Edited By Tanuja,Updated: 25 Oct, 2021 01:50 PM
तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान के हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। देश में गरीबी-भुखमरी, बेरोजगारी ने लोगों को तोड़ कर रख दिया ...
काबुल: तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान के हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। देश में गरीबी-भुखमरी, बेरोजगारी ने लोगों को तोड़ कर रख दिया है। पूर्व सांसद हाजी मोहम्मद मोहकक ने रविवार को कहा कि पश्चिमी काबुल में आठ बच्चों की भूख से मौत हो गई है, जो मुख्य रूप से हजारा अल्पसंख्यक हैं। रूसी समाचार एजेंसी स्पुतनिक के हवाले से मोहकक ने फेसबुक पर लिखा, "पश्चिमी काबुल में गरीबी और भूख ने आठ बच्चों की जान ले ली है।"
मोहक ने कहा कि तालिबान सत्ता में आने के बाद अफगानिस्तान के लोगों के लिए पर्याप्त जीवन स्तर सुनिश्चित करने में सक्षम नहीं है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अफगानिस्तान में हजारा और शिया लोगों की मदद करने का आह्वान किया। बता दें कि तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद अफगानिस्तान में अल्पसंख्यकों को उनकी धार्मिक और जातीय पहचान के आधार पर लक्षित हत्याओं, हिंसा और भेदभाव का शिकार बनाया जा रहा है। तालिबान द्वारा किए गए मानवाधिकारों के हनन की पुष्टि करते हुए, अधिकार समूह एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इस महीने की शुरुआत में प्रलेखित किया कि कैसे तालिबान ने जातीय हजारा समुदाय के सदस्यों का नरसंहार किया।
अफगानिस्तान की आबादी का 9 प्रतिशत हजारा लोग शिया इस्लाम का पालन करते हैं। अधिकार समूहों की रिपोर्टों के अनुसार उन्हें अतीत में तालिबान द्वारा गंभीर रूप से सताया गया है। अगस्त के मध्य में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से कई अंतरराष्ट्रीय समूह देश में रहन-सहन की बिगड़ती स्थिति पर खतरे का अलार्म बजा रहे हैं। इस महीने की शुरुआत में ही संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दुनिया से देश के लिए "बनाने या तोड़ने" के क्षण में कार्रवाई करने का आग्रह किया था।