स्टेलर ग्रुप द्वारा ₹52 करोड़ के गबन मामले में चार्जशीट दाखिल

Edited By Diksha Raghuwanshi,Updated: 11 Sep, 2024 04:10 PM

chargesheet filed in embezzlement case of 52 crore by stellar dmi finance

स्टेलर समूह की कंपनियों और डी एम आई फाइनेंस प्रा. लि. पर 52 करोड़ रुपए के गबन और फर्जी दस्तावेज बनाने के गंभीर आरोप में अभि कम्प्यूसॉफ्ट प्राइवेट लिमिटेड की शिकायत और जांच के बाद अंततः चार्जशीट दाखिल कर दी गई है।

नोएडा: स्टेलर समूह की कंपनियों और डी एम आई फाइनेंस प्रा. लि. पर 52 करोड़ रुपए के गबन और फर्जी दस्तावेज बनाने के गंभीर आरोप में अभि कम्प्यूसॉफ्ट प्राइवेट लिमिटेड की शिकायत और जांच के बाद अंततः चार्जशीट दाखिल कर दी गई है।

क्या है पूरा मामला ?

2018 में डीएमआई फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड ने एक परियोजना के विकास के लिए 55 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की थी। शर्तों के अनुसार, यह धनराशि केवल परियोजना के लिए ही उपयोग हो सकती थी और इसका इस्तेमाल किसी भी निजी हित या कर्ज चुकाने के लिए नहीं किया जा सकता था। इसके बावजूद, आरोप है कि डीएमआई फाइनेंस लिमिटेड और स्टेलर समूह की कंपनियों ने इस राशि का उपयोग अपने निजी कर्जों को चुकाने में किया। 52 करोड़ रुपए का गबन किया गया।  यह स्पष्ट रूप से उस समझौते का उल्लंघन है, जिसके तहत यह धनराशि आवंटित की गई थी। इसमें 33 करोड़ रुपए डीएमआई ग्रुप द्वारा एक कंपनी को जारी किए गए फिर उस कंपनी से दूसरी कंपनी को ट्रांसफर किया और फिर इन पैसों का इस्तेमाल डीएमआई ग्रुप का ही लोन चुकाने में किया गया। इतना ही नहीं डीएमआई और स्टेलर ग्रुप ने इस धोखाधड़ी के लिए फर्जी दस्तावेजों बनवाकर उनका इस्तेमाल किया जो कि अपराध है। डीएमआई प्राइवेट लिमिटेड के युवराज सिंह, शिवाशीश चैटर्जी, विवेक गुप्ता, पुनिंदर भाटिया और स्टेलर कंपनी के रवि मोहन सेठी और अक्षय सेठी की मिलीभगत से इस पूरे गबन को अंजाम दिया गया।

केस की पृष्ठभूमि

अभि कम्प्यूसॉफ्ट प्राइवेट लिमिटेड ने इस अनियमितता का पता लगने के बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने मामले की जांच का आदेश दिया था। आरोपों के आधार पर डीएमआई फाइनेंस लिमिटेड के खिलाफ कई अनियमितताओं की शिकायतें दर्ज की गईं। इसके साथ ही, स्टेलर समूह की कंपनियों पर भी वित्तीय धोखाधड़ी और धन के गलत उपयोग के आरोप लगे हैं।

जांच के दौरान यह पाया गया कि धन का उपयोग परियोजना के विकास के बजाय अन्य उद्देश्यों के लिए किया गया था। यह न केवल समझौते का उल्लंघन है बल्कि यह धोखाधड़ी का मामला भी बनता है। इस मामले में, अभि कम्प्यूसॉफ्ट प्राइवेट लिमिटेड ने यह दावा किया कि उन्होंने इस वित्तीय अनियमितता को उजागर करने के लिए अदालत में याचिका दाखिल की थी।

अदालत की कार्यवाही और चार्जशीट

हाईकोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए डीएमआई फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ आरोपों पर स्टे लगा रखा है। हालांकि, स्टेलर समूह की कंपनियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है। जांच एजेंसियों ने चार्जशीट में विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया है जिसमें स्टेलर समूह की कंपनियों द्वारा धन के गलत उपयोग के आरोप स्पष्ट किए गए हैं।

यह मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इसमें वित्तीय संस्थानों और कंपनियों की मिलीभगत से संबंधित कई सवाल खड़े हो रहे हैं। अदालत में इस मामले की अगली सुनवाई जल्द होने की संभावना है, जिसमें मामले के अन्य पहलुओं पर भी गौर किया जाएगा।

अभि कम्प्यूसॉफ्ट का बयान

अभि कम्प्यूसॉफ्ट प्राइवेट लिमिटेड के प्रवक्ता ने बताया कि वे इस अनियमितता के खिलाफ लड़ाई को अंजाम तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका दावा है कि यह मामला एक बड़े वित्तीय घोटाले की ओर इशारा करता है और इसमें शामिल सभी पक्षों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

आगे की कार्यवाही

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत इस मामले में क्या फैसला देती है। डीएमआई फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड और स्टेलर समूह की कंपनियों पर लगे आरोपों की सत्यता क्या साबित होती है और किस प्रकार का निर्णय सुनाया जाता है, यह आने वाले समय में स्पष्ट हो जाएगा।

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