बांग्लादेश में तख्तापलट और हिंसा पर अमेरिका की पहली प्रतिक्रिया आई सामने, कहा- स्थिति पर हमारी नजर

Edited By Yaspal,Updated: 06 Aug, 2024 06:25 AM

america s first reaction came on the coup and violence in bangladesh

बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच अमेरिका की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति पर अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा, "हमने यह घोषणा देखी है कि प्रधानमंत्री हसीना ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है और बांग्लादेश...

वाशिंगटनः बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच अमेरिका की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति पर अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा, "हमने यह घोषणा देखी है कि प्रधानमंत्री हसीना ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है और बांग्लादेश छोड़ दिया है। हम स्थिति पर सावधानीपूर्वक नज़र रख रहे हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका बांग्लादेश के लोगों के साथ खड़ा है। हम सभी पक्षों से आगे की हिंसा छोड़ने की अपील की है। पिछले कई हफ़्तों में बहुत से लोगों की जान चली गई है और हम आने वाले दिनों में शांति और संयम बरतने का आग्रह करते हैं। हम अंतरिम सरकार की घोषणा का स्वागत करते हैं और आग्रह करते हैं कि कोई भी बदलाव बांग्लादेश के कानूनों के अनुसार किया जाए। पिछले हफ्तों में सप्ताहांत में मानवाधिकारों के हनन, हताहतों और चोटों की रिपोर्टों से हम बहुत दुखी हैं।

हिंडन एयरबेस पहुंची शेख हसीना
आपको बता दें कि  बांग्लादेश में अराजकता की स्थिति के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया और सेना के हेलीकॉप्टर से बांग्लादेश छोड़ दिया। शेख हसीना का हेलीकॉप्टर त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में उतरा, वहां से विशेष विमान के जरिए गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर पहुंचीं। वहीं, बांग्लादेश की सेना ने देश की कमान अपने हाथों में ले ली है।

बांग्लादेश के सेना प्रमुख वकार-उज-जमां ने कहा कि हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है और एक अंतरिम सरकार कार्यभार संभालने जा रही है। सेना प्रमुख ने टेलीविजन पर अपने संबोधन में कहा, "मैं (देश की) सारी जिम्मेदारी ले रहा हूं। कृपया सहयोग करें।" सेना प्रमुख ने कहा कि उन्होंने राजनीतिक नेताओं से मुलाकात की और उन्हें बताया कि सेना कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालेगी। पिछले दो दिनों में, हसीना सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में 100 से अधिक लोग मारे गए हैं।

बांग्लादेश में छात्रों का विरोध प्रदर्शन पिछले महीने विवादास्पद नौकरी आरक्षण योजना के खिलाफ शुरू हुआ था। यह प्रदर्शन बाद में सरकार विरोधी आंदोलन में बदल गया। वर्ष 1971 के मुक्ति संग्राम में भाग लेने वालों के परिवारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान इस विवादास्पद आरक्षण व्यवस्था के तहत किया गया था। 

दो दिनों में 100 से ज्यादा लोगों की मौत
हसीना के देश छोड़ने की खबर फैलने के बाद हजारों प्रदर्शनकारियों ने ढाका में उनके सरकारी आवास में लूटपाट और तोड़फोड़ की। सरकार विरोधी प्रदर्शनों में पिछले दो दिनों में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। पिछले महीने शुरू हुए ये विरोध प्रदर्शन विवादास्पद कोटा व्यवस्था के खिलाफ थे। 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में लड़ने वालों के परिवारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण देने वाली कोटा प्रणाली को समाप्त करने की मांग के साथ शुरू हुआ यह प्रदर्शन बाद में सरकार विरोधी प्रदर्शनों में बदल गए।

सड़कों पर उतरे उग्र प्रदर्शनकारियों ने हसीना के पिता और बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की प्रतिमा को हथौड़ों से तोड़ दिया और उनकी पार्टी के कार्यालयों में आग लगा दी। बांग्लादेश की राजधानी ढाका में उपद्रवी भीड़ ने शहर के धानमंडी इलाके में स्थित इंदिरा गांधी सांस्कृतिक केंद्र में तोड़फोड़ की और देशभर में चार हिंदू मंदिरों को “मामूली” क्षति पहुंचाई। प्रत्यक्षदर्शियों और समुदाय के नेताओं ने यह जानकारी दी।

प्रदर्शनकारियों ने ढाका में कई प्रमुख स्थानों पर आगजनी की, जिसमें धानमंडी 32 स्थित बंगबंधु भवन भी शामिल है, जिसे बंगबंधु स्मारक संग्रहालय के रूप में भी जाना जाता है। यह संग्रहालय शेख मुजीबुर रहमान को समर्पित है, जिनकी 1975 में राष्ट्रपति रहने के दौरान हत्या कर दी गई थी। हसीना और उनकी बहन शेख रेहाना विदेश में थीं इसलिए वह बच गईं। इसके बाद हसीना ने भारत में छह साल निर्वासन में बिताए। स्थानीय खबरों के अनुसार, सोमवार को हुई हिंसा में हसीना के पति डॉ. वाजेद मियां का घर भी नहीं बच सका। प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास ‘गणभवन' से प्रदर्शनकारियों के अंदर घुसने और सोफा तथा कुर्सियां लेकर चले जाने के दृश्य सामने आए हैं।

अवामी लीग कार्यालय में लगाई आग
एक व्यक्ति ने अपने बच्चे को ऊपर उठाया, सैकड़ों लोग ढोल बजाते हुए अंदर घुस आए और एक प्रदर्शनकारी ने गर्व से मीडिया के सामने हसीना की लाल लिपस्टिक लेने की घोषणा की। उसने कहा, “मैं इसे हमारे संघर्ष के स्मृतिचिन्ह के तौर पर रखूंगा... यह याद रखने के लिए कि हम एक तानाशाह से आजाद हुए हैं। वह (हसीना) यह लिपस्टिक लगाया करती थी।” एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा, “यह आजादी है। मैं इस भावना को शब्दों में बयां नहीं कर सकता।”

बांग्लादेश का झंडा गले में लपेटे एक प्रदर्शनकारी ने बताया कि उसकी उम्र 35 साल है और वह पिछले तीन चुनावों में मतदान नहीं कर पाया। देश भर में उग्र भीड़ के उत्पात के बीच राजधानी में अवामी लीग कार्यालय में आग लगा दी गई। ढाका की एक सड़क पर जले हुए वाहन हिंसा की गवाही देती दिखीं। गृह मंत्री असदुज्जमां खान के घर में तोड़फोड़ की गई और ‘प्रोथोम आलो' को बताया कि जब कई लोग प्रधान न्यायाधीश के आवास में घुसे तो चीख-पुकार और तेज आवाजें सुनी जा सकती थीं। हिंसा सिर्फ ढाका तक ही सीमित नहीं थी।

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