Edited By Tanuja,Updated: 01 Mar, 2025 06:36 PM
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बांग्लादेश में वायु प्रदूषण एक साइलेंट किलर बन चुका है। एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक हर साल 1,02,456 लोगों की मौत जहरीली हवा के कारण हो रही है। शनिवार को जारी वायु गुणवत्ता ..
Dhaka: बांग्लादेश में वायु प्रदूषण एक साइलेंट किलर बन चुका है। एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक हर साल 1,02,456 लोगों की मौत जहरीली हवा के कारण हो रही है। शनिवार को जारी वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के अनुसार ढाका का AQI 304 दर्ज किया गया, जो 'खतरनाक' श्रेणी में आता है। यह आंकड़ा राजधानी को दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार कर रहा है। देश में बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक प्रदूषण अब बांग्लादेश में सबसे बड़ा जानलेवा संकट बन चुका है। स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि ढाका को दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में पहला स्थान मिल गया है।
मुख्य बातें
- ढाका में प्रदूषण रिकॉर्ड स्तर पर, AQI 304 तक पहुंचा।
- हर साल 1 लाख से ज्यादा मौतें, 10 में से 9 लोग जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर।
- बीजिंग, ताशकंद और बगदाद से भी आगे निकला ढाका ।
- यूनुस सरकार हालात संभालने में नाकाम।
1 मार्च शनिवार सुबह जारी वायु गुणवत्ता रिपोर्ट के अनुसार
- ढाका (AQI 304) – सबसे प्रदूषित शहर
- बीजिंग (AQI 238) – चीन
- ताशकंद (AQI 220) – उज्बेकिस्तान
- बगदाद (AQI 179) – इराक
राजनीतिक अस्थिरता से बिगड़े हालात
शेख हसीना सरकार के पतन के बाद बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की अस्थायी सरकार बनी, लेकिन प्रदूषण पर नियंत्रण पाने में वे भी पूरी तरह नाकाम रहे हैं। सत्ता परिवर्तन के बाद भी ढाका की जहरीली हवा और खराब होती जा रही है जिससे लोगों की जिंदगी संकट में पड़ गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, बांग्लादेश के 10 में से 9 लोग जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं। इसके कारण फेफड़ों के रोग, हृदय संबंधी बीमारियां और समय से पहले मौतों का खतरा बढ़ता जा रहा है।
यूनुस सरकार की नाकामी
हालात इतने खराब हो चुके हैं कि सरकार के पास कोई ठोस योजना तक नहीं है । न तो प्रदूषण रोकने के लिए कोई सख्त नीति बनाई गई और न ही जनता को राहत देने के उपाय किए गए। लोगों में इस बात को लेकर भारी गुस्सा है कि यूनुस सरकार सिर्फ सत्ता बचाने में लगी है, जनता की समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। अगर जल्द ही प्रदूषण को रोकने के उपाय नहीं किए गए, तो बांग्लादेश को एक गंभीर स्वास्थ्य आपदा का सामना करना पड़ेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि वाहनों के धुएं, औद्योगिक उत्सर्जन और कंस्ट्रक्शन साइट्स से निकलने वाले धूल-कणों पर सख्त नियंत्रण लगाना जरूरी है। वरना, आने वाले वर्षों में प्रदूषण से होने वाली मौतों की संख्या और भी बढ़ सकती है।