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बड़ा कारनामा: अब टूटा दांत फिर से उगेगा! वैज्ञानिकों ने लैब में उगाया इंसानी दांत

Edited By Rohini Oberoi,Updated: 15 Apr, 2025 08:49 AM

for the first time human teeth were grown in the lab in uk

अब वो दिन दूर नहीं जब अगर किसी का दांत टूट जाए तो उसे डेंटल इम्प्लांट या फिलिंग की जरूरत नहीं पड़ेगी। यूनाइटेड किंगडम के किंग्स कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी क्रांतिकारी तकनीक विकसित की है जिसकी मदद से प्रयोगशाला में इंसानों के दांत...

इंटरनेशनल डेस्क। अब वो दिन दूर नहीं जब अगर किसी का दांत टूट जाए तो उसे डेंटल इम्प्लांट या फिलिंग की जरूरत नहीं पड़ेगी। यूनाइटेड किंगडम के किंग्स कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी क्रांतिकारी तकनीक विकसित की है जिसकी मदद से प्रयोगशाला में इंसानों के दांत सफलतापूर्वक उगाए जा सकते हैं।

कैसे हुआ यह कारनामा?

शोधकर्ताओं ने एक विशेष जैविक सामग्री (बायोमैटेरियल) तैयार की है जो दांतों के विकास के लिए अनुकूल वातावरण बनाती है। इस सामग्री की मदद से कोशिकाएं आपस में संवाद कर पाती हैं और दांत के विकास की प्रक्रिया शुरू होती है। पहले भी कोशिकाओं से दांत उगाने की कोशिश की गई थी लेकिन तब कोशिकाएं एक-दूसरे से ठीक से संपर्क नहीं कर पा रही थीं। अब इस तकनीक से वह बाधा दूर कर ली गई है।

शार्क और हाथियों से मिली प्रेरणा

वैज्ञानिकों का कहना है कि जैसे शार्क और हाथियों के जीवनभर नए दांत उगते रहते हैं वैसे ही इंसानों के लिए भी यह अब संभव हो सकता है। इस खोज से दंत चिकित्सा के क्षेत्र में एक नई क्रांति की शुरुआत मानी जा रही है।

दो संभावित तरीके विकसित

शोधकर्ताओं की टीम इस समय दो तरीकों पर काम कर रही है:

पहला तरीका: प्रयोगशाला में पूरे दांत को उगाकर उसे मरीज के जबड़े में प्रत्यारोपित करना।

दूसरा तरीका: दांत की कोशिकाओं को सीधे मरीज के मुंह में रख देना जिससे वहीं पर नया दांत उग सके।

क्यों खास है यह तकनीक?

अब तक जो फिलिंग और डेंटल इम्प्लांट उपयोग में लाए जाते रहे हैं वे पूरी तरह प्राकृतिक नहीं होते। समय के साथ ये कमजोर हो सकते हैं और इंफेक्शन या ढीले होने जैसी समस्याएं भी पैदा कर सकते हैं। वहीं लैब में विकसित जैविक दांत न केवल प्राकृतिक होंगे बल्कि:

➤ ज्यादा मजबूत होंगे

➤ लंबे समय तक टिकेंगे

➤ शरीर इन्हें अस्वीकार नहीं करेगा

➤ और दर्द भी कम होगा

भविष्य में क्या उम्मीद?

यह तकनीक अभी परीक्षण के दौर में है लेकिन शुरुआती नतीजे काफी उत्साहजनक हैं। यदि यह आगे भी सफल होती है तो दंत चिकित्सा की दुनिया में एक बड़ा बदलाव आ सकता है। भविष्य में लोग अपने गिरे हुए या सड़ चुके दांतों को नए प्राकृतिक दांतों से बदलवा सकेंगे वो भी बिना किसी कृत्रिम इम्प्लांट के।

यह शोध न केवल विज्ञान की दुनिया में बड़ी उपलब्धि है बल्कि उन लाखों लोगों के लिए उम्मीद की किरण भी है जो दांतों की समस्याओं से जूझ रहे हैं।

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