Edited By Rahul Rana,Updated: 21 Nov, 2024 12:48 PM
अफगानिस्तान की 17 वर्षीय लड़की नीला इब्राहिमी की बहादुरी से आदेश पलट गया है जिसकी अब दुनियाभर में सराहना भी की जा रही है। हाल ही में नीला इब्राहिमी को अंतरराष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार से नवाजा गया है। यह पुरस्कार उन्हें उनकी साहसिकता और लड़कियों के...
इंटरनॅशनल डेस्क। अफगानिस्तान की 17 वर्षीय लड़की नीला इब्राहिमी की बहादुरी से आदेश पलट गया है जिसकी अब दुनियाभर में सराहना भी की जा रही है। हाल ही में नीला इब्राहिमी को अंतरराष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार से नवाजा गया है। यह पुरस्कार उन्हें उनकी साहसिकता और लड़कियों के अधिकारों के लिए संघर्ष के कारण दिया गया। यह वही पुरस्कार है जिसे पहले पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई, स्वीडन की ग्रेटा थुनबर्ग, और नकोसी जॉनसन जैसे दिग्गजों को मिल चुका है।
नीला इब्राहिमी ने विरोध गीत किया रिकॉर्ड
नीला इब्राहिमी वह लड़की हैं जिन्हें अफगानिस्तान में अपनी आवाज उठाने के लिए दवाब डाला गया था, लेकिन उन्होंने हार मानने के बजाय अपनी लड़ाई जारी रखी। अफगानिस्तान में तालिबान के शासन के दौरान 2021 में काबुल शिक्षा निदेशालय ने 12 साल से ऊपर की लड़कियों के सार्वजनिक रूप से गाने पर रोक लगा दी थी। नीला ने इस आदेश का विरोध किया और एक अभियान की शुरुआत की, जिसे #IAmMySong नाम दिया गया।
उन्होंने विरोध गीत रिकॉर्ड किया और इसे सोशल मीडिया पर वायरल किया, जिसके बाद कुछ ही हफ्तों में यह आदेश वापस ले लिया गया। इस घटना ने नीला को एक प्रभावशाली एक्टिविस्ट बना दिया।
नीला ने एक इंटरव्यू में बताया कि जब उन्होंने पहली बार इस विरोध को शुरू किया, तो उन्हें यह जोखिम भरा लगा, लेकिन जब उन्होंने देखा कि उनका कदम असर डाल रहा है, तो उनका हौसला बढ़ा। उन्होंने यह भी कहा कि जब महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन किसी एक देश में हो रहा है, तो पूरी दुनिया प्रभावित होती है।
इसके बाद नीला अपने परिवार के साथ अफगानिस्तान से पाकिस्तान चली गईं, और फिर कनाडा में बस गईं। कनाडा में रहते हुए, वह अफगानी लड़कियों के अधिकारों की वकालत करती रही हैं। बता दें कि नीला के साहस और संघर्ष के कारण उन्हें यह पुरस्कार मिला है और अब वह एक प्रेरणा बन चुकी हैं।