Edited By Tanuja,Updated: 01 Aug, 2024 06:22 PM
इजराइल ने हमास प्रमुख हनियेह (Ismail Haniyeh ) को तेहरान में मार गिराया और ईरान की सेना ईरान रिवॉल्युशनरी गार्ड्स ने इसकी...
International Desk: इजराइल ने हमास प्रमुख हनियेह (Ismail Haniyeh ) को तेहरान में मार गिराया और ईरान की सेना ईरान रिवॉल्युशनरी गार्ड्स ने इसकी पुष्टि भी कर दी है। कहा जा रहा है कि इजराइल ने इस हमले से हमास के अक्टूबर हमले का बदला ले लिया है। हमास चीफ इस्माइ की हत्या के बाद से इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद के कारनामों के चर्चे पूरी दुनिया में हो रहे हैं। माना जा रहा है कि हमास प्रमुख हनियेह को ईरान की राजधानी तेहरान में उसके आवास पर हवाई हमले में मार गिराने के लिए मोसाद स्नाइपर की मदद ली थी। हनियेह को तब निशाना बनाया गया जब वह सो रहा था। एक ड्रोन के जरिए होटल की खिड़की से मिसाइल दागा गया। इस्माइल हानिया ईरानी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने पहुंचा था और हत्या से कुछ देर पहले ही भीड़ के साथ उन्होंने इजरायल मुर्दाबाद के नारे लगाए थे।
कयास यह भी लग रहे हैं कि तेहरान से 1500 किलोमीटर दूर इजरायल के किसी अनजान ठिकाने से मोसाद के शूटर ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) की मदद से हानिया की हत्या को अंजाम दिया। उस दौरान सैटेलाइट इमेज की भी मदद ली गई थी। इस हमले में इजरायल के दुश्मन नंबर वन रहे हानिया के साथ उसका बॉडीगार्ड भी मारा गया। यह तरीका ठीक उसी तरह है, जैसे 2020 में ईरान के एक न्यूक्लियर साइंटिस्ट की हत्या की गई थी। हानिया की हत्या के साथ इजरायल ने हमास के अक्टूबर हमले का बदला भी ले लिया है, जिसमें दर्जनों इजरायली मारे गए थे।
मोसाद ने 52 साल बाद फिर दोहराई कहानी
1972 में जब जर्मनी में म्यूनिख ओलंपिक गेम्स चल रहे थे। उस साल 5 सितंबर की रात को इजरायल के एथलीट म्युनिख ओलंपिक गांव में अपने फ्लैट्स में सो रहे थे, जब पूरा अपार्टमेंट मशीनगनों की तड़तड़ाती गोलियों से गूंज उठा। ये हमला उस वक्त फिलिस्तीन के खूंखार आतंकी संगठन 'ब्लैक सितंबर' के 8 लड़ाकों ने किया, जो खिलाड़ियों की ड्रेस पहले अंधाधुंध फायरिंग कर रहे थे। इस हमले में 11 इजरायली खिलाड़ी और 1 जर्मन पुलिसकर्मी को जान गंवानी पड़ी। बदले में तब इजरायल ने दो दिन बाद ही सीरिया और लेबनान में फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन यानी पीएलओ के 10 ठिकानों पर बमबारी करके तबाह कर दिया।
लेखक साइमन रीव की किताब 'वन डे इन सेप्टेम्बर' में लिखा है कि इजरायल ने म्यूनिख में मारे गए अपने खिलाड़ियों की मौत का बदला लेने के लिए अपनी खूंखार सीक्रेट एजेंसी मोसाद को इस काम में लगाया, जिसने उन्हें खोज निकालने के लिए दिन-रात एक कर दिया और उन्हें मार डाला। कुछ ऐसी ही कहानी उस घटना के 52 साल बाद फिर दोहराई गई, जब फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास के चीफ इस्माइल बीते साल 7 अक्टूबर में इजरायल पर हुए हमले का मास्टरमाइंड था।
मोसाद ने बदला लेने के लिए किया समंदर पार
किताब 'वन डे इन सेप्टेम्बर' में बताया गया कि 16 अक्टूबर, 1972 को इजरायली एजेंटों ने पीएलओ इटली के प्रतिनिधि अब्दल-वैल जावैतार को रोम में उसके घर में घुस कर गोलियां मारीं और ये लंबे समय तक चलने वाले कथित इजरायली बदले की शुरुआत थी। किताब 'वन डे इन सेप्टेम्बर' के अनुसार, जावैतार की भी म्यूनिख हमले में बड़ी भूमिका थी। इसके बाद 9 अप्रैल, 1973 को मोसाद ने बेरूत में एक संयुक्त अभियान शुरू किया, जिसमें इजरायली कमांडो मिसाइल बोट और गश्ती नौकाओं से लेबनान के एक खाली समुद्री तट पर रात को पहुंचे। अगले दिन दोपहर तक ब्लैक सेप्टेम्बर चलाने वाली फतह के सीक्रेट चीफ मोहम्मद यूसुफ या अबू यूसुफ, कमल अदवान और पीएलओ प्रवक्ता कमल नासिर की उनके घरों में हत्या हो चुकी थी। माना जाता है कि इजरायल अपना यह तरीका आज भी अपने दुश्मनों को मारने में करता आया है।
क्या है मोसाद ?
मोसाद एक हिब्रू भाषा का शब्द है, जिसका मतलब है इंस्टीट्यूट। इसे इंस्टीट्यूट फॉर इंटेलीजेंस एंड स्पेशल ऑपरेशंस के नाम से भी जाना जाता है। इसका मकसद है खुफिया जानकारी जुटाओ, मिशन को अंजाम दो और आतंकवाद को नेस्तनाबूद कर दो। तेल अवीव में इसका हेडक्वॉर्टर्स है। 13 दिसंबर, 1949 को जब इसका गठन हुआ तो इसे सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर कोऑर्डिनेशन के नाम से जाना गया। इजरायल में तीन प्रमुख एजेंसियां हैं - अमन, मोसाद और शिन बेट। अमन जहां सैन्य खुफिया जानकारी मुहैया कराती है। वहीं मोसाद विदेशी जासूसी मामलों को संभालती है और शिन बेट घरेलू सुरक्षा का ख्याल रखती है।