mahakumb

पहली बार मक्का से बाहर जाएगी काबा की चादर, 120 किलो सोना और 100 किलो चांदी का उपयोग

Edited By rajesh kumar,Updated: 25 Jan, 2025 04:41 PM

for the first time kaaba s sheet will taken out mecca

सऊदी अरब के मक्का में स्थित काबा, जो मुसलमानों के लिए दुनिया की सबसे पवित्र जगह है, पर हर साल एक विशेष चादर डाली जाती है, जिसे "किस्वा" कहा जाता है। यह काबा का आवरण होता है और इसे विशेष तरीके से तैयार किया जाता है। अब यह पहली बार मक्का के बाहर कहीं...

इंटरनेशनल डेस्क: सऊदी अरब के मक्का में स्थित काबा, जो मुसलमानों के लिए दुनिया की सबसे पवित्र जगह है, पर हर साल एक विशेष चादर डाली जाती है, जिसे "किस्वा" कहा जाता है। यह काबा का आवरण होता है और इसे विशेष तरीके से तैयार किया जाता है। अब यह पहली बार मक्का के बाहर कहीं प्रदर्शित किया जाएगा।

25 जनवरी 2025 से जेद्दा में होने वाले 'इस्लामिक आर्ट्स बिनाले 2025' में काबा की किस्वा को किंग अब्दुलअज़ीज़ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के वेस्टर्न हज टर्मिनल में सार्वजनिक रूप से दिखाया जाएगा। यह आयोजन इस्लामी कला और सभ्यता को प्रदर्शित करने का एक प्रयास है।

क्या है इस्लामिक आर्ट्स बिनाले?
इस्लामिक आर्ट्स बिनाले का आयोजन हर दो साल में किया जाता है और यह इस्लामी कला, संस्कृति और सभ्यता को समर्पित होता है। 2023 में इस बिनाले का पहला संस्करण आयोजित किया गया था और इस बार इसका दूसरा संस्करण 'एंड ऑल दैट इज़ इन बिटवीन' शीर्षक से 25 मई तक चलेगा। इस प्रदर्शनी में किस्वा के अलावा इस्लामी सभ्यता से जुड़ी ऐतिहासिक कलाकृतियां और आधुनिक कला भी प्रदर्शित की जाएंगी।
PunjabKesari
किस्वा: काबा का पवित्र आवरण
किस्वा एक शानदार काली रेशमी चादर होती है, जिसे काबा पर डाला जाता है। इस चादर पर सोने और चांदी के धागों से कुरान की आयतें कढ़ाई की जाती हैं। यह चादर हर साल बदल दी जाती है और इस साल जो किस्वा प्रदर्शित की जाएगी, वह पिछले साल काबा पर डाली गई थी। हर साल इस चादर को इस्लामी साल के पहले दिन (1 मुहर्रम) बदला जाता है।

किस्वा का इतिहास
काबा पर किस्वा चढ़ाने की परंपरा बहुत पुरानी है। मक्का विजय (629-630 ई.) के बाद पैगंबर मुहम्मद ने पहली बार काबा को यमनी कपड़े से ढका था। बाद में, पहले तीन खलीफाओं ने इसे सफेद रंग में रखा, लेकिन अब्बासी खलीफा अल-नासिर ने इसे काले रंग में बदल दिया, जो आज भी जारी है।
PunjabKesari
किस्वा बनाने की प्रक्रिया
आजकल की किस्वा 1000 किलो से ज्यादा वजनी होती है और इसे बनाने में लगभग एक साल का समय लगता है। इसमें 670 किलो कच्चा रेशम, 120 किलो सोने के धागे और 100 किलो चांदी के धागे लगाए जाते हैं। यह चादर बहुत ही महीन कढ़ाई से तैयार की जाती है, जिसमें कुरान की आयतें सोने-चांदी के धागों से कढ़ाई की जाती हैं। यह आयोजन काबा की किस्वा की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक अहमियत को प्रदर्शित करेगा और इस्लामी कला के शौकियों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर होगा।

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!