Updated: 23 Nov, 2022 09:23 AM
अच्छा मानसिक स्वास्थ्य केवल मानसिक बीमारी के बारे में नहीं है, यह अपने बारे में अच्छा महसूस करने से भी सम्बंधित है।
टीम डिजिटल। अच्छा मानसिक स्वास्थ्य केवल मानसिक बीमारी के बारे में नहीं है, यह अपने बारे में अच्छा महसूस करने से भी सम्बंधित है। मानसिक स्वास्थ्य से तात्पर्य हमारा भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक स्वास्थ्य भी है जो हमारे सोचने, महसूस करने और व्यवहार करने के तरीके को प्रभावित करता है। यह हमारी सफलता को निर्धारित करने में मदद करने के साथ साथ तनाव को प्रबंधित करने, रिश्तों को सँभालने में भी मदद करता है।
मानसिक स्वास्थ्य पूरे विश्व के लिए एक गंभीर समस्या है जिससे भारत भी अछूता नहीं है, इसकी भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दुनिया भर में लगभग 800 मिलियन लोग विभिन्न प्रकार के मानसिक मुद्दों जैसे स्ट्रेस, डिप्रेशन, एंग्जायटी, ईटिंग डिसऑर्डर आदि से जूझ रहे हैं। इतनी बड़ी संख्या में मानसिक समस्या होने के बावजूद, लोग तक मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं नहीं पहुँच पा रही है, जिसका मुख्य कारण मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर की कमी, इससे जुड़ा कलंक, वर्जना और सामाजिक भेदभाव है। लोग इन विषयों पर या खुद के मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर बात करने में शर्म महसूस करते है तथा इस बात से भी आशंकित रहते है कि उसे सामाजिक हेय की दृष्टि से देखा जायेगा।
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेन्टल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेस (NIMHANS ) के अनुसार 150 मिलियन भारतीय नागरिकों को मानसिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की आवश्यकता है, लेकिन केवल 30 मिलियन को ही मदद मिल पाता है । इसका मतलब है कि लगभग 80 प्रतिशत लोग जिनको सेवा की जरुरत है, वो इससे वंचित है। इसी बीच ऐसी खबर आयी है जो उम्मीद देती है. देश के जाने विशषज्ञों ने पिछले कुछ समय में देश की एकलौती मेन्टल हेल्थ मैगज़ीन "साइकोलॉग्स" में शामिल हुए है जो इस बात का सूचक है कि मानसिक स्वास्थ्य संबधी समस्या के प्रति जागरूकता की कमी से विशेषज्ञ भी चिंतित है।
एडिटर इन चीफ के पद पर अरविन्द ओत्ता कार्यरत है जो एक प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक होने के साथ मानसिक स्वास्थ्य एक्टिविस्ट के तौर पर लम्बे समय से सक्रिय है। गोपा भरद्वाज (दिल्ली यूनिवर्सिटी की पूर्व डीन, सोशल साइंस), सी. आर. मुकुंदन (निम्हांस के पूर्व विभागाध्यक्ष, क्लीनिकल साइकोलॉजी), अकबर हुसैन (अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व डीन, सोशल साइंस) ने एसोसिएट एडिटर का पद भार ग्रहण किया है। विवेक अग्रवाल (केजीएमयू के विभागाध्यक्ष, साइकाइट्री ), उदय सिन्हा (इहबास के विभागाध्यक्ष क्लीनिकल साइकोलॉजी ), जय प्रकाश (रिनपास के विभागाध्यक्ष, क्लीनिकल साइकोलॉजी), सुजाता साहनी (वाईस चांसलर, आईआईएलएम ) के साथ १० और मनोवैज्ञानिक और मनोचिकित्सक एडिटोरिअल बोर्ड में शामिल हुए है।
साइकोलॉग्स Magazine (Psychologs Magazine) के कार्यो को काफी सराहा जा रहा है क्योकि मैगज़ीन का कंटेंट हर वर्ग के लिए उपयुक्त है तथा पिछले कुछ वर्षो से ये मैगज़ीन हर माह लाखो लोगो तक पहुंच कर उसे मानसिक स्वास्थ्य से अवगत करा रही है। साइकोलॉग्स समय समय पर मानसिक स्वास्थ्य मुद्दे पर कार्यक्रम भी आयोजन करता है जिसमे किसी विशेष मुद्दे पर लोगो को जागरूक और प्रशिक्षित किया जाता है
मेन्टल हेल्थ प्रोफेशनल से सिर्फ मानसिक बिमारी में ही नहीं बल्कि सिर्फ मानसिक उलझन या अनसुलझे मानसिक परेशानियों में भी मिला जा सकता है जिससे हम अपने जीवन को बेहतर ढंग से जी पाते है। कुछ ऐसे लक्षण है जिस स्थिति में मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक से मिलकर सलाह लेनी चाहिए।
• जीवन में आनंद महसूस न करना ।
• अत्यधिक दुःख या क्रोधित रहना।
• ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होना।
• खाने की आदतों में बदलाव।
• सोने के पैटर्न में बदलाव।
• अत्यधिक/अनावश्यक भय या चिंता।
• निराश या असहाय महसूस करना।
बहुत से लोग अपने मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात करने में झिझकते हैं, लेकिन यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि मदद मांगना ताकत की निशानी है, कमजोरी की नहीं।