी परंपरा और कला की सुरमयी गूंज

Updated: 06 Jan, 2025 06:20 PM

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ग्रामीण भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और उद्यमशीलता का जश्न मनाने के लिए “ग्रामीण भारत महोत्सव” का भव्य आगाज नई दिल्ली के भारत मंडपम में हुआ।

नई दिल्ली। ग्रामीण भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और उद्यमशीलता का जश्न मनाने के लिए “ग्रामीण भारत महोत्सव” का भव्य आगाज नई दिल्ली के भारत मंडपम में हुआ। नाबार्ड द्वारा वित्तीय सेवाएं विभाग के अंतर्गत आयोजित इस महोत्सव का उद्देश्य ग्रामीण भारत की कला, संस्कृति और परंपराओं को वैश्विक मंच पर लाना है।

महोत्सव का मुख्य आकर्षण “हार्वेस्ट: रिदम्स ऑफ द अर्थ” नामक पांच दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव है, जिसे सहर के संजीव भार्गव ने परिकल्पित किया है। इस वर्ष का थीम है, “ग्रामीण भारत को आगे बढ़ाना।” यह उत्सव भारत की लोककथाओं, परंपरागत संगीत, नृत्य और कला को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का एक प्रयास है।

पहले दिन की झलकियां
पहले दिन का आरंभ वाराणसी के पाणिनि कन्या महाविद्यालय की टीम द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार से हुआ। इन मंत्रों की गूंज ने श्रोताओं को प्राचीन भारतीय परंपराओं की याद दिलाई। इसके बाद, राजस्थान के मंजूर खान मंगनियार और उनके समूह ने अपनी मधुर मंगनियार धुनों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी प्रस्तुतियों ने न केवल संगीत की गहराई को उभारा, बल्कि राजस्थान की मिट्टी की महक भी दर्शकों तक पहुँचाई।

सांस्कृतिक शाम को और खास बनाते हुए, आंध्र प्रदेश के अयाना मुखर्जी और उनके समूह ने कुचिपुड़ी नृत्य की अद्भुत प्रस्तुति दी। इस नृत्य ने न केवल शास्त्रीय परंपराओं को जीवंत किया, बल्कि दर्शकों को भारतीय संस्कृति की विविधता का एहसास भी कराया। इसके बाद, गौरी दिवाकर और उनके समूह ने कत्थक नृत्य की लयबद्ध प्रस्तुतियों से सभी का दिल जीत लिया। उनके हर कदम और मुद्राएँ भारतीय नृत्य शैली की उत्कृष्टता को दर्शा रही थीं।

संजीव भार्गव का संदेश
शहर के संस्थापक और निदेशक संजीव भार्गव ने इस अवसर पर कहा, “हार्वेस्ट एक ऐसा मंच है जो ग्रामीण भारत की आत्मा को सजीव रूप में प्रस्तुत करता है। यह न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर का उत्सव है, बल्कि यह दिखाता है कि हमारी ये परंपराएँ आज भी कितनी प्रासंगिक हैं। हर प्रस्तुति एक कहानी कहती है, जो परंपराओं से जुड़ी होने के बावजूद समय के साथ नई ऊँचाइयों तक पहुँचती है। यह मंच ग्रामीण समुदायों की मेहनत और रचनात्मकता को पहचान देने का एक प्रयास है।”

ग्रामीण जीवन की झलकियाँ
महोत्सव में न केवल सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ हैं, बल्कि ग्रामीण समुदायों की हस्तकलाओं, उत्पादों और उनकी जीवनशैली को प्रदर्शित करने वाली प्रदर्शनी भी है। इस प्रदर्शनी में विभिन्न राज्यों की हस्तनिर्मित वस्तुएँ, जैसे कपड़े, बर्तन, और आभूषणों का प्रदर्शन किया गया है। यहाँ आने वाले दर्शक इन वस्तुओं को खरीदने के साथ-साथ उनके पीछे की कहानियाँ भी जान सकते हैं।

इसके साथ ही, विभिन्न क्षेत्रों के ग्रामीण कलाकारों के साथ संवादात्मक सत्र भी आयोजित किए जा रहे हैं। इन सत्रों में कलाकार अपने अनुभव और उनकी कला के महत्व को साझा कर रहे हैं। यह सत्र युवा पीढ़ी के लिए न केवल प्रेरणादायक हैं, बल्कि उन्हें भारतीय परंपराओं के करीब लाने का एक जरिया भी हैं।

आगामी दिनों का कार्यक्रम
महोत्सव के अगले कुछ दिनों में कई अन्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ और कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगे। इनमें महाराष्ट्र के लावणी नृत्य, असम के बिहू नृत्य, और बंगाल के बाउल गायन जैसी प्रस्तुतियाँ शामिल हैं। इसके अलावा, पारंपरिक खेलों और ग्रामीण भारत के व्यंजनों का अनुभव लेने का भी अवसर मिलेगा।

समाप्ति समारोह पर रहेगा विशेष फोकस
महोत्सव का समापन 8 जनवरी, 2025 को एक विशेष कार्यक्रम के साथ होगा, जिसमें भारत के विभिन्न हिस्सों के कलाकार एक मंच पर अपनी प्रस्तुतियाँ देंगे। यह समापन समारोह भारत की विविधता और एकता का प्रतीक होगा।

समय और स्थान
यह सांस्कृतिक उत्सव 8 जनवरी, 2025 तक भारत मंडपम के हॉल नंबर 14 में रोजाना शाम 5:30 बजे से रात 8:00 बजे तक आयोजित किया जा रहा है। यह कार्यक्रम सभी कला और संस्कृति प्रेमियों के लिए एक सुनहरा अवसर है।

 

 

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