Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 19 Feb, 2025 05:04 PM
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अंगोला में इस समय हैजा महामारी ने हाहाकार मचा दिया है। पिछले कुछ हफ्तों में इस बीमारी ने देश के कई हिस्सों में तबाही मचाई है, जिससे हजारों लोग प्रभावित हुए हैं। इस महामारी के कारण अब तक 150 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें बच्चे भी शामिल हैं।...
इंटरनेशनेल डेस्क: अंगोला में इस समय हैजा महामारी ने हाहाकार मचा दिया है। पिछले कुछ हफ्तों में इस बीमारी ने देश के कई हिस्सों में तबाही मचाई है, जिससे हजारों लोग प्रभावित हुए हैं। इस महामारी के कारण अब तक 150 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें बच्चे भी शामिल हैं। स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ती जा रही है क्योंकि रोज़ाना हैजा के मामलों में वृद्धि हो रही है।
अंगोला में 7 जनवरी से ही हैजा के मामलों की शुरुआत हुई थी और तब से यह सिलसिला लगातार जारी है। अब तक देश के 10 प्रांतों में हैजा फैल चुका है। सबसे अधिक प्रभावित प्रांत लुआंडा (Luanda) और बेंगो (Bengo) हैं, जो एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। इन प्रांतों में महामारी के सबसे अधिक मामले सामने आ रहे हैं। इसके अलावा, देश के बाकी हिस्सों में भी मामले बढ़ते जा रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार अब तक 4,235 लोग इस बीमारी से संक्रमित हो चुके हैं और इसमें हर रोज़ 100 से ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं।
हैजा से मौतों का आंकड़ा बढ़ा
अंगोला में इस महामारी के कारण अब तक 150 लोगों की मौत हो चुकी है। मृतकों में बच्चे भी शामिल हैं। इस बीमारी के फैलने से अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है और स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि मृतकों की संख्या में और वृद्धि हो सकती है। हालात इतने गंभीर हो गए हैं कि अब यह महामारी न केवल अंगोला बल्कि अन्य अफ्रीकी देशों के लिए भी चिंता का कारण बन गई है।
हैजा के खिलाफ वैक्सीनेशन अभियान
इस महामारी से निपटने के लिए अंगोला सरकार ने तेजी से वैक्सीनेशन अभियान शुरू किया है। अब तक लगभग 9,30,000 लोगों को हैजा के खिलाफ टीका लगाया जा चुका है। यह आंकड़ा देश की लक्षित आबादी का 86% है। इस अभियान का उद्देश्य संक्रमण के प्रसार को रोकना और अधिक लोगों को सुरक्षित करना है। हालांकि, वैक्सीनेशन की गति को और तेज़ करने की आवश्यकता है, ताकि महामारी के फैलाव को रोका जा सके।
सैंपल जांच की धीमी प्रक्रिया
एक बड़ी समस्या यह है कि हैजा के सैंपल की जांच की रफ्तार बहुत धीमी है। सरकारी रिपोर्ट्स के अनुसार, हर दिन सिर्फ 20 सैंपल्स की जांच की जा रही है, जो कि इस गंभीर महामारी के मुकाबले बहुत कम है। इस संख्या को बढ़ाने के लिए जरूरी कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि संक्रमण के फैलाव को समय रहते पहचाना जा सके और सही इलाज किया जा सके।