वैज्ञानिकों की चेतावनीः जलवायु परिवर्तन दुनिया के लिए गंभीर खतरा, सरकारों ने गंभीरता से नहीं लिया तो...

Edited By Tanuja,Updated: 12 Oct, 2024 01:44 PM

climate emergencies threaten our collective security

हाल के वर्षों में जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न आपात स्थितियों ने दुनिया भर में कई तरह की चुनौतियों को जन्म दिया है। वैज्ञानिक और नीति-...

International Desk: हाल के वर्षों में जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न आपात स्थितियों ने दुनिया भर में कई तरह की चुनौतियों को जन्म दिया है। वैज्ञानिक और नीति-निर्माता लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि अगर जलवायु परिवर्तन को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो यह भविष्य में सबसे बड़ा सुरक्षा संकट बन सकता है। ब्रिटेन की एक नई रिपोर्ट ने इस मुद्दे पर गहराई से प्रकाश डाला है, जिसमें कोविड-19 महामारी से सीखे गए सबक और जलवायु परिवर्तन के खतरों के बीच समानताएं सामने आई हैं।  महामारी से मिले सबक ब्रिटेन में कोविड-19 महामारी एक "गैर-दुर्भावनापूर्ण खतरे" के रूप में देखी गई, यानी यह न तो आतंकवाद का परिणाम थी और न ही युद्ध जैसी स्थिति से उत्पन्न हुई थी। बल्कि यह मानवीय भूल या प्राकृतिक आपदाओं के कारण आई एक आपात स्थिति थी।

 

महामारी के कारण स्वास्थ्य सेवाओं, आर्थिक स्थिरता, और सामाजिक संरचनाओं पर बड़ा असर पड़ा। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह ब्रिटेन का सबसे बड़ा संकट था, और इसके बावजूद, सरकारें इस तरह के खतरे को गंभीरता से नहीं ले रही थीं। जलवायु परिवर्तन: अगला बड़ा खतरा रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि जलवायु परिवर्तन भी एक "गैर-दुर्भावनापूर्ण खतरे" की श्रेणी में आता है, लेकिन सरकारें इसे अपनी सुरक्षा योजनाओं में प्राथमिकता नहीं दे रही हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण तेजी से बढ़ते जोखिमों का सामना अब दुनिया को करना पड़ रहा है। हाल ही में फ्लोरिडा में आए तूफान हेलेन और मिल्टन इसका जीता-जागता उदाहरण हैं। इन तूफानों से सैकड़ों लोग मारे गए और अरबों डॉलर का नुकसान हुआ। चरम जलवायु घटनाएं और टिपिंग प्वॉइंट जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चरम घटनाएं, जैसे कि विनाशकारी तूफान, सूखा, और फसलें खराब होना, भविष्य में और बढ़ सकते हैं।

 

एक चिंताजनक बात यह है कि वैज्ञानिक "टिपिंग प्वॉइंट" की चेतावनी दे रहे हैं, जहां जलवायु परिवर्तन में कुछ ऐसे बिंदु आ सकते हैं जिनके बाद पृथ्वी की जलवायु प्रणाली में तेजी से और स्थायी बदलाव हो सकते हैं। इसका एक उदाहरण अटलांटिक मेरिडियनल ओवरटर्निंग सर्कुलेशन (एमोक) है, जो पृथ्वी के तापमान को संतुलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह प्रणाली कमजोर हो रही है और भविष्य में किसी भी समय यह ध्वस्त हो सकती है, जिससे भारी जलवायु अस्थिरता पैदा होगी। ब्रिटेन की तैयारियों की कमी रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि जलवायु परिवर्तन जैसे खतरों को ब्रिटेन की सुरक्षा योजनाओं में समुचित प्राथमिकता नहीं दी गई है। ब्रिटेन का राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे का रजिस्टर जलवायु परिवर्तन के जोखिमों को पूरी तरह से कवर नहीं करता है। वर्तमान जलवायु जोखिम मूल्यांकन भी समग्र रूप से सुरक्षा खतरों का आकलन करने में विफल है। हालांकि ब्रिटिश सरकार ने हाल ही में अपनी सुरक्षा नीतियों की समीक्षा शुरू की है, विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन को सरकार की योजनाओं के केंद्र में रखना जरूरी है।

 

अंतर्राष्ट्रीय चिंता और संभावित परिणाम यहां सवाल यह है कि अगर समय रहते जलवायु परिवर्तन पर ध्यान नहीं दिया गया, तो इसका परिणाम क्या होगा। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव गंभीर नागरिक आपात स्थिति पैदा कर सकते हैं, जैसे कि व्यापक पलायन, खाद्य संकट, और जल स्रोतों की कमी। अगर सरकारें इस समस्या से निपटने के लिए अभी से कदम नहीं उठाती हैं, तो भविष्य में सीमाओं पर सैन्यीकरण और दीवारों का निर्माण जैसे अस्थायी समाधान लागू किए जा सकते हैं, लेकिन ये समाधान टिकाऊ नहीं होंगे। समाप्ति आने वाले समय में जलवायु परिवर्तन हमारे सामने सबसे बड़ी सुरक्षा चुनौती हो सकता है। अब सरकारों के पास दो ही विकल्प हैं – या तो समय रहते ठोस कदम उठाए जाएं और जलवायु आपात स्थितियों के प्रभावों को कम करने की दिशा में काम किया जाए, या फिर आने वाले खतरों का सामना करने के लिए दुनिया को असुरक्षित छोड़ दिया जाए।

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