Edited By Auto Desk,Updated: 14 Apr, 2022 01:52 PM
बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर के जयंती कार्यक्रम में मुख्यातिथि रही महिला एवं बाल विकास मंत्री कमलेश ढांडा
कैथल: हम भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार, भारत रत्न से सम्मानित डॉ भीमराव रामजी अम्बेडकर जी के 131वीं जयंती कार्यक्रम में उनकी विचारधाराओं के आदान-प्रदान तथा उनके जन-जन तक प्रसार और प्रचार के लिए एकत्रित हुए हैं। आज बाबा साहब की जयंती के साथ-साथ बैसाखी पर्व व महावीर जयंती की भी प्रदेश, जिलेवासियों को शुभकामनाएं। बाबा साहब सामाजिक समानता के लिए निरंतर संघर्षशील रहें, समाज सुधारक की भूमिका में रहे।
भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माता डा भीमराव रामजी अम्बेडकर का जन्म भले ही मध्य प्रदेश के इंदौर के पास महु में हुआ हो, लेकिन आज वह देश ही नहीं विश्वभर में कोने-कोने में फैले भारतीयों के दिल में विशेष स्थान रखते हैं। विपरीत परिस्थितियों में शिक्षा प्राप्त करने के दौरान समाज के अंदर जिन चुनौतियों का सामना बाबा साहब जी ने किया, वैसे उदाहरण कम ही देखने को मिलते हैं। उन्होंने उन चुनौतियों के समाधान का दृढ संकल्प लिया और अपनी मजबूत इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए जीवन भर विशेष प्रयास किए थे।
जीवन के 65 वर्षों में सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, संवैधानिक इत्यादि विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करके बाबा साहब ने राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिसे हम कभी भी भुला नहीं सकते। राज्यमन्त्री कमलेश ढांडा ने कहा कि ‘बाबा साहब ने समता, समानता, बन्धुता एवं मानवता पर आधारित भारतीय संविधान को 2 वर्ष 11 महीने और 18 दिन के कठिन परिश्रम से तैयार कर 26 नवंबर 1949 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी का सौंपा था’। उन्होंने देश के समस्त नागरिकों को राष्ट्रीय एकता, अखंडता और व्यक्ति की गरिमा की जीवन पदति से भारतीय संस्कृति को अभिभूत होने की दिशा में मील का पत्थर स्थापित किया।
बाबा साहब आज से सात दशक पहले भी महिला सशक्तिकरण की दिशा में काम करने के लिए संघर्षरत रहे। उनके मूकनायक और बहिष्कृत भारत नामक समाचार पत्र महिला सशक्तिकरण पर आधारित थे। न्यूयार्क में पढाई के दौरान भी उनके मन में महिलाओं के उत्थान की दिशा में काम करने की इच्छा थी। वह मानते थे कि भारतीय महिलाओं की शिक्षा के लिए सकारात्मक कदम उठाने होंगे।