Edited By Tanuja,Updated: 12 Nov, 2024 06:48 PM
बांग्लादेश अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) के मुख्य अभियोजक मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने पुलिस महानिरीक्षक मोहम्मद मोइनुल इस्लाम को पत्र लिखकर अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके सहयोगियों के खिलाफ...
Dhaka: बांग्लादेश अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) के मुख्य अभियोजक मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने पुलिस महानिरीक्षक (IGP) मोहम्मद मोइनुल इस्लाम को पत्र लिखकर अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके सहयोगियों के खिलाफ इंटरपोल के माध्यम से रेड नोटिस जारी करवाने के लिए जरूरी कदम उठाने की मांग की। बांग्ला भाषा के अखबार 'प्रोथम आलो' ने आईसीटी के सूत्रों के हवाले से प्रकाशित खबर में यह जानकारी दी है। यह घटनाक्रम रविवार को कानून मामलों के सलाहकार आसिफ नजरूल के उस बयान के दो दिन बाद हुआ है, जिसमें उन्होंने कहा था कि बांग्लादेश मानवता के खिलाफ कथित अपराधों से जुड़े मुकदमे का सामना करने के लिए हसीना और अन्य "भगोड़ों" को भारत से वापस लाने में इंटरपोल की मदद मांगेगा।
हसीना और उनकी पार्टी के नेताओं पर आरक्षण विरोधी आंदोलन को कुचलने का आदेश देने का आरोप है, जिसके परिणामस्वरूप जुलाई-अगस्त में विरोध-प्रदर्शन के दौरान कई लोग हताहत हुए। बाद में आंदोलन बड़े पैमाने पर विद्रोह में बदल गया, जिसके चलते हसीना को पांच अगस्त को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और बांग्लादेश छोड़कर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के मुताबिक, विरोध-प्रदर्शन के दौरान कम से कम 753 लोग मारे गए और हजारों घायल हुए। अंतरिम सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर हसीना सरकार की कार्रवाई को मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार करार दिया। अक्टूबर के मध्य तक ICT और अभियोजन टीम के पास हसीना और उनकी पार्टी के नेताओं के विरुद्ध मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार की 60 से अधिक शिकायतें दर्ज कराई जा चुकी हैं।
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अधिकारियों ने बताया कि रेड नोटिस एक अंतरराष्ट्रीय गिरफ्तारी वारंट नहीं है, बल्कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों से उस व्यक्ति का पता लगाने और उसे अस्थायी रूप से गिरफ्तार करने का वैश्विक अनुरोध है, जिसकी तलाश प्रत्यर्पण, आत्मसमर्पण या इसी तरह की कानूनी कार्रवाई के वास्ते है। इंटरपोल के सदस्य देश अपने राष्ट्रीय कानूनों के अनुसार रेड नोटिस का पालन करते हैं। ICT का गठन मूल रूप से मार्च 2010 में हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार ने 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान मानवता के खिलाफ किए गए अपराध के अपराधियों पर मुकदमा चलाने के लिए किया था। बाद में उसने ICT-2 का गठन किया। दोनों न्यायाधिकरणों के फैसलों के बाद जमात-ए-इस्लामी और हसीना की कट्टर प्रतिद्वंद्वी खालिदा जिया की बीएनपी पार्टी के कम से कम छह नेताओं को फांसी दे दी गई। न्यायाधिकरण के अध्यक्ष के सेवानिवृत्त होने के बाद जून के मध्य से यह निष्क्रिय था।
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अंतरिम सरकार ने 12 अक्टूबर को न्यायाधिकरण का पुनर्गठन किया। आईसीटी ने 17 अक्टूबर को हसीना और 45 अन्य लोगों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया, जिनमें उनके बेटे सजीब वाजेद जॉय और कई पूर्व कैबिनेट सहयोगी शामिल हैं। अंतरिम सरकार ने पहले कहा था कि हसीना और उनके कई कैबिनेट सहयोगियों व अवामी लीग नेताओं पर आईसीटी में मुकदमा चलाया जाएगा। हालांकि, अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार यूनुस ने पिछले महीने ब्रिटेन के 'फाइनेंशियल टाइम्स' अखबार के साथ बातचीत में कहा था कि उनकी सरकार भारत से हसीना के प्रत्यर्पण की तुरंत मांग नहीं करेगी। उनके इस रुख को दोनों देशों के बीच राजनयिक तनाव से बचने की कवायद के रूप में देखा गया था।