बांग्लादेश : पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हिंदू नेता की गिरफ्तारी पर निंदा जताई, कहा- उन्हें तुरंत रिहा करे सरकार

Edited By Parveen Kumar,Updated: 28 Nov, 2024 08:41 PM

former prime minister sheikh hasina condemned the arrest of hindu leader

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हिंदू आध्यात्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि उन्हें तुरंत रिहा किया जाना चाहिए। दास को इस सप्ताह के शुरू में देशद्रोह के आरोप में हिरासत में लिया गया था।

इंटरनेशनल डेस्क : बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हिंदू आध्यात्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि उन्हें तुरंत रिहा किया जाना चाहिए। दास को इस सप्ताह के शुरू में देशद्रोह के आरोप में हिरासत में लिया गया था। शेख हसीना ने एक बयान में कहा, ‘‘सनातन धर्म के एक शीर्ष आध्यात्मिक नेता को अन्यायपूर्ण तरीके से गिरफ्तार किया गया है, उन्हें तुरंत रिहा किया जाना चाहिए।'' अवामी लीग की ओर से 'एक्स' पर किए गए एक पोस्ट में हसीना ने कहा, ‘‘चटगांव में एक मंदिर को जला दिया गया है।

इससे पहले, अहमदिया समुदाय की मस्जिदों, दरगाहों, चर्चों, मठों और घरों पर हमला किया गया, तोड़फोड़ की गई, लूटपाट की गई और आग लगा दी गई। सभी समुदायों के लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता और जीवन एवं संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए।'' बांग्लादेश में विवादास्पद नौकरी आरक्षण प्रणाली को लेकर अवामी लीग के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ व्यापक स्तर पर विरोध प्रदर्शन के बाद हसीना ने पांच अगस्त को भारत में शरण ली थी। इसके तीन दिन बाद, नोबेल पुरस्कार विजेता यूनुस सलीम ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार का पदभार संभाला था।

यूनुस के सत्ता संभालने के बाद भी बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों के खिलाफ अत्याचार की लगातार खबरें आ रही हैं। जमात-ए-इस्लामी जैसे चरमपंथी समूहों और इसी तरह के वैचारिक चरमपंथी समूहों के बढ़ने की भी खबरें हैं। हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास को इस सप्ताह गिरफ्तार किया गया था। दास को पहले इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) से निष्कासित कर दिया गया था। उनकी गिरफ्तारी के बाद मंगलवार को झड़पें हुईं, जिसमें सहायक सरकारी वकील सैफुल इस्लाम की हत्या कर दी गई थी।

इसके अलावा, बांग्लादेश उच्चतम न्यायालय के वकीलों के एक समूह ने बुधवार को बांग्लादेश सरकार को एक कानूनी नोटिस भेजकर ‘इस्कॉन' पर प्रतिबंध लगाने की मांग की और इसे एक ‘‘कट्टरपंथी संगठन'' बताया। हालांकि, बांग्लादेश उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को देश में इस्कॉन की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली एक याचिका खारिज कर दी।

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