Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 25 Mar, 2025 12:36 PM

मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में एक 130 साल पुराने हिंदू मंदिर को हटाने की योजना बनाई गई है। इस स्थान पर अब एक नई मस्जिद बनाई जाएगी, जिसका शिलान्यास प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम करेंगे। इस फैसले से वहां की हिंदू और अन्य गैर-मुस्लिम आबादी में आक्रोश...
इंटरनेशनल डेस्क: मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में एक 130 साल पुराने हिंदू मंदिर को हटाने की योजना बनाई गई है। इस स्थान पर अब एक नई मस्जिद बनाई जाएगी, जिसका शिलान्यास प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम करेंगे। इस फैसले से वहां की हिंदू और अन्य गैर-मुस्लिम आबादी में आक्रोश है। सरकार का कहना है कि मंदिर सरकारी जमीन पर बना था, जिसे 2014 में एक कपड़ा कंपनी जैकेल को बेच दिया गया था। देवी श्री पथराकालीअम्मन मंदिर 130 साल पुराना है और यह कुआलालंपुर के मध्य में स्थित है। यह मंदिर मस्जिद इंडिया के पास स्थित है, जो 140 साल पुरानी तमिल मुस्लिम मस्जिद के नाम पर बनी थी। हिंदू समुदाय का दावा है कि मंदिर का निर्माण मुस्लिम मस्जिद के 10 साल बाद हुआ था। ऐसे में इसे हटाने का निर्णय गलत बताया जा रहा है।
कैसे हुई मंदिर की जमीन की बिक्री?
मलेशिया सरकार ने 2014 में इस जमीन को जैकेल नामक कंपनी को बेच दिया। इस कंपनी के दिवंगत संस्थापक मोहम्मद जैकेल अहमद ने इस भूमि को खरीदकर वहां मस्जिद बनाने की इच्छा जताई थी। उनका उद्देश्य था कि इसे मुस्लिम समुदाय के लिए उपहार के रूप में दिया जाए। हालांकि, इस निर्णय पर बीते कुछ हफ्तों में ही तीव्र प्रतिक्रिया सामने आने लगी।
मंदिर हटाने पर क्यों हो रहा विरोध?
लॉयर्स फॉर लिबर्टी के कार्यकारी निदेशक जैद मालेक ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री की जल्दबाजी पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि मंदिर प्रबंधन, जैकेल और सिटी हॉल के बीच अब भी चर्चा जारी है और ऐसे में मस्जिद का शिलान्यास करना उचित नहीं है। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर बहस तेज हो गई है। लोगों का मानना है कि इस कदम से धार्मिक भेदभाव उजागर होता है।
प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम की सफाई
प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने कहा है कि मंदिर कानूनी रूप से मान्य नहीं था और इसे हटाया जाएगा। हालांकि, सरकार मंदिर को स्थानांतरित करने और उसके लिए दूसरी भूमि देने की योजना पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि वह खुद को किसी मंदिर को गिरवाने वाला प्रधानमंत्री नहीं मानते और इस मामले को सौहार्दपूर्ण तरीके से हल किया जाएगा।
हिंदू नेताओं की प्रतिक्रिया
जातीय भारतीय पार्टी उरीमाई के पी रामासामी ने इस निर्णय की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह मंदिर मलेशिया की स्वतंत्रता से पहले से स्थापित है और इसे हटाना धार्मिक भेदभाव को दर्शाता है। उन्होंने सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की। कुछ मलय मुस्लिमों ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी और कहा कि चूंकि भूमि अब निजी स्वामित्व में है, इसलिए जैकेल कंपनी को अपनी योजना पूरी करने की अनुमति मिलनी चाहिए।