दिल दहला देगी "बच्चा-बाज़ी" की भयावह कहानी, लड़की बनकर सालों मालिक की ‘रखैल’ बना रहा लेकिन...

Edited By Tanuja,Updated: 31 Oct, 2024 07:17 PM

afghanistan bacha bazi and human rights violations

अफगानिस्तान में एक गंभीर सामाजिक कुप्रथा है जिसे "बच्चा-बाज़ी" कहा जाता है। इस प्रथा में छोटे लड़कों को यौन गुलामी के लिए रखा जाता...

International Desk:अफगानिस्तान में एक गंभीर सामाजिक कुप्रथा है जिसे "बच्चा-बाज़ी" कहा जाता है। इस प्रथा में छोटे लड़कों को यौन गुलामी के लिए रखा जाता है। तालिबान के शासन के बावजूद, इस पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाई जा सकी है। इस प्रथा का शिकार होने वाले लड़कों को अक्सर गरीब परिवारों से चुना जाता है, जहां तालिबान के कमांडर उन्हें अपनी संपत्ति की तरह देखते हैं।

  

एक पीड़ित ने अपनी कहानी साझा करते हुए बताया कि कैसे उसे उठाकर एक नए जीवन में डाल दिया गया। उसे लड़कियों की तरह सजाया गया और मालिक के दोस्तों के सामने नृत्य करने के लिए मजबूर किया गया। उसे अच्छे खाने और पैसे का लालच देकर बंधक बना लिया गया। हालांकि, इसके बदले में उसे यौन शोषण का सामना करना पड़ता था। पीड़ित ने कहा कि शुरुआत में यह सब उसे दर्द देता था, लेकिन धीरे-धीरे उसे इसकी आदत हो गई।

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बच्चा-बाज़ी की प्रथा खासकर अफगानिस्तान के पश्तून समुदाय में आम है। यहां लड़कों को एक तरह से महिलाओं के स्थान पर देखा जाता है, और ऐसा करने से कमांडर अपनी मर्दानगी साबित करते हैं। समाज में यह माना जाता है कि लड़के रखने से आदमी की ताकत बढ़ती है। जो कमांडर बच्चा-बाज़ी में शामिल होते हैं, उन्हें सजा का सामना करने पर भी अपने परिचितों के बीच यह प्रथा जारी रखने में संकोच नहीं होता।

  

इस प्रथा के तहत लड़कों का यौन शोषण होता है, जिससे वे कई बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। जब ये लड़के समाज में लौटते हैं, तो वे सामान्य जीवन जीने में असमर्थ होते हैं। कई बार परिवार भी इन्हें अपनाने में हिचकिचाते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, यदि किसी ने इस प्रथा का विरोध किया, तो उसे गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ सकता है।

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बच्चा-बाज़ी एक गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन है, जो हजारों लड़कों के जीवन को प्रभावित करता है। यह प्रथा न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए भी हानिकारक है। इससे लड़कों का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है, और इसके खिलाफ जागरूकता और कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता है। अफगानिस्तान में इस कुप्रथा को समाप्त करने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है।

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