Edited By Tanuja,Updated: 17 Dec, 2024 12:20 PM
सीरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल-असद, जो अब रूस में राजनीतिक शरण लिए हुए हैं, ने पहली बार अपने देश से बाहर जाने पर चुप्पी तोड़ी है। विद्रोहियों द्वारा राजधानी दमिश्क पर कब्जा ...
International Desk: सीरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल-असद, जो अब रूस में राजनीतिक शरण लिए हुए हैं, ने पहली बार अपने देश से बाहर जाने पर चुप्पी तोड़ी है। विद्रोहियों द्वारा राजधानी दमिश्क पर कब्जा करने के बाद, असद को रूस की मदद से देश छोड़ना पड़ा। उन्होंने अपने बयान में कहा कि उनका सीरिया छोड़ने का कोई इरादा नहीं था, लेकिन परिस्थितियों ने उन्हें ऐसा करने पर मजबूर कर दिया। असद ने बताया कि 8 दिसंबर की सुबह विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम (HTS) ने दमिश्क पर हमला किया। उन्होंने रूसी सहयोगियों के साथ समन्वय कर तटीय प्रांत लताकिया स्थित रूसी आधार शिविर में शरण ली। असद ने दावा किया कि वह लताकिया में रहकर लड़ाई जारी रखना चाहते थे।
असद ने कहा कि विद्रोहियों ने लताकिया स्थित रूसी बेस कैंप पर ड्रोन से हमला किया, जिसके बाद 8 दिसंबर की रात रूसियों ने उन्हें वहां से सुरक्षित रूस ले जाने का निर्णय लिया। असद ने अपने आलोचकों को जवाब देते हुए कहा, "मैंने देश छोड़ने की कोई योजना नहीं बनाई थी। मैं कभी भी पद छोड़ने या राजनीतिक शरण लेने पर विचार नहीं कर रहा था। मेरी प्राथमिकता आतंकवादियों के खिलाफ लड़ाई जारी रखना थी।" 8 दिसंबर को विद्रोही गुट HTS ने 11 दिनों की घनघोर लड़ाई के बाद दमिश्क पर कब्जा कर लिया। इसके साथ ही, सीरिया में लगभग 5 दशक पुरानी असद परिवार की सत्ता समाप्त हो गई। डेढ़ दशक से चले आ रहे गृहयुद्ध के दौरान असद सरकार रूस और ईरान की मदद से विद्रोहियों को खदेड़ने में सफल रही थी। लेकिन इस बार हालात उनके खिलाफ हो गए, और उन्हें देश छोड़ना पड़ा।
अपने बयान में असद ने स्पष्ट किया कि वह लड़ाई छोड़ने के पक्ष में कभी नहीं थे। उन्होंने कहा कि उनके सीरिया छोड़ने का निर्णय उनकी मर्जी से नहीं, बल्कि परिस्थितियों और रूस के हस्तक्षेप के चलते हुआ। असद ने यह भी कहा कि उनकी प्राथमिकता हमेशा सीरिया में "आतंकवादी ताकतों" के खिलाफ संघर्ष करना था। असद का यह बयान उस समय आया है जब सीरिया गृहयुद्ध और विद्रोही ताकतों के संघर्ष के बीच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का केंद्र बना हुआ है।