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चीन की श्रीलंका में बढ़ी गतिविधियाँ, भारतीय मछुआरों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की योजना

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 22 Mar, 2025 06:20 PM

china increasing activities in sri lanka

भारत और चीन के बीच हिंद महासागर क्षेत्र में तनाव बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं, खासकर श्रीलंका के उत्तरी और पूर्वी द्वीपों में। खबर है कि चीन ने श्रीलंका के उत्तरी जलक्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की कोशिशें तेज कर दी हैं। इसके चलते स्थानीय मछुआरों...

इंटरनेशनल डेस्क: भारत और चीन के बीच हिंद महासागर क्षेत्र में तनाव बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं, खासकर श्रीलंका के उत्तरी और पूर्वी द्वीपों में। खबर है कि चीन ने श्रीलंका के उत्तरी जलक्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की कोशिशें तेज कर दी हैं। इसके चलते स्थानीय मछुआरों की भारत के खिलाफ बढ़ती भावनाओं का फायदा उठाने की भी संभावना जताई जा रही है। खासतौर पर, उत्तरी श्रीलंकाई मछुआरों का कहना है कि भारतीय मछुआरे उनके जलक्षेत्र में अवैध रूप से मछली पकड़ रहे हैं, जिसके विरोध में वे आगामी सप्ताह में जाफ़ना में विरोध प्रदर्शन करने की योजना बना रहे हैं।

चीनी गतिविधियाँ और भारत विरोधी भावना का उभार

चीन का प्रभाव श्रीलंका के उत्तरी द्वीपों में बढ़ता जा रहा है। हाल ही में, चीन के अधिकारियों ने उत्तरी द्वीपों के मछुआरों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और उनकी शिकायतों को समझने की कोशिश की। यह कार्रवाई भारत के लिए चिंता का कारण बन सकती है, क्योंकि यह घटना हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के सामरिक हितों को प्रभावित कर सकती है। चीनी अधिकारियों ने उत्तरी श्रीलंकाई मछुआरों से उनके साथ हो रही समस्याओं के बारे में पूछा, जिससे स्थानीय मछुआरों की भारत के खिलाफ बढ़ती नकारात्मक भावना को और हवा मिली है।
उत्तरी श्रीलंकाई द्वीपों के मछुआरे लंबे समय से भारतीय मछुआरों द्वारा उनके जलक्षेत्र में मछली पकड़ने का विरोध कर रहे हैं। इसे "अतिक्रमण" के रूप में देखा जा रहा है। इसके विरोध में, अगले हफ्ते जाफ़ना में मछुआरे मत्स्य विभाग के कार्यालय के सामने प्रदर्शन करने की योजना बना रहे हैं, ताकि भारतीय मछुआरों के अवैध शिकार की निंदा की जा सके।

श्रीलंका में चीन की बढ़ती भूमिका

चीन की गतिविधियां श्रीलंका में पिछले कुछ सालों से बढ़ी हैं, खासकर 2021 के बाद। दिसंबर 2021 में, चीनी राजदूत क्यू जेन-होंग ने जाफ़ना का दौरा किया था, जिसमें उन्होंने स्थानीय सांस्कृतिक स्थल जैसे नल्लूर कंदस्वामी मंदिर और दफिना लाइब्रेरी का दौरा किया। यह यात्रा चीन की श्रीलंका में बढ़ती दिलचस्पी का संकेत देती है। श्रीलंका के उत्तरी और पूर्वी प्रांतों में चीन ने अपनी उपस्थिति को मजबूत करने की कोशिशें तेज कर दी हैं। इसकी वजह से, चीन भारत के साथ प्रतिद्वंद्विता में इन प्रांतों के लोगों के बीच भारत विरोधी भावना को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है। चीन द्वारा मछुआरों के प्रतिनिधियों से मुलाकात करने की घटना ने इस संदर्भ में और भी चर्चा को जन्म दिया है।

भारत की चिंता और श्रीलंकाई मछुआरों का विरोध

भारत की चिंता यह है कि श्रीलंका के उत्तरी मछुआरे भारतीय मछुआरों के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे हैं। भारतीय मछुआरे अक्सर श्रीलंकाई जलक्षेत्र में मछली पकड़ने के लिए आ जाते हैं, जिसके कारण दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। हालांकि, श्रीलंका में उत्तरी मछुआरों का एक वर्ग यह भी स्पष्ट कर चुका है कि वह चीन को खुद को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देगा। उत्तरी प्रांत के मछुआरों का संघ इस बात को लेकर चिंतित है कि दक्षिण भारतीय मछुआरों के कारण उनकी जीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। उन्हें यह डर है कि चीन उनकी स्थिति का फायदा उठाने की कोशिश कर सकता है, और इससे भारत और श्रीलंका के बीच मतभेदों का फायदा भी चीन उठा सकता है।

 

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