जग जाहिर हो रही  पाक-चीन रिश्तों में खटास, सुरक्षा और निवेश पर मंडराया बड़ा संकट

Edited By Tanuja,Updated: 24 Nov, 2024 01:26 PM

advertisement growing trust deficit threatens pak china alliance

पाकिस्तान और चीन के बीच "आयरन ब्रदर्स" कहे जाने वाले रिश्ते में बढ़ती दरारें अब सतह पर आ रही हैं। पाकिस्तान की इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) ने हाल ही में अपने अधिकारियों और फील्ड यूनिट्स को निर्देश दिया...

International Desk: पाकिस्तान और चीन के बीच "आयरन ब्रदर्स" कहे जाने वाले रिश्ते में बढ़ती दरारें अब सतह पर आ रही हैं। पाकिस्तान की इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) ने हाल ही में अपने अधिकारियों और फील्ड यूनिट्स को निर्देश दिया है कि वे चीनी ऐप WeChat और Huawei मोबाइल फोन का इस्तेमाल संगठनात्मक संचार के लिए बंद कर दें, खासकर चीनी नागरिकों से जुड़े मामलों में। यह निर्देश नवंबर 2024 में जारी हुआ, जबकि अक्टूबर में आईबी ने इन्हीं चीनी प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करने का आदेश दिया था। इस बदलाव ने पाकिस्तान-चीन रिश्तों में तकनीकी अविश्वास को उजागर किया है, जो अब सुरक्षा और आपसी भरोसे में भी दिखाई दे रहा है। पहले जहां चीन को पाकिस्तान का प्रमुख तकनीकी भागीदार माना जाता था, वहीं अब इन प्लेटफॉर्म्स की सुरक्षा को लेकर शंका व्यक्त की जा रही है।  

ये भी पढ़ेंः- यूक्रेन का नामो निशान मिटाने की तैयारी में रूस ! पुतिन ने बढ़ाया मिसाइल उत्पादन, बढ़ गई पश्चिम की टेंशन

चीन के "सेंचुरी स्टील प्रा. लि." ने 11 नवंबर को पाकिस्तान के विशेष निवेश सुविधा परिषद (SIFC) को सूचित किया कि वह रश्काई विशेष आर्थिक क्षेत्र (RSEZ) में 18 अवरुद्ध समस्याओं के चलते पाकिस्तान से अपनी परियोजना वापस ले रहा है। इस परियोजना में कंपनी ने पहले चरण में $82 मिलियन और अगले चरणों में $200 मिलियन का निवेश करने की योजना बनाई थी। यह कदम न केवल निवेश के प्रति बढ़ती नकारात्मकता को दर्शाता है, बल्कि पाकिस्तान को एक जोखिमपूर्ण निवेश गंतव्य के रूप में चिन्हित करता है। पाकिस्तान में चीनी नागरिकों की सुरक्षा को लेकर भी स्थिति गंभीर होती जा रही है।


ये भी पढ़ेंः- COP29: भारत ने  300 अरब USD का नया जलवायु वित्त समझौता ठुकराया
 

अक्टूबर 2024 में कराची हवाई अड्डे के पास एक आत्मघाती हमले में दो चीनी इंजीनियरों की मौत और दस अन्य घायल हुए। इस हमले की जिम्मेदारी बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने ली। इस तरह की घटनाएं न केवल चीन को परेशान कर रही हैं, बल्कि चीनी निवेशकों और नागरिकों का पाकिस्तान पर विश्वास भी कम कर रही हैं। एक चीनी व्यवसायी ने पंजाब में स्पष्ट रूप से कहा कि "हम यह नहीं मानते कि अधिक पाकिस्तानी सैनिक हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे।" उनका यह बयान दोनों देशों के बीच सार्वजनिक रूप से व्यक्त कूटनीतिक मर्यादाओं को तोड़ता है। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC), जो राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का प्रमुख हिस्सा है, इन सुरक्षा चिंताओं का केंद्र बन गया है। हालांकि पाकिस्तान ने 15,000 से अधिक सुरक्षाकर्मी और अन्य सुरक्षा उपाय किए हैं, लेकिन चीन की अपेक्षाओं को पूरा करने में विफल रहा है।


ये भी पढ़ेंः- लेखक अमिताव घोष ‘इरास्मस पुरस्कार' के लिए नामित, कहा- "जलवायु संकट को कर्म और धर्म के नजरिए से देखता हूं"
 

चीन ने अपनी सुरक्षा का जिम्मा खुद संभालने का प्रयास किया है। चीनी कंपनियां स्थानीय गार्डों के साथ अपने सुरक्षा इंजीनियर तैनात कर रही हैं, जो घटनाओं की निगरानी और खुफिया जानकारी जुटाने का काम करते हैं। इसके बावजूद, पाकिस्तान विदेशी सुरक्षा एजेंसियों को अनुमति देने से इनकार करता है, जिससे स्थिति और जटिल हो गई है। चीन के राजदूत जियांग ज़ाइदोंग ने सुरक्षा हमलों को "अस्वीकार्य" बताते हुए चेतावनी दी कि यह CPEC के लिए "बाधा" बन रहा है। चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग के अक्टूबर में पाकिस्तान दौरे के दौरान भी इस पर जोर दिया गया। इंटेलिजेंस ब्यूरो का चीनी तकनीकी प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध इस बात की ओर इशारा करता है कि पाकिस्तान अब चीनी तकनीक को भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं मानता। यह तकनीकी, आर्थिक और सुरक्षा क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच बढ़ते अविश्वास को उजागर करता है।   

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!