Review: गांव की राजनीति में महिलाओं की असल भागीदारी को दिखाती है Sir Madam Sarpanch

Updated: 13 Apr, 2023 10:24 AM

sir madam sarpanch review in hindi

यहां जानें कैसी है प्रवीण मोरछले की फिल्म 'सर मैडम सरपंच'

फिल्म- सर मैडम सरपंच (Sir Madam Sarpanch)
डायरेक्टर- प्रवीण मोरछले (Praveen Morchhale)  
कास्ट- सीमा बिस्वास (Seema Biswas), एरियाना सजनानी (Ariana Sajnani),भवन तिवारी (Bhawan Tiwari)
रेटिंग- 3

Sir Madam Sarpanch Review: राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक प्रवीण मोरछले की फिल्म सर मैडम सरपंच एक सामाजिक व्यंग्य पर आधारित है। जिसमें भारतीय महिलाओं की अकल्पनीय कहानी को दिखाया गया है। यह फिल्म 14 अप्रैल को सिनेमाघरों में दस्तक देने के लिए तैयार है। फिल्म में सीमा बिस्वास के साथ भवन तिवारी, एरियाना सजनानी, हेमंत देओलेकर, ज्योति दुबे और शुभांगिनी श्रीवास प्रमुख भूमिका में नजर आ रहे हैं। 'सर मैडम सरपंच' फ्रांस में आयोजित वेसौल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ एशियन सिनेमाज में इनाल्को जूरू अवॉर्ड अपने नाम कर चुकी है। 

कहानी
फिल्म की कहानी एना पर आधारित है जो अमेरिका से अपनी पढ़ाई करके भारत लौटी है। वह अपने पापा के गांव आती है, जहां उसकी दादी और पूरा परिवार रहता है। एना अपने पापा की किताबों से गांव में एक लाइब्रेरी खोलना चाहती है। एना की दादी ( सीमा  बिस्वास) सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं और देश-विदेश की खबरों में काफी दिलचस्पी रखती है। गांव में लाइब्रेरी खोलने के विचार की सभी सराहना करते हैं लेकिन मुसीबत तब बढ़ जाती है जब उसे पता चलता है कि उसके परिवार की जमींन पर गांव के मुखिया ने कब्जा कर रखा है। मुखिया की पत्नी गांव की सरपंच होती है। एना उसकी जमीन वापस करने के लिए मुखिया से कहती है लेकिन वह कब्जा की गई जमीन आसानी से छोड़ना नहीं चाहता है। वह एना से कहता है कि लाइब्रेरी खोलने की सही जगह गांव का स्कूल है।

एना इस सिलसिले में जब स्कूल के प्रिंसिपल से बात करती है तो वह मुखिया के कहने पर वह उसे लंबी चौड़ी एनओसी (NOC) की लिस्ट थमा देता है। एना के लाख कोशिश करने के बाद भी उसे कहीं से एनओसी नहीं मिलती है। ऐसे में गांव में सरपंच के चुनावों का एलान हो जाता है और एना चुनाव लड़ने का फैसला करती है। गांव का मुखिया अब तक शराब और कंबल बांटकर आसानी से इलेक्शन जीत जाता था लेकिन इसे बार उसके सामने अलग हालात है।  क्या एना चुनाव जीत पाएगी? क्या वह गांव में लाइब्रेरी खोलने में कामयाबी हासिल कर पाएगी? क्या वह गांव में भष्ट्राचार और असल हालातों को बदलेगी ? इन सभी सवालों के जवाब तो आपको सिनेमाघर जाकर ही मालूम होंगे। 

एक्टिंग
पूरी फिल्म का जिम्मा सीमा बिस्वास और एरियाना सजनानी के कंधों पर टिका हुआ है। जिसे दोनों कलाकारों ने बेहतरीन तरीके ने निभाया है। एरियाना ने हर सीन को शानदार तरीके से पर्दे पर प्रस्तुत किया है। भवन तिवारी ने भी बढ़िया काम किया है। ज्योति दुबे को जितना भी स्क्रीन स्पेस मिला, उन्होंने अपने किरदार में जान डालने का काम किया। 

डायरेक्शन
प्रवीण मोरछले ने इस बार भी अपने काम को बेहतरीन तरीके से किया है। फिल्म में गांव की पृष्ठभूमि को दिखाया है इसीलिए उन्होंने हर छोटी-छोटी चीजों पर ध्यान दिया है। कहानी को और मजबूती से पेश करने के लिए भाषा, पहनावा और कई चीजों पर बढ़िया रिसर्च की है। कम बजट के बाद भी 'सर मैडम सरपंच' अपने आप में गहरा संदेश लिए हुए है। 

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