Edited By rajesh kumar,Updated: 03 Dec, 2024 04:30 PM
आज रात लगभग 9:45 बजे (भारतीय समयानुसार), उत्तरी साइबेरिया के आकाश में एक छोटा क्षुद्रग्रह प्रवेश करने की संभावना है। इस क्षुद्रग्रह का व्यास लगभग 70 सेमी है, और विशेषज्ञों के अनुसार, इस घटना से कोई महत्वपूर्ण नुकसान होने की संभावना नहीं है। इसके...
नेशनल डेस्क: आज रात लगभग 9:45 बजे (भारतीय समयानुसार), उत्तरी साइबेरिया के आकाश में एक छोटा क्षुद्रग्रह प्रवेश करने की संभावना है। इस क्षुद्रग्रह का व्यास लगभग 70 सेमी है, और विशेषज्ञों के अनुसार, इस घटना से कोई महत्वपूर्ण नुकसान होने की संभावना नहीं है। इसके बजाय, यह एक शानदार आग का गोला (fireball) बनने की संभावना है, जो आकाश में जलकर खत्म हो जाएगा।
आग के गोले का रूप ले सकता है क्षुद्रग्रह
यह क्षुद्रग्रह, जो अभी तक नामित नहीं किया गया है, पृथ्वी के पास से गुजरने वाले खगोलीय पिंडों की बढ़ती सूची का हिस्सा है। इसका वायुमंडल में प्रवेश होने से पहले ही इस पर नजर रखी जा रही थी। जब यह वायुमंडल में प्रवेश करेगा, तो इसकी जलने की संभावना है, जिससे आकाश में एक चमकदार रोशनी दिखाई देगी। ऐसे छोटे आकार के क्षुद्रग्रह आमतौर पर वायुमंडल में प्रवेश करते वक्त जलकर खत्म हो जाते हैं और कोई हानिकारक प्रभाव नहीं डालते।
अंतरिक्ष एजेंसियां बनाए हुए हैं नजर
यह घटना अंतरिक्ष एजेंसियों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो पृथ्वी के पास आने वाले क्षुद्रग्रहों का लगातार अध्ययन कर रही हैं। नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) जैसी एजेंसियां अब पृथ्वी के पास आने वाले पिंडों पर निगरानी रखने में और भी ज्यादा सक्षम हो गई हैं। इससे वैज्ञानिकों को इन पिंडों की दिशा और गति का सही अनुमान लगाने में मदद मिलती है और किसी संभावित खतरे से बचने की रणनीतियां बनाई जा सकती हैं।
ऐसी घटनाओं से बढ़ती है जागरूकता
इतिहास में ऐसी घटनाओं ने हमेशा वैज्ञानिक अवलोकन और सार्वजनिक जागरूकता का एक बड़ा अवसर प्रदान किया है। 2013 में, रूस के चेल्याबिंस्क शहर में एक उल्का विस्फोट हुआ था, जिससे कुछ नुकसान हुआ था, लेकिन साथ ही इसने ग्रह रक्षा (planetary defense) के महत्व को भी उजागर किया।
आकाशदर्शी बनेंगे ब्रह्मांडीय घटना के साक्षी
आज की घटना साइबेरिया में आकाश को एक अद्भुत दृश्य प्रदान करेगी, और आकाशदर्शी इस ब्रह्मांडीय घटना के साक्षी बनेंगे। हालांकि, इसका कोई खतरा नहीं है, फिर भी यह घटना पृथ्वी के पास आने वाले खगोलीय पिंडों पर निगरानी रखने की आवश्यकता को फिर से रेखांकित करती है, ताकि भविष्य में किसी संभावित खतरे से बचा जा सके।