Edited By ,Updated: 09 Jul, 2016 03:29 PM
आज हम अापकाे एक ऐसी महिला के बारे में आपको बताने जा रहा हैं, जिसने अपने साहस से समाज के सामने अपने आप को खड़ा किया और महिलाअाें के साथ हाे रहे दाेहरे व्यवहार का विराेध किया।
नई दिल्लीः आज हम अापकाे एक ऐसी महिला के बारे में आपको बताने जा रहा हैं, जिसने अपने साहस से समाज के सामने अपने आप को खड़ा किया और महिलाअाें के साथ हाे रहे दाेहरे व्यवहार का विराेध किया। जानकारी के मुताबिक, इंडोनेशिया में निर्वासित जीवन व्यतीत कर रही मीणा असदी एक कराटे चैंपियन हैं। वह शोषित और शरणार्थी बच्चों को प्रशिक्षित करती हैं। असदी पाकिस्तान और अफग़ानिस्तान दोनों के लिए कराटे में मेडल जीत चुकी हैं।
एक समाचार पत्र काे दिए इंटरव्यू में असदी ने बताया कि 1990 के दौर में जब अफग़ानिस्तान में गृह युद्ध जैसें हालात थे, तब मीणा का परिवार वहां से भाग कर पाकिस्तान के क्वेटा में आकर बस गया था। उसका झुकाव कराटे की ओर था, लेकिन एक लड़की का कराटे को अपने पैशन के रूप में अपनाना नामुमकिन था। बावजूद इसके मीणा ने अपने जुनून को खत्म नहीं होने दिया। असदी के मुताबिक, मैं बहुत ही हठी थी। 13 साल की उम्र में मैं एक क्लब के कोच के पास गई और कहा कि मुझे काराटे सीखने है। उन्होंने कहा कि जब तक मैं पैसे देती रहूंगी, उन्हें सिखाने में कोई समस्या नहीं।
एक समय मीणा पाकिस्तान में अपने करियर के सबसे उच्चत्तम प्वाइंट पर थी। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर के चैंपियनशिप को जीत लिया और साथ ही 2010 में ढाका में SAF गेम्स में तीन Bronze Medal भी जीता। लेकिन वह इस धारणा को नहीं बदल पाईं कि लड़कियाें की जगह रसोईघर में होती है और उसे भी प्रोत्साहन के बजाय अत्याचार और उत्पीड़न ही नसीब हुआ। उसके पास कराटे छोड़ने के सिवाय कोई विकल्प नहीं था। उसने अपना बोरिया-बिस्तर समेटा और अफग़ानिस्तान के लिए निकल गईं। यहां उसने राष्ट्रीय टीम बनाई और विभिन्न प्रतियोगिताओं में देश का प्रतिनिधित्व करना शुरू कर दिया। अपने आप को आर्थिक रूप मे मजबूत करने के लिए उन्होंने बच्चों को कराटे का प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया।
लेकिन अफग़ानिस्तान के चरमपंथियों को मीणा द्वारा लड़के-लड़कियों को एक साथ ट्रेनिंग देना मंजूर नहीं था। हालात इतने खराब हो गए कि मीणा डर-डर कर जीने लगीं और अंत में तालिबान द्वारा मीणा को वहां से निर्वासित कर दिया गया। बहरहाल, वर्तमान में मीणा इंडोनेशिया में रहती हैं, जहां वे एक क्लब चलाती हैं, जो The Cisarua Refugee Learning Centre के नाम से जाना जाता है। मीणा ने अपने हाैंसले से पारंपरिक महिला वाली छवि को तोड़ने का काम किया है।