Edited By Rahul Singh,Updated: 29 Dec, 2024 11:01 AM
84 वर्षीय मोहम्मद यूनुस, जिन्हे इसी साल अगस्त में शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद अंतरिम सरकार का प्रमुख नियुक्त किया गया था। उन्होंनें बीते शुक्रवार को चुनावी संवाद के दौरान एक वीडियो संदेश में सुझाव दिया कि देश में मतदान की न्यूनतम आयु 18 से...
इंटरनेशनल डेस्क : बांग्लादेश में मतदान आयु घटाकर 17 वर्ष करने के अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के प्रस्ताव ने राजनीतिक हलकों में विवाद खड़ा कर दिया है। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने इस सिफारिश की कड़ी आलोचना करते हुए इसे चुनाव प्रक्रिया में देरी का कारण बताया है।
84 वर्षीय मोहम्मद यूनुस, जिन्हे इसी साल अगस्त में शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद अंतरिम सरकार का प्रमुख नियुक्त किया गया था। उन्होंनें बीते शुक्रवार को चुनावी संवाद के दौरान एक वीडियो संदेश में सुझाव दिया कि देश में मतदान की न्यूनतम आयु 18 से घटाकर 17 वर्ष कर दी जाए। उनका कहना था कि यह युवाओं को उनके भविष्य पर अपनी राय व्यक्त करने का अवसर देगा। यूनुस ने अपने वक्तव्य में यह भी साफ कहा कि, “मुझे लगता है कि युवा अपने भविष्य के बारे में राय दे सकें, इसके लिए मतदान की न्यूनतम उम्र घटाकर 17 साल तय की जानी चाहिए।”
विपक्षी दलों की चिंताएं
बीएनपी ने इस बयान पर भी सवाल उठाए, यह कहते हुए कि यदि आयु सीमा घटाने का प्रस्ताव लागू किया गया, तो मतदाता सूची को निरीक्षण करने में और समय लगेगा। इससे चुनाव की प्रक्रिया और लंबी हो सकती है, जिससे देश में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बनेगा।
चुनाव की संभावित तिथियां
16 दिसंबर को विजय दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में यूनुस ने कहा था कि अगले आम चुनाव 2025 के अंत और 2026 की पहली छमाही के बीच कराए जा सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव से पहले मतदाता सूची को निरीक्षण किया जाएगा।
बीएनपी की कड़ी प्रतिक्रिया
यूनुस की इस सिफारिश पर बीएनपी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी महासचिव मिर्जा फखरूल आलमगीर ने ढाका में आयोजित एक चर्चा के दौरान कहा कि मतदान की आयु घटाने से देश में एक नई मतदाता सूची तैयार करनी होगी, जो कि एक जटिल प्रक्रिया होगी। आलमगीर ने कहा, “अब लोगों को यह डर सताएगा कि और अधिक समय बर्बाद होगा और चुनाव प्रक्रिया में देरी होगी।”
निर्णय का असर और आगे का रास्ता क्या होगा?
यूनुस का प्रस्ताव युवा मतदाताओं को चुनाव प्रक्रिया में शामिल करने का एक प्रयास हो सकता है, लेकिन इसे लेकर राजनीतिक दलों और हितधारकों में भारी असहमति है। बीएनपी ने स्पष्ट किया है कि सरकार को इस मुद्दे को निर्वाचन आयोग पर छोड़ देना चाहिए ताकि सभी संबंधित पक्षों की सहमति से एक निर्णय लिया जा सके।
यूनुस की सिफारिश को लेकर बढ़ता विरोध और बीएनपी की चिंताएं यह संकेत देती हैं कि इस मामले पर व्यापक चर्चा और विचार-विमर्श की आवश्यकता है। इस विवाद के बीच, यह स्पष्ट है कि बांग्लादेश में आगामी चुनावों को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। देश में मतदान की न्यूनतम आयु घटाने का यह प्रस्ताव न केवल राजनीतिक और प्रशासनिक चुनौती पैदा कर सकता है, बल्कि देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या अंतरिम सरकार और निर्वाचन आयोग मिलकर इस मुद्दे का समाधान निकाल पाते हैं या यह विवाद आगामी चुनावों तक बना रहेगा।