CrowdStrike: कंप्यूटर सिस्टम ठप्प होने से US की कमजोरी भी सामने आई, रूस और चीन बना सकते निशाना

Edited By Tanuja,Updated: 22 Jul, 2024 12:24 PM

crowdstrike the platform behind microsoft s global outage

पिछले दो साल से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के संबंध में आगाह किया जा रहा है कि उनसे मानवीय अस्तित्व पर खतरा है। लेकिन शुक्रवार को अलग...

New York: पिछले दो साल से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के संबंध में आगाह किया जा रहा है कि उनसे मानवीय अस्तित्व पर खतरा है। लेकिन शुक्रवार को अलग किस्म का संकट सामने आया। कंप्यूटर सिस्टम हैंग होने से बहुत सारे काम ठप्प पड़ गए । दुनियाभर में एयर ट्रैवल पर सबसे अधिक असर पड़ा। यह स्थिति आतंकवादियों या AI या हैकरों के कारण पैदा नहीं हुई थी। टेक्सास की कंपनी क्राउडस्ट्राइक (CrowdStrike)  के एक सॉफ्टवेयर अपग्रेड में गड़बड़ी से अराजकता की स्थिति बन गई। इस घटना ने अमेरिका की कमजोरी को भी सामने रखा है।

 

कंप्यूटर सिस्टम में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी ने चुनाव वर्ष में रूस और चीन को दखल देने का रास्ता दिखाया है।  अमेरिका में शनिवार को भी कई हवाई उड़ानें प्रभावित रहीं। एयरलाइंस ने 1600 फ्लाइट रद्द कर दीं। शुक्रवार को अमेरिका के अंदर और बाहर जाने वाली 3400 उड़ानें रद्द की गई थीं। कंप्यूटर प्रोग्रामर्स का कहना है, क्राउडस्ट्राइक ने तरीके से काम नहीं किया है। अपग्रेड भेजने से पहले उसे कई किस्म की विंडोज मशीनों पर इस्तेमाल किया जाना था। साइबर सिक्योरिटी संगठन क्रिप्टोहार्लेम फाउंडर मैट मिशेल कहते हैं, अगर कुछ पुराने कंप्यूटरों पर टेस्टिंग की जाती तो 'ब्लू स्क्रीन ऑफ डेथ' को पहले देखा जा सकता था।

 

सुरक्षा सिस्टम से जुड़े लोगों ने राहत की सांस ली
अमेरिकी सरकार और सुरक्षा सिस्टम से जुड़े लोगों ने राहत की सांस ली है कि यह किसी देश का साइबर हमला नहीं था। पिछले दो साल से व्हाइट हाउस, प्रतिरक्षा विभाग पेंटागन और साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ वोल्ट टाइफून से जूझ रहे हैं। यह एक मालवेयर है जिसे चीन ने अमेरिका के अहम इंफ्रास्ट्रक्चर में डाल दिया है। इसे खोजना और जरूरी कंप्यूटर नेटवर्क से निकालना मुश्किल हो रहा है। यह शुक्रवार के घटनाक्रम से अधिक दहशत और अराजकता फैला सकता है। अमेरिका ने पिछले कुछ वर्षों में साइबर हमलों को गंभीरता से लिया है। राष्ट्रपति बाइडेन ने बड़ी घटनाओं पर नजर रखने के लिए साइबर सेफ्टी रिव्यू बोर्ड बनाया है। बोर्ड ने तीन माह पहले बताया कि कैसे चीनी जासूसों ने विदेश विभाग की फाइलें और व्यापार मंत्री जीना रायमोंडो के ई-मेल हैक कर लिए थे।

 

अमेरिकी सरकार को भविष्य के लिए सतर्क
इसके बाद रूस सहित कई स्थानों से साइबर हमलों का पता लगा था। 2020 के राष्ट्रपति चुनावों में रूसी हैकरों ने कई अमेरिकी विभागों के सिस्टम पर साइबर हमले किए थे। हालांकि, इनसे शुक्रवार जैसी स्थिति नहीं बनी थी। लेकिन, उसने अमेरिकी सरकार को भविष्य के लिए सतर्क कर दिया। शुक्रवार की सुबह चार बजे अमेरिकी राष्ट्रपति के दफ्तर व्हाइट हाउस ने साइबर टेक्नोलॉजी की डिप्टी नेशनल सिक्योरिटी सलाहकार एन न्यूबर्गर को जगाया। दिनभर अमेरिकी सरकार के सिस्टम में खतरों का आकलन किया गया। फिर भी, एनबर्गर और अन्य विशेषज्ञों को अहसास हो चुका है कि किसी बड़ी गड़बड़ी को ठीक करने में वक्त तो लगेगा।
 
 

अपने प्रतिद्वंद्वियों की हंसी उड़ाती है CrowdStrike
2011 में स्थापित क्राउडस्ट्राइक में 8 हजार कर्मचारी हैं। स्टॉक मार्केट में उसका मूल्य 8 लाख करोड़ रुपए से अधिक है। शुक्रवार को क्राउडस्ट्राइक के शेयर 11 प्रतिशत गिर गए थे। कंपनी कुछ बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों के समान मशहूर तो नहीं है पर वह अहंकारी है। उसकी वेबसाइट पर प्रतिद्वंद्वियों के बारे में अनाप-शनाप बातें कही जाती हैं। वह सवाल करती है, माइक्रोसॉफ्ट के सिक्योरिटी प्रोडक्ट माइक्रोसॉफ्ट तक की हिफाजत नहीं कर सकते हैं। वे कैसे आपकी रक्षा करेंगे? लोगों को शिकायत है कि कंपनी ने माफी मांगने में देर कर दी। शुक्रवार को आउटेज के घंटों बाद कंपनी के चीफ एक्जीक्यूटिव जार्ज कुर्ट्ज ने कहा था, मैं सबसे माफी चाहता हूं।

 

सर जेरेमी अपराधियों के हमलों से ज्यादा चिंतित
ब्रिटेन की कोड ब्रेकिंग एजेंसी जीसीएचक्यू केपूर्व प्रमुख सर जेरेमी फ्लेमिंग कहते हैं, शुक्रवार की घटना नई नहीं है। इतना जरूर है, टेक्नोलॉजी और कनेक्टिविटी ने इसे बहुत अधिक बढ़ा दिया है। वे देशों की बजाय अपराधियों के हमलों से ज्यादा चिंतित हैं। निश्चित रूप से क्राउडस्ट्राइक की गड़बड़ी ने अपराधियों का हौसला बढ़ाया होगा। रूस के राष्ट्रपति पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को भी चुनाव वर्ष में दखल देने का रास्ता मिल गया है। वहीं गूगल ग्लोबल मामलों के प्रेसीडेंट केंट वाकर का कहना है, एआई ने हमें कमजोरियों को पहचानने और उनसे निपटने की क्षमता दी है। लेकिन, विशेषज्ञों को आशंका है कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के वर्ष में किसी डिजिटल संकट का राजनीति पर गहरा असर पड़ सकता है।

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