दुबई में नरक जैसी गर्मी: पारा 62.22 डिग्री सेल्सियस के पार, वेट बल्ब टेंपरेचर ने बिगाड़े हालात

Edited By Tanuja,Updated: 17 Jul, 2024 03:36 PM

dubai summer temperature crosses 62 c

तापमान और रिलेटिव ह्यूमेडिटी की एकसाथ गणना करने से वेट बल्ब टेम्परेचर या फिर किसी तय स्थान का हीट इंडेक्स निकाल सकते हैं। इससे दोनों ही चीजों का...

इंटरनेशनल डेस्कः सऊदी अरब का रेतीला शहर दुबई इन दिनों नरक जैसी गर्मी को झेल रहा है।  16 जुलाई  की दोपहर को  दुबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर तापमान 144 डिग्री फैरेनहाइट यानी 62.44 डिग्री सेल्सियस तापमान रिकॉर्ड किया गया।   शाम को पांच बजे यह घटकर 53.9 डिग्री सेल्सियस हो गया । जिस समय यह तापमान दर्ज किया गया, उस समय हवा भी गर्म थी। एयर टेंपरेचर 42 डिग्री सेल्सियस  व ड्यू प्वाइंट यानी नमी 85 फीसदी था इसलिए तापमान 62.22 डिग्री सेल्सियस हो गया। यानि दुबई में वेट बल्ब टेंपरेचर का माहौल है। ऐसा मौसम जानलेवा होता है।इसमें सर्वाइवल बेहद मुश्किल है।

 

Dubai recorded a heat index of 144°F (62.2°C) today at 3 PM.

The heat index is currently 129°F (53.9°C) at 5 AM local time.

Life-threatening heat. pic.twitter.com/9eExu1jVMx

— Colin McCarthy (@US_Stormwatch) July 17, 2024

दुबई में गर्मियों में आमतौर पर पारा 40 डिग्री सेल्सियस पार ही रहता है लेकिन यहां की गर्मी को बर्दाश्त करना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है। पूरी दुनिया में इस साल की गर्मियों का मौसम वाकई अत्यधिक गर्म था।ह्यूमिडिटी इतनी ज्यादा है कि  पूरे खाड़ी इलाके में लोगों दम घुंट रहा है। असल में रिलेटिव ह्यूमिडिटी जब अधिक तापमान से मिलता है, तब गर्मी ज्यादा महसूस होती है। यानी तापमान भले ही 40-42 डिग्री सेल्सियस हो, लेकिन ऐसे माहौल में यह 55-60 डिग्री सेल्सियस महसूस होती है। खाड़ी देशों में गर्मी और नमी का जानलेवा मिश्रण होता है। ऐसी स्थिति में इंसानी शरीर बहुत ज्यादा पसीना छोड़ता है। ज्यादा पसीना निकलने पर डिहाइड्रेशन की दिक्कत हो सकती है व  सांस फूलने की समस्या हो सकती है। 
 
क्या है वेट बल्ब टेम्परेचर ?
तापमान और रिलेटिव ह्यूमेडिटी की एकसाथ गणना करने से वेट बल्ब टेम्परेचर या फिर किसी तय स्थान का हीट इंडेक्स निकाल सकते हैं। इससे दोनों ही चीजों का पता चलता है तापमान भी और नमी वाली हीटवेव भी। वेट बल्ब टेम्परेचर में हवा पानी से निकले भाप की वजह से ठंडी होती है लेकिन एक तय दबाव पर।  जब तापमान बहुत ज्यादा बढ़ता है तब पसीना ही इंसान के शरीर को सुरक्षित रखता है लेकिन गर्मी ज्यादा होने पर शरीर के और मौसम के ठंडा होने की प्रक्रिया धीमी होती है और इससे इंसान का शरीर बिगड़ने लगता है तथा हीट स्ट्रोक या मौत का खतरा रहता है।अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वेट बल्प टेम्परेचर की सीमा 30 से 35 डिग्री सेल्सियस हैऔर  इससे ऊपर जाने पर इंसान की मौत होना लगभग तय हो जाता है। 

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