दलाई लामा के उत्तराधिकारी पर चीन की चाल बेनकाब, थाईलैंड-नेपाल ने ठुकराया प्रस्ताव

Edited By Tanuja,Updated: 07 Jan, 2025 05:18 PM

caught in controversy global hesitation over china s panchen lama

चीन अपने चुने हुए 11वें पंचेन लामा, ग्याल्त्सेन नोरबू (जिन्हें ग्यैनकैन नोरबू या चोक्यी ग्याल्पो भी कहा जाता है), की अंतरराष्ट्रीय छवि को मजबूत करने की कोशिशों में लगा हुआ है...

 Bejing: चीन अपने चुने हुए 11वें पंचेन लामा, ग्याल्त्सेन नोरबू (जिन्हें ग्यैनकैन नोरबू या चोक्यी ग्याल्पो भी कहा जाता है), की अंतरराष्ट्रीय छवि को मजबूत करने की कोशिशों में लगा हुआ है। ग्याल्त्सेन नोरबू का जन्म 13 फरवरी 1990 को तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) के ल्हारी काउंटी में हुआ था। उन्हें चीनी सरकार द्वारा पंचेन लामा माना गया है, लेकिन यह मान्यता तिब्बती निर्वासित सरकार द्वारा विवादित है, जो 14वें दलाई लामा द्वारा मान्यता प्राप्त गेडुन चोक्यी न्यिमा को असली पंचेन लामा मानती है।  चीन ने ग्याल्त्सेन नोरबू के अंतरराष्ट्रीय दौरों का आयोजन किया है, जैसे थाईलैंड और नेपाल की यात्राएं, ताकि उन्हें वैश्विक बौद्ध समुदाय में स्वीकृति दिलाई जा सके। इन दौरों का उद्देश्य ग्याल्त्सेन नोरबू की छवि को मजबूत करना और दलाई लामा के उत्तराधिकारी चुनने की प्रक्रिया को प्रभावित करना है।  

ये भी पढ़ेंः-महिला जेल अधिकारी ने जेल में  कैदी के साथ बनाए यौन संबंध, बॉडी कैमरे में कैद हुए सीन और...
 

ग्याल्त्सेन नोरबू ने बीजिंग में अपनी प्रारंभिक शिक्षा चीनी प्रणाली के अनुसार प्राप्त की। 1995 में, उन्हें शिगात्से के ताशील्हुनपो मठ में आधिकारिक रूप से स्थापित किया गया। वह चीन के बौद्ध संघ (बीएसी) में महत्वपूर्ण पदों पर हैं और चीनी पीपुल्स पॉलिटिकल कंसल्टेटिव कॉन्फ्रेंस की राष्ट्रीय समिति के सदस्य भी हैं। चीन ने ग्याल्त्सेन नोरबू को "गोल्डन उर्न" प्रणाली के माध्यम से पंचेन लामा के रूप में चुना, जिसे तिब्बती निर्वासित सरकार ने खारिज कर दिया। वहीं, गेडुन चोक्यी न्यिमा को 1995 में हिरासत में ले लिया गया था, और तब से उन्हें सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया है। तिब्बती समुदाय ग्याल्त्सेन नोरबू को चीनी सरकार का नियुक्त प्रतिनिधि मानता है, जिसकी धार्मिक वैधता पर सवाल उठाए जाते हैं।

 

ये भी पढ़ेंः-सच हुई नास्त्रेदमस की 2025 बारे भविष्यवाणी, तिब्बत में विनाशकारी भूकंप के बाद अब इन भयंकर घटनाओं की बारी !     

 

हालांकि, ग्याल्त्सेन नोरबू ने कई अंतरराष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलनों में भाग लिया है, लेकिन उनकी भूमिका अक्सर तिब्बती धर्म और संस्कृति पर चीन के नियंत्रण को वैध बनाने के राजनीतिक प्रयास के रूप में देखी जाती है। चीन ने दिसंबर 2024 में ग्याल्त्सेन नोरबू के लिए दो अंतरराष्ट्रीय दौरों की योजना बनाई थी। पहला दौरा 5-6 दिसंबर को थाईलैंड में और दूसरा 15-16 दिसंबर को नेपाल में लुंबिनी में आयोजित 9वें दक्षिण चीन सागर बौद्ध सम्मेलन के दौरान होना था।  थाईलैंड में उनकी यात्रा को लेकर सरकार ने राजनीतिक परिणामों की आशंका के चलते हिचकिचाहट दिखाई। थाई बौद्ध समुदाय में संभावित विरोध के डर और चीन द्वारा 40 मिलियन थाई बाह्ट (लगभग 1.15 मिलियन अमेरिकी डॉलर) की वित्तीय मांग के कारण यह यात्रा रद्द कर दी गई।


ये भी पढ़ेंः-ट्रूडो के इस्तीफे के बाद कनाडा की सियासत में उबाल, ये दो भारतवंशी संभाल सकते देश की कमान
 

 नेपाल में, चीनी राजदूत चेन सॉन्ग के हस्तक्षेप के बाद, प्रधानमंत्री के.पी. ओली ने ग्याल्त्सेन नोरबू की यात्रा को मंजूरी दी। लेकिन तिब्बती समुदाय और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों के विरोध के कारण नेपाल सरकार ने भी अंततः इस यात्रा को रद्द कर दिया। ग्याल्त्सेन नोरबू को अधिकांश बौद्ध समुदाय स्वीकार नहीं करता है। उनका चयन दलाई लामा द्वारा मान्यता प्राप्त पारंपरिक पद्धति के विपरीत है। गेडुन चोक्यी न्यिमा की जबरन हिरासत को लेकर मानवाधिकार समूहों ने चीन की आलोचना की है।  चीन का यह कदम तिब्बती धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को दबाने का प्रयास माना जाता है। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने गेडुन चोक्यी न्यिमा की रिहाई और तिब्बती बौद्ध धर्म में चीनी हस्तक्षेप समाप्त करने की मांग की है

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!