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टीचर की करतूत, हिंदू छात्र की कलाई से काटा कलावा, मच गया बवाल

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 04 Feb, 2025 12:44 PM

teachers act cuts the sacred thread from the wrist of hindu student

दक्षिण अफ्रीका में एक स्कूल शिक्षक द्वारा एक हिंदू छात्र की कलाई से धार्मिक धागा (कलावा) काटने की घटना ने पूरे हिंदू समुदाय को झकझोर दिया है। इस हरकत के बाद हिंदू समाज में गुस्से का माहौल बन गया है, और उन्होंने इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की...

इंटरनेशनल डेस्क: दक्षिण अफ्रीका में एक स्कूल शिक्षक द्वारा एक हिंदू छात्र की कलाई से धार्मिक धागा (कलावा) काटने की घटना ने पूरे हिंदू समुदाय को झकझोर दिया है। इस हरकत के बाद हिंदू समाज में गुस्से का माहौल बन गया है, और उन्होंने इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। यह घटना दक्षिण अफ्रीका के क्वाजुलु-नताल प्रांत के ड्रेकेंसबर्ग सेकेंडरी स्कूल में घटी। हिंदू धर्म में कलाई पर कलावा (धागा) बांधना एक धार्मिक परंपरा है, जो भक्तों को पवित्रता और सुरक्षा का अहसास कराता है। लेकिन यहां शिक्षक ने इस परंपरा को नकारते हुए एक छात्र की कलाई से उसका कलावा काट दिया। छात्र और उसके परिवार के सदस्य इस हरकत से बेहद आहत हुए, और इसकी कड़ी निंदा की गई।

हिंदू समुदाय का विरोध

इस घटना के बाद दक्षिण अफ्रीका के हिंदू समुदाय में भारी गुस्सा है। दक्षिण अफ्रीकी हिंदू महासभा (एसएएचएमएस) ने इसे एक असंवेदनशील और गैर-जिम्मेदाराना कदम बताते हुए शिक्षा अधिकारियों से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। संगठन ने एक प्रेस बयान में कहा कि यह न केवल धार्मिक असहिष्णुता को बढ़ावा देता है, बल्कि यह छात्रों की धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन भी है।

शिक्षक का बचाव

इस बीच, शिक्षक ने अपनी तरफ से यह दावा किया कि स्कूल में सांस्कृतिक और धार्मिक प्रतीकों के पहनने की अनुमति नहीं है। उनका कहना था कि यह कदम स्कूल के नियमों के तहत लिया गया था। हालांकि, यह तर्क हिंदू समुदाय के लोगों को संतुष्ट करने में नाकामयाब रहा, जो इसे एक धार्मिक अधिकार का उल्लंघन मानते हैं।

संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन?

दक्षिण अफ्रीका का संविधान धर्म, जाति, और संस्कृति के आधार पर भेदभाव को सख्ती से मना करता है। इसके तहत धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार प्रत्येक नागरिक को प्राप्त है। ऐसे में इस प्रकार की घटना संविधान द्वारा निर्धारित अधिकारों का उल्लंघन प्रतीत होती है। इसके बाद, दक्षिण अफ्रीका में मानवाधिकार आयोग को इस मामले में जांच करने की सिफारिश की गई है।

दक्षिण अफ्रीका के उपराष्ट्रपति की हिंदू समुदाय की सराहना

हालांकि, यह घटना एक ओर विवाद का कारण बनी हुई है, दक्षिण अफ्रीका के उपराष्ट्रपति पॉल माशातिले ने हाल ही में हिंदू समुदाय की भूमिका की सराहना की थी। उन्होंने कहा था कि हिंदू समुदाय की सांस्कृतिक धरोहर और मूल्य दक्षिण अफ्रीका के समाज के लिए समृद्ध और महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने विशेष रूप से बीएपीएस संस्था के द्वारा स्थापित बहु-सांस्कृतिक केंद्र और मंदिर के पहले चरण के उद्घाटन के दौरान हिंदू समुदाय की भूमिका की सराहना की थी।

हिंदू समाज में गुस्सा, कार्रवाई की मांग

अब हिंदू समाज ने इस घटना को लेकर ठानी है कि शिक्षक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। हिंदू महासभा ने कहा है कि यह मामला सिर्फ एक छात्र के कलावे तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे हिंदू समाज के अधिकारों पर हमला है। उनका कहना है कि अगर ऐसे मामलों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो इससे धर्मनिरपेक्षता और धार्मिक स्वतंत्रता पर बड़ा आघात पहुंचेगा।

 

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