Edited By Rahul Rana,Updated: 24 Nov, 2024 12:44 PM
एयरलाइन कंपनियों द्वारा फ्लाइट की रि-शेड्यूलिंग और स्टे (देरी) के कारण यात्रियों को अक्सर परेशानी का सामना करना पड़ता है। अब एक ऐसे ही मामले में जिला उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग ने अमेरिकन एयरलाइन, ब्रिटिश एयरवेज और परमहंस एविएशन को 70,000 रुपये का...
इंटरनेशनल डेस्क। एयरलाइन कंपनियों द्वारा फ्लाइट की रि-शेड्यूलिंग और स्टे (देरी) के कारण यात्रियों को अक्सर परेशानी का सामना करना पड़ता है। अब एक ऐसे ही मामले में जिला उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग ने अमेरिकन एयरलाइन, ब्रिटिश एयरवेज और परमहंस एविएशन को 70,000 रुपये का हर्जाना और साथ ही 1.94 लाख रुपये की रकम, 9% ब्याज सहित उपभोक्ता को लौटाने का आदेश दिया है।
क्या था मामला?
यह मामला मॉडल टाउन निवासी 72 वर्षीय कैलाश नाथ सहगल और उनकी पत्नी मंजू सहगल से जुड़ा है। दोनों ने 19 सितंबर 2021 को परमहंस एविएशन के माध्यम से दिल्ली से वैंकूवर और वैंकूवर से दिल्ली के लिए टिकट बुक किए थे।
वहीं 13 अक्टूबर 2021 को बुजुर्ग दंपती ने दिल्ली से बैंकूवर का सफर शुरू किया। उनकी फ्लाइट शेड्यूल के अनुसार 5 जनवरी 2022 को दिल्ली लौटने वाली थी। लेकिन एयरलाइन ने 5 जनवरी की फ्लाइट को रद्द कर दिया और 6 जनवरी की नई फ्लाइट का टिकट दे दिया। इस फ्लाइट में लंदन में लगभग 20 घंटे 45 मिनट का लंबा स्टे (रुकावट) था।
एयरलाइन से मदद की मांग
चूंकि यह समय कोरोनाकाल का था और बुजुर्ग दंपती के लिए इतनी लंबी देरी में एयरपोर्ट पर इंतजार करना मुश्किल था उन्होंने एयरलाइन से होटल मुहैया कराने या रिफंड की मांग की लेकिन एयरलाइन ने उनकी दोनों मांगों को अस्वीकार कर दिया। एयरलाइन ने न तो होटल मुहैया कराया और न ही रिफंड दिया।
इसके बाद बुजुर्ग दंपती ने एयर इंडिया की फ्लाइट बुक की लेकिन इसके लिए उन्हें 1.94 लाख रुपये का खर्चा करना पड़ा। बिना किसी रुकावट के उन्होंने वैंकूवर से दिल्ली तक यात्रा की।
शिकायत और आयोग का निर्णय
बुजुर्ग दंपती ने अपने वकील नवल सहगल और विक्रम शौरी के माध्यम से जिला उपभोक्ता आयोग में 16 मई 2022 को केस दायर किया। इसके बाद आयोग के अध्यक्ष डॉ. हरवीन भारद्वाज, सदस्य ज्योत्सना और जसवंत सिंह ढिल्लों ने इस मामले पर फैसला सुनाया।
वहीं आयोग ने एयरलाइंस कंपनियों को आदेश दिया कि वे बुजुर्ग दंपती को 1.94 लाख रुपये (जो उन्होंने दूसरी फ्लाइट के लिए खर्च किए थे) और उस पर 9% ब्याज के साथ वापस करें। इसके अलावा उन्हें 50,000 रुपये का हर्जाना और 20,000 रुपये वकील के खर्च के रूप में भी दिए जाएं।
बता दें कि यह फैसला एयरलाइन कंपनियों के लिए एक चेतावनी है कि वे यात्रियों के अधिकारों का उल्लंघन नहीं कर सकतीं। अगर कोई फ्लाइट रद्द होती है या उसमें देरी होती है तो एयरलाइंस को यात्रियों को उचित सहायता और रिफंड प्रदान करना चाहिए। आयोग ने इस मामले में बुजुर्ग दंपती के पक्ष में फैसला सुनाया और एयरलाइंस कंपनियों को मुआवजा देने का आदेश दिया।