Edited By Tanuja,Updated: 04 Mar, 2025 05:00 PM

अमेरिका की ठोकर बाद ब्रिटेन के बाद अब ऑस्ट्रेलिया ने भी यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की का हाथ थाम लिया है। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने मंगलवार को कहा कि उनकी सरकार यूक्रेन में बहुराष्ट्रीय शांति ...
International Desk: अमेरिका की ठोकर बाद ब्रिटेन के बाद अब ऑस्ट्रेलिया ने भी यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की का हाथ थाम लिया है। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने मंगलवार को कहा कि उनकी सरकार यूक्रेन में बहुराष्ट्रीय शांति सेना के तहत सैनिक भेजने के किसी भी प्रस्ताव पर विचार करने को तैयार है । यह बयान ऐसे समय में आया है जब यूरोपीय देश "इच्छुक देशों के गठबंधन" (Coalition of the Willing) की योजना बना रहे हैं, जिसका उद्देश्य रूस-यूक्रेन युद्ध में संभावित शांति समझौते को लागू करना है।
इस बीच, वॉशिंगटन से एक बड़ी खबर सामने आई है कि अमेरिका ने यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य सहायता को अचानक रोक दिया है। व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की और कहा कि यह फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की के बीच ओवल ऑफिस में तीखी बहस के बाद लिया गया। वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि "हम यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य सहायता को अस्थायी रूप से रोककर उसकी समीक्षा कर रहे हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह युद्ध के शांतिपूर्ण समाधान में योगदान कर रही है।"
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हालांकि, अमेरिकी रक्षा विभाग और अन्य सरकारी एजेंसियों ने यह स्पष्ट किया है कि यह एक अस्थायी रोक (Temporary Pause) है स्थायी सहायता बंदी नहीं । लेकिन इस फैसले से संकेत मिलता है कि अमेरिका अब यूक्रेन को दी जाने वाली मदद पर दोबारा सोच रहा है। यूरोपीय राष्ट्र, खासकर ब्रिटेन और फ्रांस एक नई शांति योजना तैयार कर रहे हैं, जिसे वे अमेरिकी सुरक्षा गारंटी (Security Guarantee) के साथ लागू करना चाहते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य रूस-यूक्रेन युद्ध में किसी भी संभावित शांति समझौते की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। हालांकि रूस ने इस योजना का कड़ा विरोध किया है और चेतावनी दी है कि "अगर यूरोपीय देश अपने सैनिक यूक्रेन भेजते हैं, तो यह स्थिति को और बिगाड़ सकता है।"
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रूस के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि "यूरोप को इस बात का एहसास होना चाहिए कि यूक्रेन में उनकी किसी भी प्रकार की सैन्य तैनाती को रूस एक 'सीधा सैन्य हस्तक्षेप' मानेगा और इसका गंभीर परिणाम होगा।" सिडनी में मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज से पूछा गया कि क्या उनकी सरकार यूक्रेन में सैनिक भेजने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि "हम यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। अगर कोई प्रस्ताव हमारे पास आता है, तो हम उस पर गंभीरता से विचार करेंगे।" इससे पहले, ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा था कि वह "इच्छुक देशों के गठबंधन" का हिस्सा नहीं बनेगी लेकिन अब इस बयान से संकेत मिलता है कि वह अपनी नीति पर दोबारा विचार कर रही है ।
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रूस-यूक्रेन युद्ध को 10 साल हो चुके हैं जिसमें पिछले 3 साल रूस के पूर्ण पैमाने पर किए गए आक्रमण के रहे हैं। रूस ने यूक्रेन के पूर्वी और दक्षिणी हिस्से पर कब्ज़ा कर रखा है जिसमें डोनेट्स्क, लुहांस्क, खेरसॉन और ज़ापोरिज्जिया शामिल हैं। यूक्रेन को अब तक अमेरिका, यूरोप और अन्य सहयोगियों से अरबों डॉलर की सैन्य सहायता मिल चुकी है जिसमें हथियार, टैंक, वायु रक्षा प्रणाली और ड्रोन शामिल हैं। हाल ही में, रूस ने खार्किव और डोनेट्स्क क्षेत्र में बड़े पैमाने पर मिसाइल हमले किए जिससे कई नागरिक मारे गए।