भारत को ऑर्थोपेडिक इम्प्लांट्स में आत्मनिर्भर और वैश्विक लीडर बनाना है लक्ष्य

Updated: 16 Apr, 2025 05:47 PM

aim is to make india self reliant and a global leader in orthopedic implants

मरीज-विशेष इम्प्लांट्स हमारी सबसे इनोवेटिव पहलों में से एक है। CT स्कैन के माध्यम से मरीज की हड्डियों की 3D इमेज बनाई जाती है, जिसके आधार पर हम खास डिज़ाइन तैयार करते हैं।

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। 1998 में जब मैंने ऑर्थोटेक की नींव रखी, उस समय भारत में ऑर्थोपेडिक इम्प्लांट्स के क्षेत्र में विदेशी कंपनियों का बोलबाला था। मुझे लगा कि भारत में भी ऐसे इम्प्लांट्स बनने चाहिए जो भारतीय मरीजों और सर्जनों की ज़रूरतों को बेहतर ढंग से समझें। यही सोच हमें आगे ले गई और हमने हिप रिप्लेसमेंट से शुरुआत की। समय के साथ हमने रिसर्च और डेवलपमेंट में गहराई से काम करना शुरू किया, जिससे हमें देश के बड़े-बड़े सर्जनों का विश्वास मिला। आज हम शोल्डर और एल्बो रिप्लेसमेंट तक का निर्माण कर रहे हैं, और 2025 में हम अपना नी रिप्लेसमेंट इम्प्लांट भी लॉन्च करने जा रहे हैं।

ऑर्थोटेक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि हम ‘सस्ता हो, लेकिन गुणवत्ता में कोई समझौता नहीं’ इस सिद्धांत पर काम करते हैं। हमारे हर इम्प्लांट को डॉक्टर्स की सलाह से डिजाइन किया जाता है, और रिसर्च के लिए हम IIT गुवाहाटी और CGCRI जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ मिलकर काम करते हैं। हम देश की कुछ पहली कंपनियों में से हैं जिन्होंने रोबोटिक प्लाज्मा कोटिंग और 3D प्रिंटिंग की मदद से मरीज-विशेष इम्प्लांट्स तैयार करना शुरू किया।

मरीज-विशेष इम्प्लांट्स हमारी सबसे इनोवेटिव पहलों में से एक है। CT स्कैन के माध्यम से मरीज की हड्डियों की 3D इमेज बनाई जाती है, जिसके आधार पर हम खास डिज़ाइन तैयार करते हैं और टाइटेनियम जैसे उन्नत मटीरियल से उसे 3D प्रिंट करते हैं। यह उन मरीजों के लिए खास तौर पर उपयोगी है जिनकी हड्डी सामान्य आकार से अलग होती है या जिन्होंने पहले कोई सर्जरी करवाई होती है। इससे इम्प्लांट बेहतर फिट होता है और रिकवरी तेज होती है।

हमारी IIT गुवाहाटी के साथ साझेदारी रिसर्च और प्रैक्टिकल इनोवेशन का आदर्श उदाहरण है। वहाँ हमारे द्वारा स्थापित रिसर्च सेंटर में PhD स्टूडेंट्स और इंजीनियर्स मिलकर नए तरह के इम्प्लांट्स पर काम कर रहे हैं। इससे हमें न केवल भारत में बनी नई तकनीकों को बढ़ावा देने का मौका मिल रहा है, बल्कि हम ग्लोबल लेवल पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार हो रहे हैं।
इस वर्ष वर्ल्ड हेल्थ डे का फोकस महिलाओं और बच्चों की सेहत पर है, जो निस्संदेह अहम है। लेकिन इसके साथ हमें हड्डियों की सेहत को भी नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। गलत जीवनशैली, बढ़ती उम्र और गतिहीन जीवन के चलते आज हड्डियों से जुड़ी समस्याएं आम हो गई हैं। हमारे इम्प्लांट्स लोगों को दोबारा चलने-फिरने लायक बनाते हैं  खासकर उन महिलाओं के लिए, जो अक्सर अपनी सेहत को परिवार के बाद प्राथमिकता देती हैं।

भविष्य की बात करें तो 2025 में हमारा फोकस नी रिप्लेसमेंट इम्प्लांट्स के लॉन्च पर है। इसके साथ ही हम मरीज-विशेष 3D प्रिंटेड इम्प्लांट्स को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की तैयारी कर रहे हैं। रोबोट-सहायता प्राप्त सर्जरी में भी हम निवेश कर रहे हैं। हमारा सपना है कि भारत ऑर्थोपेडिक इम्प्लांट्स के क्षेत्र में न केवल आत्मनिर्भर बने, बल्कि विश्व में नेतृत्व भी करे।

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