Edited By Rohini Oberoi,Updated: 27 Mar, 2025 11:56 AM

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने हाल ही में एक ऐसा कदम उठाया है जो भारतीय छात्रों के लिए चिंता का कारण बन सकता है। ट्रंप सरकार ने उन छात्रों के नाम और राष्ट्रीयता की जानकारी मांगी है जो विश्वविद्यालयों में एंटी-सेमिटिक (यहूदी...
इंटरनेशनल डेस्क। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने हाल ही में एक ऐसा कदम उठाया है जो भारतीय छात्रों के लिए चिंता का कारण बन सकता है। ट्रंप सरकार ने उन छात्रों के नाम और राष्ट्रीयता की जानकारी मांगी है जो विश्वविद्यालयों में एंटी-सेमिटिक (यहूदी विरोधी) उत्पीड़न और बड़े कैंपस प्रदर्शनों में शामिल रहे हैं। इससे यह आशंका जताई जा रही है कि ऐसे छात्रों को डिपोर्ट (देश से बाहर निकाले जाने) का जोखिम बढ़ सकता है खासकर विदेशी छात्रों के लिए।
क्या है पूरा मामला?
ट्रंप प्रशासन ने उन विश्वविद्यालयों पर सख्ती की धमकी दी है जिन पर यह आरोप है कि उन्होंने यहूदी छात्रों को उचित सुरक्षा नहीं दी। इसके अलावा प्रशासन ने उन छात्रों की जानकारी भी मांगी है जिन पर उत्पीड़न का आरोप है। यह जानकारी एक 'सूचना लिस्ट' तैयार करने के लिए ली जा रही है ताकि भविष्य में उन छात्रों को देश से बाहर निकाला जा सके।
भारतीय छात्रों के लिए चिंताजनक कदम
भारत के छात्र जो अमेरिकी विश्वविद्यालयों में सबसे बड़ी संख्या में पढ़ाई कर रहे हैं इस कदम से विशेष रूप से प्रभावित हो सकते हैं। 2023-2024 के आंकड़ों के अनुसार अमेरिका में 3,31,602 भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। ऐसे में अगर यह नीति लागू होती है तो भारतीय छात्रों को नई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
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कोलंबिया विश्वविद्यालय का उदाहरण
इस नीति की शुरुआत कोलंबिया विश्वविद्यालय से हुई थी जहां कुछ छात्रों को यहूदी छात्रों की सुरक्षा की उचित व्यवस्था न करने का आरोप लगा। इसके बाद ट्रंप प्रशासन ने विश्वविद्यालय को $400 मिलियन का फंड रोकने की धमकी दी और कई सुधारात्मक कदम उठाने को कहा। कोलंबिया ने इसके जवाब में अपनी नीतियों में बदलाव किए हैं और छात्रों की पहचान के लिए आदेश दिया है।
अगर नीति लागू होती है तो क्या होगा?
अगर ट्रंप प्रशासन की यह नीति पूरी तरह से लागू होती है तो अमेरिकी विश्वविद्यालयों में पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्रों के लिए नई समस्याएं पैदा हो सकती हैं। ऐसे छात्रों पर खास ध्यान दिया जाएगा जो किसी राजनीतिक आंदोलन में शामिल होते हैं और उन्हें बिना किसी अपराध के भी निशाना बनाया जा सकता है।
वहीं ट्रंप प्रशासन का यह कदम भारतीय छात्रों के लिए चिंता का विषय बन सकता है। अगर यह नीति लागू होती है तो छात्रों को डर हो सकता है कि अगर वे किसी आंदोलन में शामिल होते हैं तो उनका नाम और राष्ट्रीयता भविष्य में उन्हें मुश्किल में डाल सकते हैं। ऐसे में भारतीय छात्रों को इस बदलाव के बारे में पूरी जानकारी रखना आवश्यक है ताकि वे अपने अधिकारों को समझ सकें और कानूनी परेशानी से बच सकें।