Edited By Anu Malhotra,Updated: 06 Jan, 2025 09:06 PM
एलन मस्क ने बीबीसी के एक कर्मचारी को लेकर हाल ही में सोशल मीडिया पर अपनी राय व्यक्त की। मस्क, जो हमेशा ही विवादित विषयों पर अपनी राय रखते हैं, ने एक पोस्ट में बीबीसी के खिलाफ आलोचना की। उन्होंने बीबीसी के इतिहास को लेकर सवाल उठाए, खासकर जिमी सैविल...
नेशनल डेस्क: ब्रिटिश ब्रॉड कास्टिंग कार्पोरेशन (BBC) के एक सेलिब्रिटी जिमी सेविल द्वारा बीसीसी में कार्यरत रहने के दौरान 1960 से लेकर 2000 तक लगभग 40 साल सैंकड़ों बच्चों का योन शोषण किया गया। इस मामले में यूके की पुलिस हाथ पर हाथ रख कर बैठी तमाशा देखती रही और यौन शोषण के पीड़ित बच्चों को न्याय नहीं मिल सका। आरोपी जिमी सेविल की 2012 में मौत हो चुकी है लेकिन अब टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने इसे बड़ा मुद्दा बना दिया है। मस्क ने बाकायदा इस मामले को लेकर यूके के प्रधानमंत्री कीर स्टॉर्मर के खिलाफ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर मुहीम छेड़ दी है।
क्या था मामला ?
जिमी सैविले एक ब्रिटिश टेलीविजन प्रस्तुतकर्ता और मशहूर सार्वजनिक व्यक्ति थे, जो 1970 और 1980 के दशकों में ब्रिटेन में बहुत लोकप्रिय थे। वह बीबीसी (BBC) के प्रमुख शो जैसे 'Top of the Pops' और 'Jim'll Fix It' के होस्ट के रूप में प्रसिद्ध हुए। सैविले ने अपने करियर में कई पुरस्कार भी जीते और उनका सार्वजनिक जीवन काफी सम्मानजनक था।
हालांकि, उसकी मौत के बाद 2011 में एक बड़ा खुलासा हुआ। यह सामने आया कि जिमी सैविल दशकों तक बाल यौन शोषण करता रहा था। उनके ये अपराध बीबीसी के स्टूडियो, अस्पतालों और देखभाल घरों में हुए थे।
कोई भी खुलकर सामने बोलने की हिम्मत नहीं रख सका
सैविल के खिलाफ कई आरोप थे, लेकिन बीबीसी और अन्य संस्थाओं ने इन आरोपों को नजरअंदाज किया और उनका बचाव किया। उनका ये अपराध इतने लंबे समय तक जारी रहा क्योंकि कई लोग सैविल के प्रभाव और प्रतिष्ठा से डरते थे, और कोई भी खुलकर उसके खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं जुटा सका।
किस किस ने की जांच?
जब 2011 में जिमी सैविल की मृत्यु के बाद उनके खिलाफ गंभीर आरोप सामने आए, तब ब्रिटिश पुलिस ने मामले की जांच शुरू की।
Operation Yewtree: यह जांच 2012 में लंदन मेट्रोपोलिटन पुलिस ने शुरू की थी। इस ऑपरेशन का उद्देश्य सैविल के यौन शोषण मामलों की जांच करना और यह पता लगाना था कि कितने और लोग उसकी शिकार बने थे। जांच में यह पाया गया कि सैविल ने 1960 से लेकर 2000 तक सैकड़ों बच्चों और युवाओं का यौन शोषण किया था।
विशेष जांचकर्ताओं की टीम: ऑपरेशन Yewtree के तहत एक विशेष टीम बनाई गई, जिसने सैविल के अपराधों की गहन जांच की और उसकी शिकार बनीं महिलाओं और बच्चों के बयान लिए। इस जांच में पुलिस ने पाया कि सैविल का अपराध बहुत व्यापक था, और उन्होंने कई दशकों तक अपना अपराध जारी रखा। जांच में 214 अपराधों की पुष्टि हुई और कई अपराधियों को सजा दी गई। बीबीसी और अन्य संस्थानों पर आलोचना हुई कि उन्होंने समय रहते इन अपराधों को रोकने के प्रयास नहीं किए।
The News of the World: 2011 में, ब्रिटिश tabloid अखबार "The News of the World" ने इस मामले पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें सैविल के खिलाफ आरोपों की शुरुआत की गई थी। इस रिपोर्ट में कई लोगों ने सैविल के खिलाफ बयान दिए थे, लेकिन उस समय कई लोगों ने सैविल की प्रसिद्धि और प्रभाव को देखते हुए इन आरोपों को नजरअंदाज किया था।
BBC जांच: बीबीसी ने भी इस मामले पर अपनी आंतरिक जांच की, क्योंकि सैविल लंबे समय तक बीबीसी का हिस्सा था। हालांकि, बीबीसी ने बाद में माना कि उन्होंने कई बार सैविल के खिलाफ आरोपों को नजरअंदाज किया था और उसकी अपराधों पर पर्दा डाला था।
यूके की संसद में पेश हुई रिपोर्ट
जिमी सैविल के मामले की रिपोर्ट ब्रिटेन की संसद में 2013 में पेश की गई थी। यह रिपोर्ट मुख्य रूप से "नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS)" और "बीबीसी" द्वारा सैविल के अपराधों को नजरअंदाज करने और उसे शरण देने के बारे में थी। इस रिपोर्ट को "The Dame Janet Smith Review" और "The Pollard Review" के नाम से जाना जाता है। इस रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया कि सैविल के अपराधों के दौरान कई संस्थाएं, जैसे बीबीसी और नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS), उसकी गलतियों और अपराधों को नजरअंदाज कर रही थीं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि सैविल के शोषण के पीड़ितों की सहायता करने के लिए एक स्वतंत्र और प्रभावी प्रणाली की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसे अपराधों को रोका जा सके।
हालांकि, डेम जेनेट स्मिथ की समीक्षा रिपोर्ट (Dame Janet Smith Review) में इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं मिला कि बीबीसी ने जांच रिपोर्ट को प्रभावित किया। 2016 में प्रकाशित समीक्षा रिपोर्ट ने पाया गया कि जिमी सैविल ने बीबीसी के प्रभाव का उपयोग करके अपने अपराधों को छिपाया। रिपोर्ट में स्वीकार किया गया कि बीबीसी में कई लोग सैविल के व्यवहार के बारे में जानते थे, लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज किया। बीबीसी की कार्य संस्कृति को "सहयोगात्मक और खुलासों के प्रति असंवेदनशील" कहा गया। इसके बाद बीबीसी ने अपनी विफलताओं को स्वीकार करते हुए सार्वजनिक रूप से माफी मांगी। संस्था ने सुधारात्मक कदम उठाने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए अपनी नीतियों को सख्त बनाने का वादा किया।