साल 2024 पृथ्वी पर अब तक का सबसे गर्म वर्ष घोषित, वैश्विक तापमान में पहली बार खतरनाक वृद्धि दर्ज

Edited By Tanuja,Updated: 12 Jan, 2025 06:54 PM

earth breaks yearly heat record and lurches past dangerous warming

साल 2024 पृथ्वी पर अब तक के सबसे गर्म साल के रूप में दर्ज हुआ। इस दौरान, अप्रैल में पाकिस्तान और अफगानिस्तान में आई बाढ़ ने सैकड़ों लोगों की जान ली...

International Desk: साल 2024 पृथ्वी पर अब तक के सबसे गर्म साल के रूप में दर्ज हुआ। इस दौरान, अप्रैल में पाकिस्तान और अफगानिस्तान में आई बाढ़ ने सैकड़ों लोगों की जान ली, जबकि पूरे साल सूखा पड़ने के कारण अमेजन नदी का पानी स्तर अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। इसके अलावा, यूनान की राजधानी एथेंस में पर्यटकों को खतरनाक गर्मी से बचाने के लिए प्राचीन एक्रोपोलिस को दोपहर के समय बंद करना पड़ा।

 

ईयू की कॉपरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा की एक नई रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की गई कि 2024 पहला साल था जब वैश्विक औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस के पार गया। ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, न्यू गिनी और अंटार्कटिका को छोड़कर सभी महाद्वीपों में यह साल अब तक का सबसे गर्म साल रहा। इसके अलावा, 11 महीनों तक तापमान वृद्धि 1.5 डिग्री सेल्सियस के स्तर से अधिक दर्ज की गई। ग्लोबल वॉर्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखना पेरिस जलवायु समझौते का एक प्रमुख लक्ष्य है। 2015 में किए गए इस समझौते में 195 देशों ने औसत तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस से कम रखने का संकल्प लिया था।

 

 वर्ष 2024 में वैश्विक तापमान वृद्धि में बढ़ोतरी के लिए मजबूत अल-नीनो जैसे प्राकृतिक कारक जिम्मेदार थे। अल-नीनो एक जलवायु घटना है, जिससे उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र में समुद्र का तापमान बढ़ जाता है और इससे वैश्विक तापमान में वृद्धि होती है। हालांकि, इन प्राकृतिक कारकों ने जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा दिया, लेकिन कई बार यह पृथ्वी को ठंडा भी कर सकते हैं।

 

वैश्विक तापमान में मामूली वृद्धि भी विनाशकारी प्रभाव डाल सकती है, जैसे कि ग्रीनलैंड में बर्फीली चट्टानों का तेजी से पिघलना।  जलवायु परिवर्तन से दुनिया भर में अप्रत्याशित और घातक मौसम घटनाएं हो सकती हैं, जैसे भीषण गर्मी और बाढ़। 2024 में, कई क्षेत्रों में विनाशकारी बाढ़ आई, जिनमें पाकिस्तान, अफगानिस्तान और स्पेन शामिल हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए, ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को जल्दी से कम करना जरूरी है ताकि वैश्विक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस से ऊपर न जाए।  
 

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