भारत के साथ बनी कुछ सहमति, लद्दाख में सैनिकों के हटने की प्रक्रिया पर बोला चीन

Edited By Pardeep,Updated: 26 Sep, 2024 11:21 PM

china spoke on the process of withdrawal of troops in ladakh

चीन और भारत पूर्वी लद्दाख में गतिरोध को समाप्त करने के लिए ‘‘मतभेदों को कम करने'' तथा टकराव वाले स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाने पर ‘‘कुछ आम सहमति'' बनाने में सक्षम होने के साथ ही दोनों पक्षों को स्वीकार्य समाधान तक पहुंचने के लिए बातचीत जारी रखने...

बीजिंगः चीन और भारत पूर्वी लद्दाख में गतिरोध को समाप्त करने के लिए ‘‘मतभेदों को कम करने'' तथा टकराव वाले स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाने पर ‘‘कुछ आम सहमति'' बनाने में सक्षम होने के साथ ही दोनों पक्षों को स्वीकार्य समाधान तक पहुंचने के लिए बातचीत जारी रखने पर सहमत हुए हैं। चीनी रक्षा मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को यह बात कही। 

चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता झांग जियाओगांग ने कहा कि चीन और भारत ने राजनयिक एवं सैन्य चैनलों के माध्यम से एक-दूसरे के साथ संपर्क बनाए रखा है। इसमें दोनों देशों के विदेश मंत्रियों और चीन के विदेश मंत्री तथा भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और सीमा परामर्श तंत्र के माध्यम से विमर्श शामिल है। झांग ने यहां संवाददाताओं से कहा कि बातचीत के माध्यम से चीन और भारत दोनों ‘‘अपने मतभेदों को कम करने तथा एक-दूसरे की वैध चिंताओं को समायोजित करने के लिए बातचीत को मजबूत करने पर सहमत होने के अलावा कुछ आम सहमति बनाने में सक्षम हुए।'' 

उन्होंने कहा, ‘‘दोनों पक्ष जल्द से जल्द किसी ऐसे समाधान पर पहुंचने पर सहमत हुए जो दोनों पक्षों को स्वीकार्य हो।'' वह पूर्वी लद्दाख में चार साल से अधिक लंबे सैन्य गतिरोध को समाप्त करने के लिए शेष टकराव बिंदुओं विशेष रूप से डेमचोक और देपसांग से सैनिकों को हटाने पर दोनों देशों के बीच बातचीत पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे। गतिरोध के परिणामस्वरूप दोनों देशों के बीच संबंधों में ठहराव आ गया था। झांग ने विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई बैठक के साथ-साथ रूस में ब्रिक्स बैठक के इतर वांग और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बीच हुई हालिया मुलाकात का जिक्र किया। 

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने वांग और डोभाल के बीच वार्ता पर टिप्पणी करते हुए तीन सितंबर को कहा था, ‘‘दोनों देशों की अग्रिम पंक्ति की सेनाएं चीन-भारत सीमा के पश्चिमी इलाके में चार क्षेत्रों से पीछे हट चुकी हैं जिनमें गलवान घाटी भी शामिल है।'' प्रश्न के उत्तर में, झांग ने देपसांग और डेमचोक सहित शेष क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी की प्रगति पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन कहा कि दोनों पक्ष परिणामों को मजबूत करना जारी रखेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘हम जिन नतीजों पर पहुंचे हैं उन्हें मजबूत करना जारी रखेंगे तथा सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए द्विपक्षीय समझौतों और आपसी विश्वास निर्माण उपायों का सम्मान करेंगे।'' 

द्विपक्षीय समझौतों के संबंध में उनकी टिप्पणी तब आई जब जयशंकर ने मंगलवार को न्यूयॉर्क में एशिया सोसाइटी और एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच समझौतों की एक शृंखला है जो इस बात पर अधिक से अधिक विस्तार से चर्चा करने के लिए कहती है कि सीमा पर शांति एवं स्थिरता किस तरह रहे। 

उन्होंने कहा, ‘‘समस्या 2020 में थी, इन बहुत स्पष्ट समझौतों के बावजूद, हमने देखा कि चीन - हम सभी उस समय कोविड के बीच में थे - इन समझौतों का उल्लंघन करते हुए बड़ी संख्या में सेना को वास्तविक नियंत्रण रेखा पर ले गया। और हमने उसी तरह जवाब दिया।'' इस बीच, विदेश मंत्रालय के एशियाई मामलों के विभाग के महानिदेशक ली जिनसॉन्ग ने यहां चीन में भारतीय राजदूत प्रदीप कुमार रावत से मुलाकात की। चीनी विदेश मंत्रालय ने बिना कोई विवरण दिए इस मुलाकात के बारे में जानकारी दी। 

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