कनाडा के भविष्य पर बड़ा सवाल ! इस साल तीन प्रधानमंत्री  देखेगा देश, चुनाव से लेकर खालिस्तान तक बड़े बदलावों का साक्षी बनेगा वर्ष 2025

Edited By Tanuja,Updated: 08 Jan, 2025 04:44 PM

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कनाडा की राजनीति में 2025 का साल बड़े बदलावों का साक्षी बनेगा। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो  ने अचानक इस्तीफा देकर राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। उनके इस्तीफे के पीछे  खालिस्तानी समर्थकों

International Desk: कनाडा की राजनीति में 2025 का साल बड़े बदलावों का साक्षी बनेगा। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो  ने अचानक इस्तीफा देकर राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। उनके इस्तीफे के पीछे  खालिस्तानी समर्थकों  से जुड़ी विवादित घटनाएं और उनकी गिरती साख को कारण बताया जा रहा है। मार्च तक संसद को सस्पेंड कर दिया गया है, और जल्द ही एक नए प्रधानमंत्री का चयन होगा। मार्च में चुने जाने वाला प्रधानमंत्री  का कार्यकाल छोटा होने के बावजूद ऐतिहासिक महत्व रखेगा। चुनावों के बाद बनी नई सरकार कनाडा की दिशा तय करेगी।  
 

 
16 दिसंबर को डिप्टी पीएम और वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड  ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे सरकार पर दबाव और बढ़ गया। फ्रीलैंड का दावा है कि ट्रूडो ने उनसे मंत्रालय बदलने को कहा था, लेकिन अचानक इस्तीफे ने सियासी संकट को और गहरा कर दिया।  फ्रीलैंड ने वित्तीय रिपोर्ट पेश करने से पहले ही पद छोड़ दिया, जिसके बाद ट्रूडो ने अपने करीबी को वित्त मंत्री नियुक्त कर यह काम पूरा कराया। अब  पीएम पद के लिए क्रिस्टिया फ्रीलैंड का नाम सबसे आगे चल रहा है।  

 
जस्टिन ट्रूडो का  खालिस्तानी समर्थकों के प्रति नरम रुख  उनकी सबसे बड़ी आलोचना का कारण बना। भारत दौरे के दौरान खालिस्तानी कट्टरपंथी  जसपाल अटवाल  का उनके साथ होना और खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर  पर दिए विवादित बयानों ने उनकी छवि को गहरा नुकसान पहुंचाया।  ट्रूडो के आलोचकों का मानना है कि उनकी खालिस्तानी समर्थकों के प्रति उदारता और भारत-कनाडा संबंधों में तनाव ने उनकी लोकप्रियता को गिरा दिया।  मार्च तक कनाडा को एक  अस्थायी प्रधानमंत्री मिलेगा, जो केवल कुछ महीनों तक कार्य करेगा। इसके बाद नए चुनाव होंगे, जहां जनता अगला प्रधानमंत्री चुनेगी।  इस अस्थायी सरकार का कार्यकाल कनाडा की राजनीति में ऐतिहासिक होगा, क्योंकि यह चुनावों से पहले सियासी स्थिरता और जनता का विश्वास कायम रखने की चुनौती का सामना करेगी।  
  

आने वाले चुनावों में प्रमुख मुद्दे होंगे 

 खालिस्तानी एजेंडा : क्या यह चुनावी बहस का मुख्य केंद्र बनेगा?  
 आर्थिक स्थिति : गिरती अर्थव्यवस्था को लेकर क्या सरकार को जवाब देना होगा?  
 अंतरराष्ट्रीय संबंध : भारत-कनाडा संबंधों में सुधार कैसे होगा?  
 

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