Edited By Rohini Oberoi,Updated: 21 Jan, 2025 02:52 PM
भारतीय रेलवे ने एक नई उपलब्धि हासिल करते हुए दुनिया के सबसे शक्तिशाली हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाले ट्रेन इंजन का विकास किया है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में इस इंजन की खासियतें बताई हैं। यह इंजन 1,200 हॉर्सपावर की ताकत देता है जो इसे अपनी...
नेशनल डेस्क। भारतीय रेलवे ने एक नई उपलब्धि हासिल करते हुए दुनिया के सबसे शक्तिशाली हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाले ट्रेन इंजन का विकास किया है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में इस इंजन की खासियतें बताई हैं। यह इंजन 1,200 हॉर्सपावर की ताकत देता है जो इसे अपनी श्रेणी में सबसे शक्तिशाली बनाता है।
हाइड्रोजन इंजन के बारे में
दुनिया भर में सिर्फ चार देशों ने हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों का सफलतापूर्वक निर्माण किया है। इन देशों में जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन और चीन शामिल हैं जिनके इंजन 500 से 600 हॉर्सपावर की रेंज जनरेट करते हैं। भारतीय रेलवे का हाइड्रोजन इंजन 1,200 हॉर्सपावर देता है जो इस तकनीकी उपलब्धि को खास बनाता है।
हाइड्रोजन ट्रेन क्यों खास है?
हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनें हाइड्रोजन फ्यूल सेल का उपयोग करती हैं जिससे कार्बन उत्सर्जन कम होता है और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचता। इन ट्रेनों का संचालन बहुत ही शांतिपूर्ण और प्रदूषण-मुक्त होता है। ये ट्रेनें पुराने डीजल और इलेक्ट्रिक इंजन की तुलना में बेहतर ऑप्शन हैं क्योंकि इनमें शून्य उत्सर्जन और कम शोर होता है जिससे यात्रियों को बेहतरीन अनुभव मिलता है।
हाइड्रोजन ट्रेन के फायदे
➤ जीरो इमिशन: हाइड्रोजन ट्रेनें प्रदूषण को नियंत्रित करती हैं और कार्बन उत्सर्जन को कम करती हैं।
➤ कम शोर: इन ट्रेनों में शोर बहुत कम होता है जो यात्रा को आरामदायक बनाता है।
➤ लंबी दूरी की यात्रा: इन ट्रेनों का ईंधन टैंक एक बार भरने पर 1,000 किलोमीटर तक चल सकता है।
➤ तेज़ रफ्तार: इन ट्रेनों की अधिकतम स्पीड 140 किमी/घंटा हो सकती है।
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ट्रायल कब होगा?
हाइड्रोजन ट्रेन का ट्रायल हरियाणा के जींद-सोनीपत रूट पर किया जाएगा जो 90 किलोमीटर की दूरी तय करेगा। इसके अलावा भारत के प्रसिद्ध और दूरदराज क्षेत्रों जैसे दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, नीलगिरी माउंटेन रेलवे, कालका-शिमला रेलवे और अन्य हेरिटेज माउंटेन रेलवे पर भी इसका परीक्षण किया जाएगा।
भारत का यह प्रयास रेलवे क्षेत्र में एक नई क्रांति की शुरुआत कर सकता है और इसे पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।