भोजपुरी सिनेमा में अश्लील गानों का दौर: DJ हिमांशु मिश्रा का चौंकाने वाला खुलासा!

Edited By Diksha Raghuwanshi,Updated: 25 Dec, 2024 04:13 PM

shocking revelation of dj himanshu mishra

भोजपुरी गानों में अश्लीलता का दौर 2000 के दशक की शुरुआत में जोर पकड़ने लगा। उस वक्त डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर गानों की पहुंच आसान हो गई और म्यूजिक इंडस्ट्री में पॉपुलैरिटी के लिए शॉर्टकट्स अपनाए जाने लगे।

मुंबई। भोजपुरी सिनेमा, जो कभी अपने सांस्कृतिक और पारिवारिक गानों के लिए जाना जाता था, आजकल अक्सर अपने अश्लील गानों को लेकर चर्चा में रहता है। लेकिन ऐसा क्यों हुआ? और ये दौर कब और कैसे शुरू हुआ? इस पर मशहूर DJ और GrooveNexus के फाउंडर हिमांशु मिश्रा ने अपनी राय रखी, जो हर किसी को सोचने पर मजबूर कर देती है।  

"हर गाना लोगों की डिमांड पर नहीं होता अश्लील!"

हिमांशु मिश्रा, जो DJ आर्टिस्ट के तौर पर अपने सफर में कई भोजपुरी गानों से जुड़े रहे हैं, बताते हैं, "आज भी ऐसे कई गाने हैं जो बहुत अच्छे होते हैं और लोग डिमांड पर सुनना पसंद करते हैं। लेकिन हां, ये सच है कि पिछले कुछ सालों में अश्लील गानों का चलन बढ़ा है।"  

हिमांशु के मुताबिक, इसका सबसे बड़ा कारण बदलता ऑडियंस का टेस्ट और सस्ती पब्लिसिटी पाने की होड़ है। "गानों में अब कंटेंट कम और कंट्रोवर्सी ज्यादा होती है। ये सिर्फ सिनेमा की गलती नहीं है, बल्कि हम सब इसमें कहीं न कहीं जिम्मेदार हैं," उन्होंने कहा।  

कब शुरू हुआ ये चलन? 
भोजपुरी गानों में अश्लीलता का दौर 2000 के दशक की शुरुआत में जोर पकड़ने लगा। उस वक्त डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर गानों की पहुंच आसान हो गई और म्यूजिक इंडस्ट्री में पॉपुलैरिटी के लिए शॉर्टकट्स अपनाए जाने लगे। "अच्छे गाने बनने बंद नहीं हुए, लेकिन अश्लील गाने तेजी से वायरल होने लगे, और ये ट्रेंड बन गया," हिमांशु बताते हैं।  

DJ आर्टिस्ट के तौर पर अनुभव
  
एक DJ के तौर पर हिमांशु ने अपने करियर में हर तरह के गाने बजाए हैं। वो मानते हैं कि भोजपुरी म्यूजिक की डिमांड अलग-अलग ऑडियंस के हिसाब से बदलती है। "कुछ लोग अच्छे गानों की डिमांड करते हैं, तो कुछ लोग उन गानों के लिए आते हैं जो बोल्ड और मसालेदार होते हैं। लेकिन हर DJ की जिम्मेदारी है कि वो म्यूजिक से जुड़े अच्छे वाइब्स बनाए रखें।"  

आगे क्या रास्ता?

हिमांशु का मानना है कि भोजपुरी म्यूजिक इंडस्ट्री को अपने कंटेंट पर ध्यान देना होगा। "अश्लीलता से कुछ वक्त के लिए पॉपुलैरिटी मिल सकती है, लेकिन ये म्यूजिक की पहचान नहीं बन सकती। हमें अपने कल्चर और ऑडियंस की भावनाओं को ध्यान में रखकर गाने बनाने चाहिए।"  

भोजपुरी म्यूजिक को लेकर उम्मीदें

हिमांशु मिश्रा जैसे म्यूजिक एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इंडस्ट्री में सुधार की गुंजाइश है। "अच्छे आर्टिस्ट्स और गानों को प्रमोट करने की जरूरत है। अगर हम सही दिशा में काम करें, तो भोजपुरी म्यूजिक फिर से अपनी खोई हुई पहचान वापस पा सकता है।"  

भोजपुरी म्यूजिक के फैंस और इंडस्ट्री के लिए ये वक्त सोचने का है। आखिरकार, म्यूजिक का असली मकसद एंटरटेनमेंट के साथ-साथ समाज को जोड़ना भी है

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