Edited By Rahul Rana,Updated: 26 Nov, 2024 04:58 PM
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थकों द्वारा आयोजित प्रदर्शन हिंसक हो गया है जिसके परिणामस्वरूप 6 सुरक्षाकर्मी मारे गए और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए। यह प्रदर्शन इमरान खान की रिहाई की मांग को लेकर किया जा रहा था और यह इस्लामाबाद के...
इंटरनेशनल डेस्क। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थकों द्वारा आयोजित प्रदर्शन हिंसक हो गया है जिसके परिणामस्वरूप 6 सुरक्षाकर्मी मारे गए और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए। यह प्रदर्शन इमरान खान की रिहाई की मांग को लेकर किया जा रहा था और यह इस्लामाबाद के डी-चौक इलाके में बढ़ता जा रहा है।
अर्धसैनिक बल और पुलिस पर हमला
‘रेडियो पाकिस्तान’ के मुताबिक सोमवार रात इस्लामाबाद के श्रीनगर राजमार्ग पर एक वाहन द्वारा टक्कर मारे जाने से पाकिस्तान रेंजर्स के चार अधिकारी मारे गए। इसके अलावा पांच रेंजर्स और कई पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए। इस हमले के बाद प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाकर्मियों पर पत्थरबाजी के साथ ही गोलीबारी भी की।
इसके बाद रावलपिंडी के चुंगी नंबर 26 पर सुरक्षाकर्मियों पर अंधाधुंध गोलीबारी की गई जिससे पुलिस के दो कर्मी मारे गए। इस हिंसक हमले में कई अन्य सुरक्षाकर्मी गंभीर रूप से घायल हुए हैं।
पीटीआई समर्थकों का विरोध और झड़पें
इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के समर्थक इस्लामाबाद के डी-चौक में स्थित सरकारी दफ्तरों की ओर बढ़ रहे थे। उन्हें रोकने के लिए सुरक्षाबलों ने अवरोधक लगाए थे लेकिन प्रदर्शनकारियों ने इन अवरोधों को तोड़ दिया और हिंसा की। इस दौरान हकला इंटरचेंज पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई, जिसमें एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई।
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का बयान
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस हिंसा की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि जो लोग इस हिंसा में शामिल हैं उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने सुरक्षाकर्मियों पर हमले को गलत और अस्वीकार्य बताया और इसके लिए जिम्मेदार लोगों को पहचान कर कार्रवाई करने का आदेश दिया।
सेना तैनात और गोली मारने के आदेश
हिंसा के बढ़ते हुए हालात को देखते हुए पाकिस्तान सरकार ने इस्लामाबाद में सेना तैनात करने का फैसला लिया है। इसके अलावा सुरक्षा बलों को गोली मारने के आदेश दिए गए हैं ताकि उपद्रव को काबू किया जा सके।
यह घटना पाकिस्तान में चल रहे राजनीतिक तनाव को और बढ़ा सकती है और देश की सुरक्षा स्थिति को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है।