Edited By Tanuja,Updated: 01 Feb, 2025 06:33 PM
एक नए शोध में पाया गया है कि शिशु केवल चार महीने की उम्र में ही विभिन्न भाषाओं की ध्वनियों को पहचानना और समझना शुरू कर देते हैं। यह पहले...
Sydney: एक नए शोध में पाया गया है कि शिशु केवल चार महीने की उम्र में ही विभिन्न भाषाओं की ध्वनियों को पहचानना और समझना शुरू कर देते हैं। यह पहले की धारणा को चुनौती देता है, जिसमें माना जाता था कि बच्चे छह से 12 महीने की उम्र में अपनी मातृभाषा की ध्वनियों को पहचानना सीखते हैं।
ध्वनियों को पहचानने की अद्भुत क्षमता
शोधकर्ताओं के अनुसार, बच्चे शुरूआती छह महीनों में न केवल अपनी मातृभाषा बल्कि अन्य भाषाओं की ध्वनियों को भी पहचान सकते हैं। उदाहरण के लिए, अंग्रेजी बोलने वाले परिवारों में पलने वाले शिशु हिंदी या मंदारिन भाषा की ध्वनि भेद को भी समझ सकते हैं, जो व्यस्कों के लिए कठिन होता है। हालांकि, यह क्षमता हमेशा के लिए नहीं रहती। छह से 12 महीने की उम्र के बीच बच्चे केवल उन्हीं ध्वनियों पर ध्यान केंद्रित करने लगते हैं, जिन्हें वे बार-बार सुनते हैं।
कैसे किया गया अध्ययन?
वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने चार से छह महीने की उम्र के 34 शिशुओं पर एक प्रयोग किया। इसमें दो काल्पनिक लघु भाषाओं का उपयोग किया गया
1. पहली भाषा में होंठ से बनने वाली ध्वनियां (जैसे ‘बी’ और ‘वी’) थीं।
2. दूसरी भाषा में जीभ से बनने वाली ध्वनियां (जैसे ‘डी’ और ‘जेड’) थीं।
भविष्य में फायदेमंद होगा यह शोध
बच्चों को इन ध्वनियों से जुड़े कार्टून चित्र दिखाए गए। बाद में, उन्हें बिना आवाज वाले वीडियो दिखाए गए, जिसमें लोग वही ध्वनियां बोल रहे थे। शोधकर्ताओं ने पाया कि बच्चे उन वीडियो को ज्यादा समय तक देखते थे, जिनमें ध्वनि और कार्टून से मेल खाने वाला चेहरा दिखाया गया था। यह अध्ययन उन बच्चों की पहचान में मदद कर सकता है, जिनमें बोलने में देरी का खतरा हो सकता है। इसके अलावा, यह शोध भाषा सीखने की प्रक्रिया को समझने और शिशुओं के संज्ञानात्मक विकास में नई संभावनाओं को उजागर करता है।