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Review: छोटे शहर के सपनों की बड़ी फिल्मी कहानी है सुपरबॉयज ऑफ मालेगांव, यहां पढ़ें रिव्यू

Updated: 27 Feb, 2025 12:13 PM

superboys of malegaon review in hindi

यहां पढ़ें कैसी है फिल्म सुपरबॉयज ऑफ मालेगांव

फिल्म- सुपरबॉयज ऑफ मालेगांव (Superboys of Malegaon)
स्टारकास्ट- आदर्श गौरव (Adarsh Gourav), विनीत कुमार सिंह (Vineet Kumar singh), शशांक अरोड़ा (Shashank Arora)
निर्देशन: रीमा कागती (Reema Kagti)
रेटिंग-3.5*

Superboys of Malegaon Review: बड़े शहरों से छोटे कस्बों की अपनी एक अलग ही दुनिया होती है। यहां की अपनी समस्याएं, अपने ख्वाब, और अपनी एक अलग पहचान होती है। ये वो जगहें हैं जहां लोग अपने सपनों को जीने की कोशिश करते हैं, और कभी-कभी इन सपनों को पूरा करने की ताकत किसी में नहीं होती। ऐसी ही एक दिल को छू जाने वाली कहानी लेकर आईं है रीमा काग्ती। रीमा काग्ती के निर्देशन में बनी फिल्म सुपरबॉयज ऑफ मालेगांव जिसमें आदर्श गौरव, विनीत कुमार सिंह और शशांक अरोड़ा मुख्य भूमिकाओं में नजर आ रहे हैं। फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। आइए जानते हैं कैसी है फिल्म सुपरबॉयज ऑफ मालेगांव।

कहानी
यह फिल्म महाराष्ट्र के नासिक जिले के मालेगांव की कुछ लड़कों की कहानी है, जो फिल्में देखने के शौकीन होते हैं। लेकिन मालेगांव में फिल्में देखना आसान नहीं है, क्योंकि पायरेटेड फिल्में उपलब्ध होती हैं, जिन्हें पुलिस द्वारा प्रतिबंधित किया जाता है। इस कठिनाई के बावजूद, ये लड़के खुद अपनी फिल्में बनाने का फैसला करते हैं। आदर्श गौरव और शशांक अरोड़ा के किरदार मिलकर इस सफर में एक साथ कदम रखते हैं और एक लेखक (विनीत कुमार सिंह) का साथ पाते हैं। फिल्म में इस संघर्ष और फिल्म निर्माण की तमाम चुनौतियों को दिखाया गया है, जिसमें स्टार्स के नखरे, फाइनेंसरों के दबाव, और दोस्ती में खटास जैसी स्थितियां आती हैं। फिल्म और किस तरह के ट्वविस्ट और टर्न है यह जानने के लिए आपको पूरी फिल्म देखनी होगी।

निर्देशन और राइटिंग 
रीमा कागती की यह फिल्म अलग-अलग दृष्टिकोण से फिल्म निर्माण की प्रक्रिया को समझाती है। उन्होंने इस फिल्म को बड़ी सधी हुई तरीके से प्रस्तुत किया है। हर दृश्य और किरदार को इस तरह से पेश किया है कि बिना किसी बड़े स्टार के भी फिल्म दिल को छूने वाली बन जाती है। फिल्म की गति और उसका अन्दाज दर्शकों को बांध कर रखता है। यह फिल्म दिखाती है कि अच्छे सिनेमा का मतलब केवल बड़े नामों से नहीं होता, बल्कि एक सशक्त कहानी और बेहतरीन निर्देशन से होता है। वरुण ग्रोवर ने इस फिल्म के संवाद और कहानी को बेहतरीन तरीके से लिखा है। राइटिंग में उनका विजन साफ तौर पर दिखता है। फिल्म की प्रत्येक लाइन और संवाद दर्शकों को प्रभावित करता है। 

अदाकारी 
आदर्श गौरव ने शानदार अभिनय किया है। उनके किरदार में समय के साथ बदलाव आया है और यह बदलाव बहुत सहज तरीके से आया है, जो एक अच्छे अभिनेता की पहचान होती है। शशांक अरोड़ा और विनीत कुमार सिंह भी अपने रोल में पूरी तरह से फिट बैठे हैं। विशेष रूप से विनीत कुमार सिंह का अभिनय खासतौर पर सराहनीय है। उनकी चमक अब पूरे सिनेमा जगत में दिखाई दे रही है, और उनकी परफॉर्मेंस ने फिल्म को और भी गहरा बना दिया है। 

संक्षेप में यह फिल्म फिल्म निर्माण की कठिनाइयों और उसकी संवेदनाओं पर आधारित है, जो न केवल मालेगांव बल्कि पूरे बॉलीवुड पर एक आईना दिखाती है। यह एक इमोशनल और दिल छूने वाली फिल्म है, जो हर वर्ग के दर्शकों के लिए है। अगर आप फिल्में बनाने के प्रति उत्साही हैं, तो यह फिल्म मिस न करें।

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