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Earthquake: भूकंप के जोरदार झटकों से कांप उठी धरती, घरों से बाहर की ओर भागे लोग

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 09 Mar, 2025 11:59 AM

earthquake earth trembled due to strong tremors of earthquake

तिब्बत में हाल ही में आए भूकंपों की श्रृंखला से लोग दहशत में हैं। रविवार को तिब्बत में रिक्टर स्केल पर 4.0 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया।

इंटरनेशनल डेस्क:  तिब्बत में हाल ही में आए भूकंपों की श्रृंखला से लोग दहशत में हैं। रविवार को तिब्बत में रिक्टर स्केल पर 4.0 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया। भूकंप आने पर लोग घरों से बाहर की ओर निकल गए। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, यह भूकंप 10 किमी की गहराई पर आया, जिससे आफ्टरशॉक की संभावना बनी रहती है। इससे पहले शनिवार को भी तिब्बत में भूकंप आया था, जिसकी तीव्रता 5.2 मापी गई। यह भूकंप भी 10 किमी की गहराई पर आया था। 4 मार्च को भी एक और भूकंप महसूस किया गया था, जिसकी तीव्रता 4.2 थी और यह केवल 5 किमी की गहराई पर आया था। लगातार आ रहे इन भूकंपों से यह साफ होता है कि यह क्षेत्र भूकंपीय रूप से अत्यधिक सक्रिय है।

उथले भूकंप होते हैं ज्यादा खतरनाक

विशेषज्ञों के अनुसार, उथले भूकंप गहरे भूकंपों की तुलना में अधिक खतरनाक होते हैं क्योंकि यह सतह के करीब होते हैं और अधिक ऊर्जा छोड़ते हैं। इससे जमीन अधिक हिलती है और संरचनाओं को गंभीर नुकसान हो सकता है। तिब्बती पठार टेक्टोनिक प्लेटों के टकराव के कारण अक्सर भूकंपीय गतिविधियों का शिकार होता है। यह क्षेत्र एक प्रमुख भूगर्भीय दोष रेखा पर स्थित है, जहां भारतीय टेक्टोनिक प्लेट यूरेशियन प्लेट में ऊपर की ओर धकेलती है। इससे इस क्षेत्र में नियमित रूप से भूकंप आते हैं।

हिमालय की ऊँचाई पर भी पड़ सकता है असर

भूकंपविज्ञानियों के अनुसार, यह टेक्टोनिक उत्थान इतना शक्तिशाली हो सकता है कि इससे हिमालय की चोटियों की ऊँचाई में भी परिवर्तन हो सकता है। इसका प्रभाव न केवल तिब्बत बल्कि नेपाल और भारत के हिमालयी क्षेत्र पर भी पड़ सकता है।

भूकंप से बचाव के लिए क्या करें?

एल पासो स्थित टेक्सास विश्वविद्यालय के भूवैज्ञानिक विज्ञान के प्रोफेसर मैरिएन कार्प्लस के अनुसार, भूकंप से बचने के लिए लोगों को भूकंप-प्रतिरोधी इमारतों के निर्माण और रेट्रोफिटिंग पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भूकंप के समय सुरक्षा उपायों की जानकारी लोगों को दी जानी चाहिए ताकि जनहानि को कम किया जा सके।

वैज्ञानिकों का कहना है कि वर्तमान तकनीकों के बावजूद भूकंप की सटीक भविष्यवाणी संभव नहीं है। हालांकि, तिब्बत में भूकंप के कारणों को समझने और उनके प्रभावों को कम करने के लिए लगातार अध्ययन किए जा रहे हैं।

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