नस्लवाद की आग में जल रहा ब्रिटेन, अधिकारियों की चेतावनी के बाद सहमे अश्वेत और मुस्लिम अप्रवासी, बोले- "हमें बहुत डर लग रहा"

Edited By Tanuja,Updated: 14 Aug, 2024 12:25 PM

i feel fear  muslims in the uk question sense of belonging after riots

ब्रिटेन में हाल ही में हुए दक्षिणपंथी दंगों के बाद अश्वेत और मुस्लिम समुदायों में असुरक्षा की भावना और अधिक गहरी हो गई है। ये दंगे दक्षिणपंथी...

London: ब्रिटेन में हाल ही में हुए दक्षिणपंथी दंगों के बाद अश्वेत और मुस्लिम समुदायों में असुरक्षा की भावना और अधिक गहरी हो गई है। ये दंगे दक्षिणपंथी प्रदर्शनकारियों द्वारा आयोजित किए गए थे, जिनमें से कुछ ने "हमें अपना देश वापस चाहिए" जैसी मांगें उठाई, जिससे ब्रिटेन में रहने वाले कई अश्वेत और मुस्लिम नागरिकों के लिए चिंता का माहौल पैदा हो गया है। भारतीय और केन्याई मूल की 42 वर्षीय ब्रिटिश नागरिक ध्रुति शाह ने हालिया दंगों को लेकर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, "ये दंगे अप्रवासी विरोधी हिंसा का स्पष्ट उदाहरण हैं। यदि उन्होंने एक बार इस तरह की हिम्मत जुटा ली, तो कौन कह सकता है कि वे फिर से ऐसा नहीं करेंगे?" शाह का मानना है कि ये घटनाएं ब्रिटेन में नस्लवाद और अप्रवासी विरोधी भावनाओं के बढ़ते खतरों को दर्शाती हैं।

 

हालांकि, इन दंगों के बाद देश भर में नस्लवाद विरोधी प्रदर्शन भी देखने को मिले। इन प्रदर्शनों में बड़े पैमाने पर लोग शामिल हुए, जिन्होंने शांतिपूर्ण तरीके से अपने विचार व्यक्त किए। प्रदर्शनकारियों ने "शरणार्थियों का स्वागत है" और "नस्लवादियों का यहाँ स्वागत नहीं है" जैसे संदेश वाले पोस्टर लेकर मार्च किया। इन विरोध प्रदर्शनों ने दक्षिणपंथी प्रदर्शनकारियों की संख्यात्मक बढ़त को पीछे छोड़ दिया और समाज में एकता का संदेश दिया।  ब्रिटिश अधिकारियों ने हालिया दंगों के बाद चेतावनी दी है कि इस तरह की घटनाएँ भविष्य में भी हो सकती हैं। भले ही नस्लवाद विरोधी प्रदर्शनकारियों की संख्या अधिक थी, लेकिन यह भी सच है कि एक छोटा लेकिन अत्यधिक भावुक समूह है जो अप्रवासी विरोधी और नस्लवादी विचारधाराओं को बढ़ावा देने के लिए तैयार है। यह समूह दंगों में हिंसक रूप से शामिल हो सकता है, जैसा कि हमने साउथपोर्ट में हुए हमले के बाद देखा।

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बता दें कि पिछले महीने इंग्लैंड के साउथपोर्ट में एक दिल दहला देने वाली घटना घटी, जहां चाकू के हमले में तीन छोटे बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई थी। इस हमले के तुरंत बाद, हमलावर की पहचान को लेकर सोशल मीडिया पर गलत जानकारी फैलाई गई। कुछ लोगों ने झूठे दावे किए कि हमलावर शरणार्थी है और उसने देश में अवैध रूप से प्रवेश किया था। जबकि असल में वह शरणार्थी नहीं था और उसके देश में प्रवेश का तरीका भी वैध था। इस हमले के बाद से ब्रिटेन में अप्रवासी विरोधी भावनाएं और दंगों की आशंका बढ़ गई थी।

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ध्रुति शाह ने इस बात पर भी दुख जताया कि दंगों के चलते उन तीन मासूम बच्चियों और अन्य पीड़ितों की मौत से ध्यान भटक गया जो साउथपोर्ट हमले में मारी गई थीं। उन्होंने कहा कि भले ही नस्लवाद विरोधी प्रदर्शनों और एकता के प्रदर्शन ने दिल को छू लिया, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि ब्रिटेन में नस्लवाद और अप्रवासी विरोधी भावनाओं का मुद्दा समाप्त हो गया है। शाह का कहना है, "मुझे नहीं पता कि मेरा, मेरी पत्नी और मेरे तीन बच्चों का भविष्य स्कॉटलैंड, यूनाइटेड किंगडम या वास्तव में यूरोप और पश्चिम में कैसा होगा।" उन्होंने संकेत दिया कि बढ़ती असुरक्षा की भावना ने उनके और उनके परिवार के भविष्य पर सवाल खड़ा कर दिया है।

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